रोडवेज टिकट फजर्ीेवाड़ा : हमदम प्रिटिग प्रेस संचालक ने बदले बयान
रोडवेज में टिकट फर्जीवाड़े की जांच कर रही विजिलेंस सोमवार दोपहर बाद बस स्टैंड पहुंची। इंस्पेक्टर बलवान की अध्यक्षता में आई टीम ने इस बार भी हमदम प्रिटिग प्रेस के संचालक कुलदीप को बुलाया। सूत्रों के मुताबिक बंद कमरे में हुए बयान में इस बार पिछले बयानों से पलट गए। विजिलेंस ने दूसरी बार कुलदीप के बयान लिए हैं।
जागरण संवाददाता, करनाल : रोडवेज में टिकट फर्जीवाड़े की जांच कर रही विजिलेंस सोमवार दोपहर बाद बस स्टैंड पहुंची। इंस्पेक्टर बलवान की अध्यक्षता में आई टीम ने इस बार भी हमदम प्रिटिग प्रेस के संचालक कुलदीप को बुलाया। सूत्रों के मुताबिक बंद कमरे में हुए बयान में इस बार पिछले बयानों से पलट गए। विजिलेंस ने दूसरी बार कुलदीप के बयान लिए हैं। इसके बाद टीएम संजय रावल, लेखाधिकारी राजकुमार कौशल और नाजर के भी बयान लिए हैं। यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद टीम सवा चार बजे बस स्टैंड से चली गई। हालांकि हड़ताल के दौरान जीएम रहे प्रद्युमन सिंह को बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं पहुंच सके। अगली विजिट में उनके बयान दर्ज किए जाएंगे।
यह है मामला
16 अक्टूबर से 2 नवंबर 2018 तक रोडवेज कर्मचारियों की तरफ से अनिश्चितकालीन हड़ताल की गई। ऐसे में स्थानीय अधिकारियों ने प्रशिक्षण, आउटसोर्सिग पर लगे स्टाफ को कंडक्टर के रूप में तैयार किया और पुलिस, फायर ब्रिगेड, सिटी बस सर्विस, स्कूल बसों के ड्राइवरों को बुलाया गया। इनको रोडवेज की टिकटें इसलिए नहीं दे पाए कि ऑनलाइन सिस्टम में परमानेंट कर्मचारियों के नाम से ही टिकटें इश्यू की जाती हैं। बुकिग ब्रांच ने रोडवेज टिकटों को जारी नहीं किया। ऐसे में स्थानीय अधिकारियों ने लोकल स्तर पर दूसरी टिकटों को छपवाया था। 18 अक्टूबर से 27 अक्टूबर तक स्थानीय प्रिटिग मशीन से लगभग 80 हजार रुपये में करीब 94 लाख रुपए की टिकटें छपवाई गई। इन 94 लाख की टिकटों में से 57 लाख रुपये की राशि विभाग ने मुख्यालय को जमा करा दी थी, बाकी टिकटें नहीं मिलने पर सवाल खड़े हुए थे।