मंगल कॉलोनी में लोगों को लगता है डर, कहीं बारिश में डूब न जाए आशियाना
1200 करोड़ की लागत से शहर को स्मार्ट बनाए जाने की योजना है। अधिकारी हो या नेता शहर के विकास को लेकर कई बैठकें कर चुके हैं।
जागरण संवाददाता, करनाल : 1200 करोड़ की लागत से शहर को स्मार्ट बनाए जाने की योजना है। अधिकारी हो या नेता शहर के विकास को लेकर कई बैठकें कर चुके हैं। धरातल पर जाकर सच जानना है तो एक बार मंगल कॉलोनी में झांकना चाहिए। दैनिक जागरण संवाददाता ने जब वहां के हालात जाने तो लोग सिटी का हिस्सा होने के बावजूद स्मार्टनेस से कोसों दूर मिले। यहां की मुख्य समस्या सीवरेज लाइन की है।
हरीश, मोहन, कमलेश, गोपाल ने बताया कि उनकी कॉलोनी वार्ड नंबर-6 के अधीन आती है। कई बार पार्षद और निगम अधिकारियों के पास भी फरियाद लेकर गए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आज आलम ये है कि अधिकतर मकान गलियों से करीब 4 फुट नीचे चले गए हैं। सीवरेज लाइन अभी भी 25 साल पुरानी ही है। निगम अधिकारियों की लापरवाही का पता इसी से चलता है कि उसने बिना नई सीवरेज लाइन बिछाए कॉलोनी में गलियों का निर्माण करवा दिया। बारिश के दिनों में सभी घरों में बरसाती पानी दस्तक देता है। इतिहास--
आजादी के बाद से कॉलोनी अस्तित्व में है। कॉलोनी में बहुत पुराना भगवान हनुमान का मंदिर है, जिनके नाम पर ही कॉलोनी का नाम पड़ा है। शुरुआत में यहां कुछ एक परिवार ही रहते थे, लेकिन अब यहां साढ़े चार सौ के करीब मकान बन चुके हैं। कालोनी में 1200 के करीब मतदाता और 2 हजार के आसपास आबादी है। अधिकतर लोग मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखते है। कालोनी की साक्षरता दर भी काफी कम है। जागरण सुझाव--
1. कॉलोनी में नई सीवरेज लाइन प्राथमिकता के आधार पर बिछाई जाए।
2. कॉलोनी में गलियों के बीचों-बीच खड़े बिजली के पोल को साइड में लगवाया जाए।
3. कॉलोनी में रोजाना नगर निगम को कूड़ा ले जाने वाली गाड़ी को भेजना चाहिए।
पिछले सात माह से नहीं भरे जा रहे पानी-सीवर के बिल
स्थानीय निवासी श्यामलाल धीमान ने बताया कि करीब सात माह से पानी सीवर के बिल कॉलोनी में नहीं बांटे गए है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग में जाते हैं तो अधिकारी बोलते हैं कि निगम में जाओ, वहां जाते है तो कोई सुनवाई नहीं होती है। बेवजह कॉलोनी वासियों को परेशान किया जाता है। जनस्वास्थ्य विभाग को लेना होगा फैसला
रामपाल ने बताया कि नगर निगम की कारगुजारी किसी से छुपी नहीं, जिस तरह हुड्डा सेक्टर वासियों ने दुखी होकर निगम से जान छुड़ाई थी। इसी तरह शहर के लोगों को सीवर समस्या के हल के लिए जनस्वास्थ्य विभाग के मुलाजिमों को अपना सिस्टम चालू करवाना होगा। तभी कॉलोनी में सालों पुरानी सीवरेज लाइन बिछाने का समस्या का समाधान होगा। चुनाव के बाद निगम देगा झटका
बिट्टू शर्मा ने बताया कि नगर निगम जानबूझकर पानी सीवरेज के बढ़े हुए बिल लोगों को जारी नहीं कर रहा। चुनाव का समय होने के कारण लोगों को बढ़े हुए बिल के झटके से अनजान रखा हुआ है। लोगों की समझ में नहीं आ रहा कि आठ माह से पानी-सीवरेज के बिल घरों तक क्यों नहीं पहुंच रहे। चुनाव खत्म होते ही लोगों को नगर निगम के अधिकारियों का असली चेहरा दिखाई देगा। अधिकारी नहीं सुनते फरियाद
अशोक ने बताया कि पानी-सीवर के नए कनेक्शन लेने के लिए दो माह से क्षेत्र के लोग नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं। निगम कमिश्नर लोगों की समस्याओं से जानबूझकर अनजान बन रहे हैं। लोग अर्जी देने जाते हैं तो मुलाजिम वेबसाइट न चलने का बहाना बनाकर बैरंग लौटा देते हैं। कॉलोनी में नई सीवरेज लाइन बिछाने का काम कोई करवाना ही नहीं चाहता। जिम्मेदारी को समझनी चाहिए जिम्मेदारी
सतपाल ने बताया कि पुराना सिस्टम तो निगम से संभल नहीं रहा है, नई लाइन कहां से बिछाएंगे। पूर्व विधायक सुमिता सिंह को सीवरेज लाइन बिछवाने के लिए कई बार कॉलोनी वासी मिले। वो खुद भी यहां स्थिति का जायजा लेने आई। तब नहीं कुछ किया। अब कोई क्या करेगा। जिम्मेदार लोगों को कॉलोनी के लोगों की समस्या को देखते हुए तुरंत प्रभाव से कालोनी में सीवरेज लाइन बिछाने का काम शुरू करवाना चाहिए। जल्द मिलेगी राहत
वार्ड नंबर-6 के पार्षद नीलम रानी ने बताया कि आचार संहिता के हटते ही इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे। कॉलोनी के लोगों की जो भी समस्याएं है, उनको हल करना हमारी प्राथमिकता है।