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70 चिकित्सकों की कमी, लचर हालात में स्वास्थ्य सेवाएं

एक तरफ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने के दावे किए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ जिले में पीएचसी व सीएचसी में स्टाफ की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं नाजुक स्थिति में पहुंच गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 06:00 AM (IST)
70 चिकित्सकों की कमी, लचर हालात में स्वास्थ्य सेवाएं
70 चिकित्सकों की कमी, लचर हालात में स्वास्थ्य सेवाएं

जागरण संवाददाता, करनाल : एक तरफ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने के दावे किए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ जिले में पीएचसी व सीएचसी में स्टाफ की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं नाजुक स्थिति में पहुंच गई हैं। करनाल के नागरिक अस्पताल सहित जिले की 35 सीएचसी और पीएचसी में 70 चिकित्सकों की कमी है। इसके साथ ही कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में भी 50 के करीब चिकित्सकों की कमी है। लिहाजा मरीजों को मजबूरी में निजी अस्पताल में इलाज के लिए जाना पड़ रहा है। चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा स्वास्थ्य विभाग भले ही बेहतर सेवाओं के दावे कर ले, लेकिन हकीकत में देहात व शहर में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं ही बीमार नजर आ रही हैं। नहीं है स्पेशलिस्ट डॉक्टर, रेफर होते हैं मरीज

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जिले में 35 सीएचसी, पीएचसी, दो उपमंडल अस्पताल और एक नागरिक अस्पताल है। इसके साथ ही शहर में मेडिकल कॉलेज है। जिसकी स्थापना के समय दावा किया गया था कि गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज यहां हो सकेगा। साथ ही दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल लोगों को भी चंडीगढ़ या रोहतक पीजीआइ रेफर नहीं किया जाएगा। लेकिन शहर में कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद भी स्थिति अब तक नहीं बदली है। मेडिकल कॉलेज से रोजाना औसतन तीन केस पीजीआइ रेफर किए जाते हैं। न्यूरो सर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट, नेफरोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट की कमी खल रही है। चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे कस्बे व उपमंडल

चिकित्सकों की कमी से करनाल जिले के सभी कस्बे व उपमंडल जूझ रहे हैं। असंध, निसिग, घरौंडा, इंद्री, नीलोखेड़ी व निगदू में चिकित्सकों की कमी होने की वजह से एक ही चिकित्सक पर काम का ज्यादा बोझ रहता है। इसके साथ ही ओपीडी में भी मरीजों की लंबी कतार लगी रहती है। चिकित्सक चाहकर भी सभी मरीजों को पूरा समय नहीं दे पाता। ओपीडी की लंबी कतार देखकर मरीज भी निजी अस्पताल में जाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि सरकारी चिकित्सक कम समय में उनकी बीमारी पर पूरा ध्यान नहीं दे पाएगा। स्टाफ की वजह से ही ऑटो में हुई थी डिलीवरी

शनिवार को काछवा गांव की पीएचसी में स्टाफ की कमी की वजह से गांव की ही गर्भवती महिला निर्मला की ऑटो में ही डिलीवरी करवानी पड़ी थी। क्योंकि सुबह साढ़े सात बजे पीएचसी पर ताला लगा था। इस पीएचसी में भी स्टाफ की कमी है। रात के समय एक ही नर्स ड्यूटी पर थी, उसकी ननद का देहांत होने की वजह से उसे केंद्र से जाना पड़ा था। जबकि कम से कम दो नर्स ड्यूटी पर होनी चाहिए। वर्जन

जिले में 70 चिकित्सकों की कमी है। इस संबंध में मुख्यालय को बताया जा चुका है। खंड अनुसार चिकित्सकों की कमी को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

- डॉ. अश्विनी आहुजा, सीएमओ


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