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भैंस चोर गिरोह पर शिकंजा कसने में पुलिस नाकाम, रातभर पशुपालक खुद ही पहरेदारी करने को मजबूर

घर हो या दुकान कार्यालय हो या फैक्ट्री चोर हर जगह सेंध लगाने में कामयाब हो रहे हैं। इसके साथ ही पशु चोर भी पूरी तरह से सक्रिय है। जो जिलाभर में धड़ल्ले से भैंस चोरी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। भैंस बाहर खुले में बांधी हुई हो या फिर पशुपालक द्वारा अपने बाड़े में कहीं पर भी सुरक्षित नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Oct 2021 06:14 AM (IST)Updated: Sun, 10 Oct 2021 06:14 AM (IST)
भैंस चोर गिरोह पर शिकंजा कसने में पुलिस नाकाम, रातभर पशुपालक खुद ही पहरेदारी करने को मजबूर

जागरण संवाददाता, करनाल : घर हो या दुकान, कार्यालय हो या फैक्ट्री, चोर हर जगह सेंध लगाने में कामयाब हो रहे हैं। इसके साथ ही पशु चोर भी पूरी तरह से सक्रिय है। जो जिलाभर में धड़ल्ले से भैंस चोरी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। भैंस बाहर खुले में बांधी हुई हो या फिर पशुपालक द्वारा अपने बाड़े में, कहीं पर भी सुरक्षित नहीं है। हालात ये हैं कि पिछले एक सप्ताह के दौरान करीब 15 वारदातों को अंजाम दिया जा चुका है। जबकि पिछले माह भी 25 से अधिक वारदातें की गई थी। पुलिस की अनदेखी के चलते चोरों के हौसले लगातार बुलंद हो रहे हैं। यहां तक कि पशुपालकों के सामने से ही पशु चोरी किए जाने लगे हैं। विरोध करने पर हमला भी कर दिया जाता है। चोर पुलिस को भी चुनौती दे रहे हैं तो पशुपालक अब रात भर खुद ही पहरेदारी करने को मजबूर हो रहे हैं। इसके साथ ही सवाल उठाने लगे हैं कि जब भैंस भी इस तरह से चोरी की जाने लगी है तो नकदी व जेवरात कैसे सुरक्षित बच सकते हैं।

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पशु पालकों की मानें तो पशु चोर गिरोह होने से इंकार नहीं किया जा सकता। कभी भैंस खरीद के बहाने तो कभी अन्य तरीके से पहले रेकी कर ली जाती है और वारदात को अंजाम दे दिया जाता है। पुलिस महज वारदात के बाद आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज करने तक ही सिमट कर रह गई है। सामान्य तौर पर भी एक भैंस की कीमत करीब एक लाख रुपये तक मानी जाती है। ऐसे में पशुपालक के लिए एक भैंस चोरी हो जाना ही किसी बड़े नुकसान से कम नहीं है। पशुपालक कुटेल के राजू, बांसा के अत्तर सिंह, सालवन के सुरेंद्र कुमार आदि का कहना है कि पुलिस सक्रिय हो तो ऐसी वारदातों पर अंकुश लग सकता है। बढ़ती वारदातों के चलते अब वे खुद ही रात भर जागकर पशुओं की रखवाली करते हैं।

पीड़ित पशुपालकों की जुबानी, वारदातों की कहानी

गांव कतलाहेड़ी वासी चंद्रपाल कहते हैं कि चार दिन पहले रात को चोर भैंसों को चुरा रहे थे। अचानक बच्चा रोने पर उसकी मां की नींद खुली तो पीछे बंधी तीन भैंसों को चोरी करते हुए चोर दिखाई दिए। शौर मचाने पर वे भैंस छोड़कर अपनी गाड़ी लेकर फरार हो गए। उसने अपने बेटे के साथ उनका करीब दो किलोमीटर तक पीछा किया, लेकिन उन्होंने पहले गाड़ी पीछे कर बाइक को टक्कर मारने का प्रयास किया और फिर ईटों से उन पर हमला कर दिया और फरार हो गए।

सात अक्तूबर को चुरा ली भैंस : मूलचंद

नलीकलां वासी मूलचंद का कहना है कि सात अक्तूबर रात के समय चोरों ने उसकी एक भैंस चोरी कर ली। उसने गांव में लगा एक सीसीटीवी कैमरा देखा तो उसमें करीब दो बजे एक व्यक्ति भैंस ले जाते हुए दिखाई दिया। पुलिस को शिकायत दी है, लेकिन चोर का अभी तक पता नहीं लग सका।

चार अक्तूबर को हुई भैंस चोरी : बलवान सिंह

गांव बांसा के रहने वाले बलवान सिंह बताते हैं कि चार अक्तूबर को वह रात को चारा डालकर सो गया था। अल सुबह तीन बजे उठा तो भैंस नहीं थी। उसने आसपास तलाश की, लेकिन कोई पता नहीं चल सका। पुलिस ने भी शिकायत के बाद मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन भैंस चोरी से उसे भारी नुकसान हुआ है।

चार अक्तूबर की रात को गायब मिली भैंस : ईशमा राम

बांसा के ही रहने वाले ईशमा राम का कहना है कि चार अक्तूबर को ही रात करीब ढाई बजे उसकी नींद खुली तो भैंस नहीं थी। किसी ने उसे चोरी कर लिया था। यह देख वह सन्न रह गया और तभी गुरुद्वारे से मुनादी भी कराई, लेकिन आरोपित का कोई पता नहीं चल पाया। बाद में पुलिस को शिकायत देकर कार्रवाई की गुहार लगाई।


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