वार्ड आरक्षण में कोई फेरबदल नहीं, याचिकाकर्ता फिर जाएगा कोर्ट
हाईकोर्ट के आदेश के चलते डीसी ने वार्ड नंबर एक को आरक्षित किए जाने पर आर्डर जारी कर दिया है। इसके तहत वार्ड आरक्षण में किसी भी तरह का फेरबदल नहीं किया है। याचिकाकर्ता भूपेंद्र ¨सह पोसवाल की आपत्ति दर्ज करने के बाद इस मामले में डीसी ने आर्डर जारी कर दिया। उन्होंने कहा है कि वह वार्ड आरक्षण में बदलाव करने की शक्तियां नहीं रखते हैं।
जागरण संवाददाता, करनाल
हाईकोर्ट के आदेश के चलते डीसी ने वार्ड नंबर एक को आरक्षित किए जाने पर आर्डर जारी कर दिया है। इसके तहत वार्ड आरक्षण में किसी भी तरह का फेरबदल नहीं किया है। याचिकाकर्ता भूपेंद्र ¨सह पोसवाल की आपत्ति दर्ज करने के बाद इस मामले में डीसी ने आर्डर जारी कर दिया। उन्होंने कहा है कि वह वार्ड आरक्षण में बदलाव करने की शक्तियां नहीं रखते हैं।
23 अक्टूबर को डीसी ने आपत्ति दर्ज की थी। इसके बाद उन्होंने आर्डर सुनाने से पहले कानूनी राय लेने की बात कही थी। आर्डर आने के बाद याचिकाकर्ता भूपेंद्र पोसवाल ने फिर हाईकोर्ट जाने का निर्णय लिया है। वह कोर्ट में दोबारा से वार्ड आरक्षण को चुनौती देंगे। याचिकाकर्ता के वकील प्रवीण पोसवाल ने कहा कि डीसी ने जारी आर्डर में कहा कि अप्रैल में वार्डबंदी फाइनल होने के बाद भी वार्ड-दो के पूर्व एमसी बल¨वद्र बराड़ की आपत्ति स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक ने जून में आपत्ति दर्ज की थी। जबकि आपत्ति दर्ज करने का समय 20 अप्रैल तक था। इसके बाद याचिकाकर्ता भूपेंद्र ¨सह पोसवाल निदेशक के पास गए थे और अधिवक्ता के माध्यम से 11 जून को नोटिस भी दिया था कि अब आपत्ति दर्ज नहीं की जा सकती है। क्योंकि उसकी निर्धारित तिथि निकल चुकी है। इसके बाद निदेशक ने नहीं सुनी और आपत्ति दर्ज हुई। बल¨वद्र ने आपत्ति दर्ज कराई थी कि इंदिरा विकास कॉलोनी को वार्ड एक में रखा जाए। इस आर्डर से पता चला है कि उस समय पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी कि इंदिरा कालोनी किस वार्ड में रखी जाए, जिससे कि आगे वार्डबंदी में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आए। इस कमेटी की रिपोर्ट पर ही इंदिरा कॉलोनी को वार्ड एक में शामिल किया गया। फिर जाएंगे कोर्ट, कई बातें रखी गुप्त
अधिवक्ता प्रवीण पोसवाल के अनुसार वार्ड आरक्षण का मामला जानबूझकर उलझाया जा रहा है, जिससे कि इसका असर नगर निगम के चुनाव पर आए। अब वह दोबारा से हाईकोर्ट में वार्ड आरक्षण को चुनौती देंगे। पहले भी वह हाईकोर्ट में बता चुके हैं कि हाईवे पर झंझाड़ी गांव के पास स्थित इंदिरा कालोनी पहले वार्ड 20 में थी। वार्डबंदी के नोटिफिकेशन में भी इसे इसी वार्ड में दर्शाया गया था, लेकिन नई वार्डबंदी में इस कालोनी की जनसंख्या को वार्ड एक में शामिल कर दिया गया। इस कॉलोनी की जनसंख्या जुड़ने से उनका वार्ड एससी श्रेणी के लिए आरक्षित होने के नियमों में आ गया। जोकि सरासर गलत है। याचिकाकर्ता वार्ड नंबर एक निवासी भूपेंद्र ¨सह पोसवाल, बसंत विहार निवासी रवि, अमर ¨सह व रणबीर पांचाल की याचिका पर हाईकोर्ट में 17 सितंबर में वार्ड नंबर एक को एससी श्रेणी में आरक्षित किए जाने पर याचिका दायर की थी। इसी दिन कोर्ट ने निर्णय दिया था कि प्रशासन बताए कि इस कॉलोनी को वार्ड नंबर एक में कैसे शामिल किया गया है। इस पर उनकी आपत्ति दर्ज की जाए और उन्हें संतुष्ट किया जाए, लेकिन प्रशासन ने उन्हें संतुष्ट नहीं किया है। जब पावर नहीं तो क्यों सुनी आपत्ति : एडवोकेट
एडवोकेट प्रवीण पोसवाल के अनुसार जब डीसी वार्ड आरक्षण में बदलाव कर ही नहीं सकते थे तो फिर आपत्ति दर्ज क्यों की गई। अब आर्डर से पता चल रहा है कि कई बातों को पहले गुप्त रखा गया। जब पहले आपत्ति दर्ज करने की अंतिम तिथि निकलने के बाद भी कमेटी बनाने की शक्तियां डीसी के पास थी तो अब वह शक्तियां कहां गई।
सरकार के दबाव में प्रशासन
अधिवक्ता प्रवीण पोसवाल ने कहा कि इस पूरे प्रकरण से यह बात साफ हो रही कि सरकार के दबाव में आकर प्रशासन काम कर रहा है। अपने चेहतों को फायदा पहुंचाने के लिए वार्ड आरक्षण का नक्शा तैयार किया गया। इससे वार्ड एक के हितों को ताक पर रख दिया गया। अभी ये वार्ड हैं आरक्षित
इस समय वार्ड नंबर एक, छह, 14 और 16 एससी श्रेणी के लिए आरक्षित है। इनमें से वार्ड 16 और वार्ड छह एससी महिलाओं के लिए आरक्षित है। बीसी श्रेणी के लिए वार्ड 17 और 20 आरक्षित है। महिलाओं के लिए वार्ड तीन, चार, आठ, 11 व 12 आरक्षित है।