प्रकृति सतगुण का खजाना : आचार्य विष्णुमित्र
आर्य केंद्रीय सभा की ओर से मनाए जा रहे ऋषि जन्मोत्सव एवं बोधोत्सव वीरवार को आचार्य विष्णु मित्र विद्यार्थी के ब्रह्मात्व एवं पंडित राजीव आर्य और पंडित शिव प्रसाद के सहयोग से संपन्न हुआ।
जागरण संवाददाता, करनाल: आर्य केंद्रीय सभा की ओर से मनाए जा रहे ऋषि जन्मोत्सव एवं बोधोत्सव वीरवार को आचार्य विष्णु मित्र विद्यार्थी के ब्रह्मात्व एवं पंडित राजीव आर्य और पंडित शिव प्रसाद के सहयोग से संपन्न हुआ।
प्रथम बैठक उपासना सम्मेलन के रूप में आयोजित की गई। बैठक के मुख्य अतिथि सुभाष चौधरी एवं अध्यक्ष शांति प्रकाश आर्य थे। आचार्य विष्णुमित्र विद्यार्थी ने कहा कि इस संसार में तीन पदार्थ सदा हैं और रहेंगे। वह है ईश्वर, जीव आत्मा और प्रकृति। हमारा मन तीन चीजों सत, रज और गुण से बना है। प्रकृति सतगुण का खजाना है। सतगुण से शांति मिलती है। यह ज्ञान का वाहक है। आचार-विचार से ही मन चंचल बनता है। उन्होंने कहा कि मन से, वचन से, कर्म से एक सा व्यवहार करना ही उपासना है। स्वामी सम्पूर्णानंद ने कहा कि पहली शक्ति परमेश्वर दूसरी शक्ति प्रकृति है और तीसरी शक्ति जीव है। उपासना का अर्थ है ईश्वर और अपने मध्य की दूरी को खत्म करना। खुली आंखों से संसार और बंद आंखों से संसार बनाने वाले को देखना ही उपासना है। भजनोपदेशक श्री योगेश दत्त आर्य ने ईश्वर भक्ति एवं ऋषि भक्ति के भजनों द्वारा उपस्थित आर्यजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सायंकाल की बैठक मातृशक्ति, सीता अष्टमी सम्मेलन के रूप में आयोजित की गई। इस सम्मेलन को मुख्य अतिथि मेयर रेनू बाला गुप्ता और अध्यक्षा पानीपत से निर्मल दत्त थी। मुख्य मेयर ने कहा कि महर्षि दयानंद की प्रेरणा से ही आज महिलाओं को समाज में सम्मान प्राप्त हो रहा है। इसलिए हम सब का यह कर्तव्य बनता है कि हम महर्षि स्वामी दयानंद के बताए आदर्शो और दिखाए मार्ग को आगे बढ़ाए।