मंडियों में प्लास्टिक की सूतली से हो रही बोरियों की सिलाई
अनाज मंडियों में रोजाना हजारों बोरियों की सिलाई एक बार प्रयोग होने वाली प्लास्टिक की सुतली से की जाती है।
संवाद सहयोगी, घरौंडा : अनाज मंडियों में रोजाना हजारों बोरियों की सिलाई एक बार प्रयोग होने वाली प्लास्टिक की सुतली से की जाती है। सस्ती होने के कारण व्यापारी पटसन की सुतली के बजाय प्लास्टिक से हो रही है। प्लास्टिक की सुतली का इस्तेमाल पर्यावरण के साथ-साथ मजदूरों के लिए भी खतरनाक है।
मंडी व्यापारियों के अनुसार पटसन की सुतली से एक कट्टे की सिलाई का खर्च एक रुपये है जबकि प्लास्टिक की सुतली का खर्च सिर्फ 40 पैसे है। ऐसे में प्रति बोरी साठ पैसे की बचत के लिए राइस मिलर और आढ़ती प्लास्टिक की सुतली का प्रयोग ज्यादा करते है।
मार्केट और खरीद एजेंसियों के अधिकारियों के पास प्लास्टिक की सुतली के प्रयोग के बारे कोई विभागीय निर्देश नहीं है। घरौंडा मंडी एसोसिएशन के प्रधान सुशील गर्ग ने बताया कि धान की बोरियों की सिलाई कराना राइस मिलर का काम है और जो मजदूरी होती है वह विभाग से लेता है। धान की बोरियों की सिलाई हाथ से की जाती है, प्लास्टिक की सुतली एक बार ही इस्तेमाल होती है। प्लास्टिक की सुतली के बारे में क्या नोटिफिकेशन है इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि सिलाई में इस्तेमाल होने वाले मैटीरियल की जानकारी नहीं है। इस बारे में अभी मंडियों में चेकिंग कराई जाएगी।