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पड़ोस में दिल्ली की मंडी का लाभ उठाएं किसान, बागवानी को अपनाएं : रमेश चंद

नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने कहा कि हरियाणा के किसानों को पड़ोस में दिल्ली होने का लाभ लेना चाहिए। दिल्ली की मंडी के मद्देनजर बागवानी को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही डेयरी की ओर कदम बढ़ाने चाहिए। उन्हें परंपरागत खेती को छोड़कर फसल विविधिकरण की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य की ओर कारगरता के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने सीएसएसआरआइ की स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित तीन दिवसीय स्वर्ण जयंती अंतरराष्ट्रीय लवणता कांफ्रेंस के समापन पर विचार व्यक्त किए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Feb 2019 08:22 AM (IST)Updated: Sun, 10 Feb 2019 08:22 AM (IST)
पड़ोस में दिल्ली की मंडी का लाभ उठाएं किसान, बागवानी को अपनाएं : रमेश चंद
पड़ोस में दिल्ली की मंडी का लाभ उठाएं किसान, बागवानी को अपनाएं : रमेश चंद

जागरण संवाददाता, करनाल : नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने कहा कि हरियाणा के किसानों को पड़ोस में दिल्ली होने का लाभ लेना चाहिए। दिल्ली की मंडी के मद्देनजर बागवानी को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही डेयरी की ओर कदम बढ़ाने चाहिए। उन्हें परंपरागत खेती को छोड़कर फसल विविधिकरण की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य की ओर कारगरता के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने सीएसएसआरआइ की स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित तीन दिवसीय स्वर्ण जयंती अंतरराष्ट्रीय लवणता कांफ्रेंस के समापन पर विचार व्यक्त किए। कहा कि इस संस्थान ने पिछले पांच दशकों में विपरीत परिस्थितियों में 2.14 मिलियन हेक्टेयर लवणीय मृदाओं को सुधार कर सराहनीय कार्य किया है।

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गरीब किसानों को ध्यान में रखकर कम लागत वाली तकनीक करें विकसित

प्रो. रमेश चंद ने कहा कि लवणीय मृदाओं में परंपरागत फसलों के अतिरिक्त फल उत्पादन पर भी ध्यान देना होगा। इस समय जल के संसाधन कम हो रहे हैं। इसलिए लवणीय मृदाओं में ऐसी फसलें उगानी चाहिए, जिनमें जल का प्रयोग कम से कम हो। उन्होंने जैविक खेती का प्रयोग करने पर भी बल दिया। कृषि अवशिष्ट पदार्थो को न जलाकर कृषि में ही प्रयोग करना चाहिए इसलिए कृषि के अपशिष्ट पदार्थों की जैविक खाद ( कंपोस्ट) बनाकर प्रयोग करने की सलाह दी। उन्होंने कृषि ज्ञान केंद्रों के महत्व पर बल दिया और कहा कि प्रौद्योगिकियों के प्रचार-प्रसार को किसानों तक पहुंचाने में ये केंद्र सहायक सिद्ध हो रहे है। उन्होंने आह्वान किया कि वैज्ञानिक लवणीय और क्षारीय मृदाओं की समस्याओं के निदान के लिए कम लागत वाली तकनीकों का विकास करें ताकि गरीब से गरीब किसान भी इनका लाभ उठा सके।

लवणग्रस्त मृदाओं के सुधार में वैज्ञानिकों ने दिया अहम योगदान : डॉ. चौधरी

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक डॉ. एसके चौधरी ने कहा कि लवणग्रस्त मृदाओं के सुधार करने में संस्थान के वैज्ञानिकों ने अहम योगदान किया है। लवणग्रस्त मृदाओं के अतिरिक्त भूमिगत लवणीय जल एक गंभीर समस्या है। विश्व स्तर पर लवणता समस्या एक गंभीर रूप धरण कर रही है। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि वह किसानों की समस्याओं का उनके खेतों में जाकर समाधान करें। भारतीय मृदा लवणता एवं जल गुणवत्ता सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. प्रबोध चंद्र शर्मा ने संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न प्रौद्योगिकियों के विषय में विस्तार से जानकारी दी। इन प्रौद्योगिकियों की ओर से अब तक 2.14 मिलियन हेक्टेयर मृदाओं का सुधार कर दिया गया है।

डॉ. भास्कर को मिला यंग वैज्ञानिक अवॉर्ड

कांफ्रेंस में 17 देशों के 275 वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। कांफ्रेंस में 11 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इनमें नई-नई शोध योजनाओं की संस्तुति की गई है। इन संस्तुतियों को स्वीकृति के लिए उच्च अधिकारियों को भेजा जाएगा। इस अवसर पर कई प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया। डॉ. भास्कर नर्जरी को यंग वैज्ञानिक अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। सह संयोजक सचिव डॉ. आरके यादव ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।


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