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आत्मा और परमात्मा का मिलन है राजयोग : प्रेम

जागरण संवाददाता, करनाल : कुमारी बीके प्रेम ने कहा कि राजयोग सबसे श्रेष्ठ योग है। यह आत्म

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 06:02 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 06:02 PM (IST)
आत्मा और परमात्मा का मिलन है राजयोग : प्रेम
आत्मा और परमात्मा का मिलन है राजयोग : प्रेम

जागरण संवाददाता, करनाल :

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कुमारी बीके प्रेम ने कहा कि राजयोग सबसे श्रेष्ठ योग है। यह आत्मा और परमात्मा का मिलन है। राजयोग में अन्य सभी योग समाए हुए हैं। राजयोग का सबसे सहज अर्थ है अपने विचारों का प्रबंधन अर्थात बिना अन्य विचारों के हस्तक्षेप के जब चाहे जैसा चाहे वैसा सोचने की शक्ति प्राप्त करना। बीके प्रेम ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वद्यालय सेक्टर छह में आयोजित कार्यक्रम में यह विचार रखे। उन्होंने कहा कि योग कई प्रकार के होते हैं राजयोग, हठयोग, ज्ञान योग और भक्ति योग। यदि योग ईश्वर से है तो राजयोग और श्वास से है तो प्राणायाम। भौतिक शरीर से है तो हठयोग कहा जाता है। पतंजलि योग समिति से पहुंचे योग शिक्षक केहर ¨सह चोपड़ा ने योग क्रियाओं का अभ्यास करवाया। उन्होंने कहा कि अष्टांग योग का अंतिम लक्ष्य निस्संकल्प समाधिन, निर्विकल्प समाधि था पर उसकी प्राप्ति में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा एवं समाधि की सीढि़यों से गुजरना आवश्यक है। अंतिम लक्ष्य कठिन था इसलिए लोगों ने इसको आसन, प्राणायाम आदि शारीरिक अभ्यास तक ही सीमित समझ लिया। शारीरिक योग से तन की सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं। इस अवसर पर बीके मेहरचंद, हरिकिशन नारंग, ओमप्रकाश, बलजीत, बलवंत ¨सह, सुभाष, पंकज बहन व दुर्गा मौजूद रहीं।


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