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मंडी में फर्जी गेट पास से धान का खेल, जिम्मेदार खामोश

जागरण संवाददाता, करनाल स्थानीय अनाज मंडी में फर्जी गेट पास बनवाने के लिए कुछ आढ़तियों ने एक ट्रैक्टर-ट्राली चालक को किराये पर लिया। यह चालक अलग-अलग गेट पर धान की आवक दर्ज करा रहा था। इसकी भनक लगते ही पुलिस ने उसे हिरासत में लिया। पूछताछ की, लेकिन नाटकीय ढंग से उसे दाएं-बाएं कर दिया। वह भी तब जब तीन-तीन एजेंसियां इसके लिए जिम्मेदार हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 02:12 AM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 02:12 AM (IST)
मंडी में फर्जी गेट पास से धान का खेल, जिम्मेदार खामोश
मंडी में फर्जी गेट पास से धान का खेल, जिम्मेदार खामोश

जागरण संवाददाता, करनाल

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स्थानीय अनाज मंडी में फर्जी गेट पास बनवाने के लिए कुछ आढ़तियों ने एक ट्रैक्टर-ट्राली चालक को किराये पर लिया। यह चालक अलग-अलग गेट पर धान की आवक दर्ज करा रहा था। इसकी भनक लगते ही पुलिस ने उसे हिरासत में लिया। पूछताछ की, लेकिन नाटकीय ढंग से उसे दाएं-बाएं कर दिया। वह भी तब जब तीन-तीन एजेंसियां इसके लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में चालक का गायब होना आढ़ती, मंडी कमेटी और पुलिस पर ऐसे गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है, जो सीधे बड़े धान घोटाले से जुड़ते नजर आ रहे हैं। क्यों चक्कर लगा रहा था ट्राली चालक

मंडी में जब भी किसान अनाज लेकर आता है तो उसे गेट पर पास दिया जाता है। यह इसलिए होता है, जिससे कि आढ़ती दूसरे राज्य या बाहर की फसल को न बेचने पाए। अब होता यह है कि किसान गेट पर धान का जो वजन बताता है,आमतौर पर वहीं मान लिया जाता है। इस केस में ट्राली चालक बार-बार चक्कर लगाकर हर बार गेट पास ले रहा था। इससे यह दिखाया जाए कि मंडी में धान ज्यादा आया है। तो इससे आढ़तियों का फायदा क्या?

जिन आढ़तियों ने इसे ट्राली चालक को हायर कर रखा था, वह सारे गेट पास उन्हें दे देगा। इधर, आढ़ती के पास बाहर के राज्य की या पूरी किसी दूसरे रास्ते से धान होगी, वह उसे किसानों के नाम पर सरकार को बेच देगा, क्योंकि उसे खुद ही जे फार्म काटना होता है। इसलिए कोई चेक भी नहीं करेगा। इसमें गड़बड़ी क्या है?

दूसरे राज्यों से आता है धान

प्रदेश में धान का रेट तय है। ए ग्रेड धान प्रति क्विंटल 1770 और बी ग्रेड 1750 रुपये है। यूपी और दूसरे राज्यों में धान की सरकारी खरीद नहीं होती। अब यहां के आढ़ती वहां सस्ते दाम पर धान खरीद कर यहां सरकारी खरीद में बेच देते हैं। इस तरह से प्रति क्विंटल 200 रुपये से लेकर पांच सौ रुपये तक का मुनाफा कमा लेते हैं। फिर नुकसान क्या है

न्यूनतम समर्थन मूल्य किसान को इसलिए दिया जाता है, जिससे कि उन्हें आर्थिक मदद मिलती रहे। इस पर सरकार को काफी खर्च करना पड़ता है। सरकार की जिम्मेदारी होती है कि तय रेट पर धान खरीदी जाए। इस धान का क्या करना है यह भी सरकार तय करती है। यदि ज्यादा धान हो तो सरकार को ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। यहीं वजह है कि सरकार चाहती है कि सरकारी खरीद बंद हो। यदि ऐसा हुआ तो इससे सीधे-सीधे किसानों की आर्थिक स्पोर्ट सिस्टम खत्म हो सकता है। घटतौली कर किसानों को लूटा जाता है

जब धान तौला जाता है तो इसमें घटतौली कर किसानों को लूटने का काम किया जाता है। सरकारी खरीद में धान आढ़ती के नाम से जाती है। अब यदि किसान धान लेकर तो सौ क्विंटल आया। तौल में यह 95 क्विंटल रही। किसान को जे फार्म तो दिया जाएगा 95 क्विंटल का। सरकारी खरीद का पैसा आढ़ती के खाते में आता है। आढ़ती पांच क्विंटल धान का पैसा अपने पास रख कर बाकी किसान को दे देता है। किसान को सीधे नुकसान होता है

किसान को तो पांच क्विंटल की चपत लग गई। इसलिए उसे सीधे नुकसान होता है। यही वजह है कि नमी के नाम पर जो काट लगती है, इसमें भी बड़ा खेल यही रहता है कि किस तरह से किसान के धान का वजन कम किया जाए। देखने में यह बहुत ही छोटा सा जान पड़ता है, लेकिन जब खरीद लाखों क्विंटल की हो तो यही छोटा सा खेल करोड़ों का घोटाला बन जाता है। ये तीन किरदार रोक सकते हैं गडबड़ी

1. मार्केट कमेटी

मंडी में आने वाली धान पर नजर रखने की जिम्मेदारी मार्केट कमेटी के अधिकारियों की होती है। अब यदि कमेटी के अधिकारी सही से काम करें तो गड़बड़ी रोकी जा सकती है, क्योंकि मंडी में कितना धान आया। कौन लेकर आया। यह सब कुछ कमेटी की ओर से किया जाता है। 2. खाद्य आपूर्ति विभाग

मंडी में सरकारी खरीद में खाद्य आपूर्ति विभाग की सीधी जिम्मेदारी होती है। इस विभाग की मिलीभगत के बिना आढ़ती गड़बड़ी कर ही नहीं सकते। क्योंकि इन्हें पता होता है कि जो धान खरीदा जा रहा है, वह किसान का है या नहीं। खरीद का सारा रिकार्ड भी यहीं तैयार करते हैं। 3. खरीद एजेंसियां

धान खरीद में सरकारी एजेंसियां सीधे भागीदारी करती है। अब यदि खरीद एजेंसी का प्रतिनिधि इस गड़बड़ी को रोकना चाहे तो आसानी से रोकी जा सकती है। पर क्योंकि कुछ प्रतिनिधि भी इस खेल में शामिल होते हैं। इसलिए वे जानबूझ कर इस ओर ध्यान नहीं देते। बड़ा सवाल : ट्राली वाला गायब हुआ या किया गया

ट्राली वाला गायब हुआ नहीं उसे किया गया। यदि वह पकड़ा जाता तो उन आढ़तियों के नाम खुल जाते जो उससे गेट पास बनवा रहे थे। आढ़ती पकड़ में आते तो मार्केट कमेटी और खाद्य आपूर्ति विभाग के वह अधिकारी और कर्मचारी एक्सपोज होते जो इस घोटाले में शामिल है। इसलिए सभी ने मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर चालक को गायब किया है। यह बाक्स अलग से लगाएं

शनिवार को पकड़ा गया था ट्रैक्टर-ट्राली चालक

शनिवार को नई अनाज मंडी में कई गेट पास बना चुके ट्रैक्टर-ट्राली चालक को लोगों की शिकायत पर पुलिस ने पकड़ा था। पुलिस कर्मचारियों ने उससे पूछताछ करते हुए थप्पड़ भी रसीद किया था। लोगों के सामने उसे धमकाते हुए पुलिस कर्मचारी अपने साथ ले गए थे। चालक को पकड़े पुलिस कर्मचारियों की वीडियो शनिवार को वायरल हुई थी। एक दिन में ही ऐसी सांठगांठ हुई कि अब इस व्यक्ति के बारे में कोई कुछ नहीं जानता। जानिये क्या कह रहे हैं जिम्मेदार

ऐसा कोई केस उनके पास नहीं आया-एसएचओ

नई अनाज मंडी सिटी पुलिस थाने के दायरे में आती है। इस संबंध में सिटी

एसएचओ इंस्पेक्टर हर¨जद्र ¨सह ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी

नहीं है। वह पता करके बताते हैं। सात मिनट बाद उनसे दोबारा इस मामले में फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई केस उनके पास नहीं आया। मंडी से जुड़ा मामला है तो इसके बारे में सेक्टर चार पुलिस चौकी ही बता सकती है। ट्रैक्टर-ट्राली चालक के बारे में अब कुछ नहीं पता-चौकी इंचार्ज

सेक्टर चार पुलिस चौकी इंचार्ज अनिल कुमार से बातचीत की गई तो पहले तो उन्होंने कहा कि वह चौकी में अनाज मंडी से कोई ट्रैक्टर ट्राली या चालक को नहीं लेकर आए थे। उनसे जब पूछा गया कि शनिवार को मंडी तो पुलिस कर्मचारी एक ट्रैक्टर-ट्राली को धमका रहे थे और उससे कड़ाई से बातचीत भी कर रहे थे। इस पर उन्होंने कहा कि शनिवार को मार्केट कमेटी से फोन आया था

और पुलिस भेजने के लिए उनसे कहा गया। उन्होंने मंडी कर्मचारियों को बताया कि मंडी में राइडर तैनात है, वह आ जाएगी। इसके बाद राइडर पर तैनात कर्मचारी से बातचीत की गई तो उसने बताया कि एक व्यक्ति ट्रैक्टर-ट्राली चलाकर मंडी के अंदर-बाहर चक्कर लगा रहा था। जब तक वह वहां पहुंचे तो वह व्यक्ति ट्रैक्टर-ट्राली सहित चला गया था। मंडी में चालक कहीं मिल जाएगा तो करेंगे पूछताछ : मार्केट कमेटी सचिव

मार्केट कमेटी सचिव सुंदर ¨सह से उनके कार्यालय में जाकर मुलाकात की गई। उन्होंने दो दिन पहले ही करनाल मंडी का अतिरिक्त कार्यभार संभाला है। उन्होंने अनजान बनाए जा रहे उस ट्रैक्टर-ट्राली चालक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस चालक ने एक गेट पास हासिल कर लिया था और दूसरा पास लेने के अन्य गेट पर गया तो उसे पकड़ लिया गया था। एक तरह से गलत काम होने से पहले ही रोक लिया गया। इसी बीच उसने किसी ने उसकी वीडियो बना ली। वीडियो में उसने जो उसने आढ़ती व दुकान नंबर के बारे बताया, वह गलत निकली है। उस व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं बनती। यदि हमें यह पता लग जाए कि यह काम कौन करवा रहा था, उस आढ़ती के खिलाफ कार्रवाई जरूर करेंगे। ट्रैक्टर-ट्राली वाले का कल के बाद अब कुछ पता भी नहीं है। उसे देख रहे हैं, मंडी में कहीं मिल जाए तो बात करेंगे।


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