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अमर फल के वापस आने पर राजा भृतहरि समझे पिगला की सच्चाई और भाई विक्रमादित्य का प्यार

कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय कुरुक्षेत्र द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय रत्नावली युवा सांग महोत्सव वीरवार को गांव भैणी खुर्द के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Mar 2019 08:26 AM (IST)Updated: Fri, 01 Mar 2019 08:26 AM (IST)
अमर फल के वापस आने पर राजा भृतहरि समझे पिगला की सच्चाई और भाई विक्रमादित्य का प्यार

जागरण संवाददाता, करनाल : कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय कुरुक्षेत्र द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय रत्नावली युवा सांग महोत्सव वीरवार को गांव भैणी खुर्द के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में मनाया गया। एसडी कॉलेज अंबाला की टीम ने मांगे राम द्वारा रचित सांग पिगला भृतहरि का मंचन किया।

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सांग का भावमय मंचन करते हुए कलाकारों ने दर्शाया कि उज्जैन के प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य के भाई का नाम राजा भृतहरि था। किसी समय में राजा भृतहरि बहुत ज्ञानी राजा थे, लेकिन वे दो पत्नियां होने के बावजूद भी पिगला नाम की अति सुंदर राजकुमारी पर मोहित गए। राजा ने पिगला को तीसरी पत्नी बनाया। वे पिगला के मोह में उसकी हर बात को मानते और उसके इशारों पर काम करने लगे। पिगला इसका फायदा उठाकर व्यभिचारिणी हो गई। वह घुड़साल के रखवाले से ही प्रेम करने लगी। उस पर मोहित राजा इस बात और पिगला के बनावटी प्रेम को जान ही नहीं पाए। जब छोटे भाई विक्रमादित्य को यह बात मालूम हुई और उन्होंने बड़े भाई के सामने इसे जाहिर किया, तब भी राजा ने पिगला की चालाकी भरी बातों पर भरोसा कर विक्रमादित्य के चरित्र को ही गलत मान राज्य से निकाल दिया।

बरसों बाद पिगला की चरित्रहीनता तब उजागर हुई, जब एक तपस्वी ब्राह्मण ने घोर तपस्या से देवताओं से वरदान में मिला अमर फल (जिसे खाने वाला अमर हो जाता है) राजा को भेंट किया। राजा पिगला पर इतने मोहित थे कि उन्होंने वह फल उसे दे दिया, ताकि वह फल खाकर हमेशा जवान और अमर रहे और राजा उसके साथ रह सकें। राजा से मिला यह फल पिगला ने घुड़साल के रखवाले को दे दिया। उस रखवाले ने उसे वेश्या को दे दिया, जिससे वह प्रेम करता था। वेश्या यह सोचकर कि इस अमर फल को खाने से जिदगी भर वह पाप कर्म में डूबी रहेगी, राजा को यह कहकर भेंट करने लगी कि आपके अमर होने से प्रजा भी लंबे वक्त तक सुखी रहेगी। पिगला को दिए उस फल को वेश्या के पास देख राजा भृतहरि के होश उड़ गए। उनको भाई की बातें और पिगला का विश्वासघात समझ में आ गया। राजा भृतहरि की आंखें खुली और पिगला के लिए घृणा भी जागी। आज का बोल्या याद राखिये विक्रम भाई का.

कार्यक्रम में डॉ. सैनी की रागणी आज का बोल्या याद राखिये विक्रम भाई का. व एसडी कॉलेज के विद्यार्थियों की प्रस्तुति भाई रै मेरे लाडै कैरणिये मरगे. पर सभी भावुक हो गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता डीएवी पीजी कॉलेज प्रबंधक समिति के सदस्य तेजेन्द्र सिंह ने की। वहीं मुख्यातिथि के रूप में कॉलेज प्राचार्य डॉ. रामपाल सैनी ने शिरकत की। गांव भैणी खुर्द के सरपंच व पंचायत सदस्यों ने उनका स्वागत किया।


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