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फर्जी डिपो बनाकर राशन में घोटाला और मामले को दबाने में जुटे अधिकारी

चहल नाम से बनाए गए डिपो को लेकर खाद्य आपूर्ति विभाग के सीनियर की भूमिका सवालों के घेरे में आ रही है। डिपो कैसे बना क्यों बना और किसने बनाया इसकी जांच करने के बजाय मामले को दबाने की कोशिश हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 09:54 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 09:54 AM (IST)
फर्जी डिपो बनाकर राशन में घोटाला और मामले को दबाने में जुटे अधिकारी

जागरण संवाददाता करनाल : चहल नाम से बनाए गए डिपो को लेकर खाद्य आपूर्ति विभाग के सीनियर की भूमिका सवालों के घेरे में आ रही है। डिपो कैसे बना, क्यों बना और किसने बनाया, इसकी जांच करने के बजाय मामले को दबाने की कोशिश हो रही है। बताया जा रहा है कि यह अकेला डिपो नहीं है। इसी तरह के कई अन्य डिपो भी जिले में चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि फर्जी डिपो के नाम पर ऑनलाइन घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। यह घोटाला कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता कि चहल डिपो के नाम पर अभी तक 481 क्विंटल 65 किलो राशन, सरसों का तेल और चीनी अलॉट की जा चुकी है। यह राशन लगभग 10 लाख का माना जा रहा है।

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इस तरह से होता है यह ऑनलाइन घोटाला

क्योंकि यह डिपो फर्जी है, इसमें जितने भी राशन कार्ड हैं, वह भी फर्जी हैं। सरकारी राशन की अलॉटमेंट निदेशालय से होती है। इस डिपो के एकाउंट में भी राशन अलॉट होता है। इस राशन को विभाग के जिम्मेदार चारों इंस्पेक्टर निजी बाजार में बेच देते हैं। करनाल में विजय के गोदाम में जो 300 क्विंटल अनाज मिला है वह भी इसी तरह से सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी करके निकाला गया है।

ऐसे होता है ऑनलाइन घोटाला

निदेशालय ने तय किया था कि राशन की गड़बड़ी को रोकने के लिए इसकी अलॉटमेंट साफ्टवेयर के माध्यम से की जाए। इसमें हर डिपो में जितने राशन कार्ड पात्र हैं, उनके हिसाब से हर माह राशन अलॉट किया जाता था। अब क्योंकि सीधे-सीधे गड़बड़ी नहीं हो सकती। ऐसे में विभाग के कुछ भ्रष्ट इंस्पेक्टरों ने एक दूसरा रास्ता फर्जी डिपो बनाकर निकाला। इसमें फर्जी राशन कार्ड दिखाकर हर माह राशन निदेशालय से अलॉट हो जाता था। सारा खेल ही फर्जी है, इसलिए कोई इसे पकड़ भी नहीं पा रहा था। दैनिक जागरण सॉफ्टवेयर इंजीनियर की मदद से इस गड़बड़ी की तह में गया। इसके बाद सिलसिलेवार ऑनलाइन राशन वितरण घोटाला उजागर हुआ।

चहल डिपो की जांच शुरू: डीएफएससी

डीएफएससी अनिल कुमार ने बताया कि मशीन नंबर 107400300274 की जांच शुरू कर दी है। यह भी देखा जा रहा है कि इस बायोमैट्रिक मशीन से 107400300139 में कैसे गया। इसके लिए स्पेशल ऑडिट शुरू कर दिया गया है। डिपो कैसे बना, क्यों बना इसके लिए चारों इंस्पेक्टरो को नोटिस जारी कर दिया है। उनका जवाब आने के बाद निदेशालय के निर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। पूरे मामले का स्पेशल ऑडिट निदेशालय के दिशानिर्देश में कराया जा रहा है।


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