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पहल : धान की खेती में पानी कैसे बचे? मिलर्स एक्सपोर्टर मिलकर बताएंगे किसानों को

मनोज ठाकुर करनाल यह पहला मौका है। जब एक राइस मिलर्स और एक्सपोर्टर्स ने किसानों को जागरूक करने के लिए एक साथ काम करने का निर्णय लिया है। किसानों को जागरूक किया जाएगा कि धान की खेती में ज्यादा से ज्यादा पानी कैसे बचाया जा सकता है?

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 01:50 AM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 06:37 AM (IST)
पहल : धान की खेती में पानी कैसे बचे? मिलर्स एक्सपोर्टर मिलकर बताएंगे किसानों को

मनोज ठाकुर करनाल

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यह पहला मौका है। जब एक राइस मिलर्स और एक्सपोर्टर्स ने किसानों को जागरूक करने के लिए एक साथ काम करने का निर्णय लिया है। किसानों को जागरूक किया जाएगा कि धान की खेती में ज्यादा से ज्यादा पानी कैसे बचाया जा सकता है? यह अपने आप में एक अनूठी पहल है, क्योंकि इस तरह की पहल करना अपने आप में बड़ा काम है। इसी को लेकर सोमवार को राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स ने बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा की। तय यहीं किया गया कि इस बार धान के सीजन में ज्यादा से ज्यादा किसानों को टच कर उन्हें पानी बचाने के लिए जागरूक किया जाएगा। आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर विनोद कुमार कौल ने कहा कि इस वक्त चावल का निर्यात नहीं, बल्कि पानी का निर्यात हो रहा है, क्योंकि धान की खेती में बहुत ज्यादा पानी प्रयोग हो रहा है। इस तरह से तेजी से भूजल कम हो रहा है, आने वाले समय में पानी आएगा कहां से? बारिश के दिनों कम हो रहे हैं। जमीन कंकरीट में तबदील हो रही है। जो हमें बार बार चेतावनी दे रही है। ऐसे में हम सभी की सामुहिक जिम्मेदारी बनती है कि पानी बचाने के लिए जितने भी उपाय हो सकते हैं हमें करने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा भी दायित्व बनता है कि हम किसानों को जागरूक करें। आज पानी बचाया जा सकता है। इसके लिए हमें इजराइल का उदाहरण सामने रखना होगा। जब वहां इस तरह के उपाय हो सकते हैं तो फिर हमारे किसान क्यों नहीं इस तकनीक को अपना सकते।

आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विजय सेतिया ने कहा कि वेस्ट पानी को खेती में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है, इस दिशा में भी काम होना चाहिए। उन्होंने ऐसे बताया कि यह संभव है, क्योंकि इस तरह का प्रयोग वह कर चुके हैं। इसके बहुत ही सार्थक परिणाम सामने आए हैं।

कार्यक्रम में विशेषज्ञ प्रज्ञा ने बताया कि भूजल की करनाल समेत हरियाणा के कई जिले डार्क जोन की ओर जा रहे हैं। अब वक्त आ गया कि हमें पानी बचाने की दिशा में काम करना होगा। धान की खेती में ड्रिप सिस्टम

इस दौरान बताया गया कि धान की खेती में ड्रिप सिस्टम से 70 प्रतिशत तक पानी बचाया जा सकता है। इससे न सिर्फ धान की पैदावार अच्छी होगी, बल्कि खरपतवार भी कम होंगे। सरकार की ओर से ड्रिप सिस्टम पर अनुदान भी दिया जा रहा है। यह सिचाई का बेहद आसान और कारगर तरीका है। इसके प्रति किसानों को जागरूक किया जाना चाहिए। क्वालिटी की ओर भी देना होगा ध्यान

इस बात पर भी जोर दिया कि तकनीक से फसल की गुणवत्ता भी बढ़ती है। अब वक्त आ गया कि किसान अच्छी गुणवत्ता का धान पैदा करे। जिसका निर्यात आसानी से हो सके। बासमती धान में कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग की वजह से भी निर्यात में दिक्कत आ रही है। किसानों को इस बारे में भी जागरूक किया जाना चाहिए।


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