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हाल-ए-मेडिकल कॉलेज: डॉक्टर सरकारी, मरीजों को ले जा रहे निजी अस्पतालों में

जागरण संवाददाता, करनाल : कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में चल रहे कमीशनखोरी के धंधे क

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Jul 2018 01:11 AM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 01:11 AM (IST)
हाल-ए-मेडिकल कॉलेज: डॉक्टर सरकारी, मरीजों को ले जा रहे निजी अस्पतालों में
हाल-ए-मेडिकल कॉलेज: डॉक्टर सरकारी, मरीजों को ले जा रहे निजी अस्पतालों में

जागरण संवाददाता, करनाल : कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में चल रहे कमीशनखोरी के धंधे का पर्दाफाश हुआ है। डेंटिस्ट डॉ. मन्नु कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीजों को छोटी बीमारी हो फिर भी उन्हें पीजीआइ चंडीगढ़ या रोहतक रेफर करने की बात कहकर डराता था। चंडीगढ़ या रोहतक के चक्कर से बचने के लिए मरीज उनसे मार्गदर्शन मांगते तो वह शहर के एक निजी अस्पताल में जाने की सलाह देता था।

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इस बात का पर्दाफाश जागरूक मरीज शाबीर ने डॉक्टर की मुखबरी कर किया। जब मामला तूल पकड़ गया तो कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने डॉ. मन्नु को टर्मिनेट कर दिया। मामले की जानकारी मिलने के बाद बृहस्पतिवार को चंडीगढ़ से स्वास्थ्य विभाग की टीम कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज पहुंच गई। टीम में सिविल सर्जन डॉ. अश्विनी कुमार व सीनियर ड्रग कंट्रोल आफिसर पर¨मद्र ¨सह भी शामिल हुए। मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के बारे में फीडबैक लेने के बाद टीम ने मेडिकल कॉलेज के बाहर मेडिकल स्टोर पर छापामार कार्रवाई की।

कमीशनखोर को पकड़ने के लिए इस प्रकार जाल बुना शाबीर ने

उत्तर प्रदेश के शामली जिले के गढ़ी गांव निवासी शाबीर के दांत व जाड़ में पस बना हुआ था। वह उसे दिखाने के लिए कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में पहुंचा। जहां पर डॉ. मन्नु मिले। मरीज को चेक करने के बाद डॉक्टर ने कहा कि उनकी जाड़ में पस ज्यादा है इसलिए मामला बिगड़ सकता है। पीजीआइ चंडीगढ़ या रोहतक रेफर करना पड़ेगा।

शाबीर ने कहा कि डॉक्टर साहब चंडीगढ़ या रोहतक नहीं जा सकते। इतना बड़ा केस नहीं है। यहीं पर ठीक कर दो। डॉक्टर ने कहा कि यहां सुविधा नहीं है। कहो तो निजी अस्पताल में बात करता हूं, कम पैसे में काम चल जाएगा। शाबीर को यह बात चुभ गई और उसने हामी भर दी। इसके बाद मीडिया के साथ मिलकर उन्होंने डॉक्टर की मुखबरी शुरू कर दी। उनके बीच हुई डील की ऑडियो व निजी अस्पताल में इलाज के लिए गए डॉ. मन्नु की वीडियो बना डाली। जिससे कमीशनखोरी का पर्दाफाश हुआ। 16 हजार में हुई थी डील, डॉक्टर व मरीज के बातचीत के कुछ अंश

मरीज: नमस्कार जी।

डॉक्टर- हां जी नमस्कार। मरीज-डॉक्टर साहब किससे बात करानी है, मैं अमृतधारा में खड़ा हूं।

डॉक्टर- ठीक है, मेरी एक बार रिसेप्शन पर बात करा दो। बोलो डॉक्टर मन्नु से बात कर ले एक बार।

मरीज - हां जी, दो लड़के खड़े हैं, लो बात कर लो।

रिसेप्शन काउंटर से, गुड आफ्टर नून सर अमृतधारा अस्पताल से।

डॉक्टर- हां, डॉक्टर मन्नु बोल रहा हूं मैं। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज से। मेरी बात हो गई है। इनको पैकेज लिख लो। 16 हजार का है। इनको इमरजेंसी में एडमिट करा दो। सर्जन या एमडी सर्जन को दिखा दो, ठीक है।

रिसेप्शन काउंटर से ठीक है सर..सर्जन को या एमडी मेडिकल को? डॉक्टर मन्नु-दोनों में से किसी को दिखा दो। तब तक मैं आता हूं।

शाबीर- जी. डॉक्टर साहब। ये यह कहते हैं 16 हजार देने पड़ेंगे। डॉक्टर- अभी नहीं दो-तीन दिन दे देना। आपको ठीक करके भेजेंगे। इस पैकेज में दवाइयां, रहना-खाना सब कुछ है। आप एडमिट हो जाओ, मैं आकर मिलता हूं।

मरीज : ठीक है सर थैंक्यू।

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मेडिकल स्टोर पर चल रही थी अवैध लैब

जांच टीम को यह भी शिकायत मिली की सरकारी डॉक्टर बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। इस पर जब दवा विक्रेताओं के यहां छापे मारे तो कई खामियां मिली। कॉलेज के बाहर 24 ऑवर्स फार्मेसी पर छानबीन की। यहां पर गैरकानूनी तरीके से चलाई जा रही लैब मिली। मौके पर टीम गई तो कर्मचारी ने सैंपल को जेब में डाल लिया और वहां से निकलने का प्रयास किया, लेकिन टीम ने कर्मचारी से सैंपल लिया और जांच की। इसके बाद टीम कल्पना चावला मेडिकॉज पर छानबीन तो यहां पर भी डेंटिस्ट द्वारा प्रयोग किए जाने वाले औजार पाए गए।

पिछले साल भी डॉक्टर की सें¨टग का आया था मामला सामने

वर्ष 2017 में भी कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के डॉ. गाजी पर सिग्नस अस्पताल के साथ मिलकर कमीशनखोरी के आरोप लगे थे। यह मामला कष्ट निवारण समिति की बैठक में भी उठा था। सुरेश निवासी गांव पधाना ने आरोप लगाया था कि कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने उनके पुत्र का समय पर इलाज न कर बिना किसी वजह के सिग्नस अस्पताल में रेफर कर दिया। सिग्नस अस्पताल में उनसे इलाज के नाम पर करीब 40 हजार रुपये जमा करवाए।

सुरेश का आरोप था कि मेडिकल कॉलेज के डॉ. गाजी ने उन्हें सिग्नस अस्पताल में भेजा था, लेकिन वहां पर जब उन्होंने मरीज को रेफर करने की बात कही तो उनसे पैसे की डिमांड की गई। इस मामले में भी आरोपित डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई हुई थी।


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