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धान से अटी मंडियां, अब तक 6 लाख 92 हजार 860 मीट्रिक टन धान की हुई आवक

जिले की मंडियों में धान की आवक जोरों पर चल रही है। हालत ऐसी हो गई है कि मंडियों में पांव रखने तक की जगह नहीं बची है। हर जगह जाम की स्थिति बन रही है। जिले की मंडियों में 6 लाख 92 हजार 860 मीट्रिक टन धान की खरीद सरकारी एजेंसी द्वारा की गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 08:33 AM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 08:33 AM (IST)
धान से अटी मंडियां, अब तक 6 लाख 92 हजार 860 मीट्रिक टन धान की हुई आवक

जागरण संवाददाता, करनाल : जिले की मंडियों में धान की आवक जोरों पर चल रही है। हालत ऐसी हो गई है कि मंडियों में पांव रखने तक की जगह नहीं बची है। हर जगह जाम की स्थिति बन रही है। जिले की मंडियों में 6 लाख 92 हजार 860 मीट्रिक टन धान की खरीद सरकारी एजेंसी द्वारा की गई। एजेंसियों को खरीदी गई धान का उठान में तुरंत करवाने के आदेश खरीद एजेंसी को दिए गए हैं। धान की खरीद का कार्य जिले में 15 मंडी, परचेज सेंटरों पर शुरू कर दिया गया है। अब तक 6 लाख 92 हजार 860 मीट्रिक टन धान मंडियों में आई। जिससे सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा खरीदा गया। इसमें से 425041 मीट्रिक टन धान खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा, 163979 मीट्रिक टन हैफेड द्वारा तथा 103840 मीट्रिक टन हरियाणा वेयर हाऊसिग द्वारा खरीदा गया। धान का खरीद कार्य सुचारू रूप से चल रहा है। उन्होंने बताया कि मार्केट कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार असंध में 93496 मीट्रिक टन, बल्ला में 5802 मीट्रिक टन, ब्याना में 7666 मीट्रिक टन, घरौंडा में 103245 मीट्रिक टन, घीड़ में 9107 मीट्रिक टन, इंद्री में 70102 मीट्रिक टन, जुंडला में 73785 मीट्रिक टन, करनाल में 121911 मीट्रिक टन, कुंजपुरा में 28882 मीट्रिक टन, निगदू में 28966 मीट्रिक टन, नीलोखेड़ी में 9702 मीट्रिक टन, निसिग में 80008 मीट्रिक टन तथा तरावड़ी में 60188 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई।

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किसानों से अपील है कि वे अपनी फसल को सुखाकर मंडियों में लेकर आएं ताकि उन्हें फसल बेचने में कोई परेशानी न आए। किसान फसलों के अवशेषों को खेतों में न जलाएं बल्कि उनका खेतों में ही समुचित प्रबंध करें। सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर किसानों को अनेक प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। सरकार की इन स्कीमों का लाभ उठाएं।

चंद्रप्रकाश, मार्केट कमेटी सचिव।

पीआर धान के दामों में कमी से किसान परेशान

निसिग : क्षेत्र में पीआर धान निपटान के नजदीक है। आगामी चार पांच दिनों में पीआर किस्म की पिछेती धान का खेतों से निपटान संभव है। किसानों का हजारों क्विंटल धान मंडी में पड़ा है। जिसकी उचित दामों में बिक्री नही होने से किसान परेशान है। व्यापारी धान में कमियां बताकर कम दामों में खरीदने की चेष्टा रखते है, लेकिन मौसम से डरा किसान कम दामों में बेचने को मजबूर है। मंडी में बहुत कम किसानों की ढेरियां सरकारी दामों में खरीद की गई। जिन किसानों की ढेरियां रविवार को हुई बारिस से पहले पहुंची थी। उन ढेंरियों को खराीदने में व्यापारी दिलचस्पी नही दिखा रहा। खासकर जिस धान में थोड़ा हरा दाना था। वह धान दो दिन खरीद बंद रहने से काली पड़ गई। जिसे किसान मंडी में फैलाकर सुखाने का प्रयास कर रहे है। ताकि उनकी धान सही दामों में बिक सके। लेकिन किसानों को खरीददार नही मिल रहे। यदि मिलते है तो कम दाम लगाए जाते है। मंडी में बीते सप्ताह की अपेक्षा धान के दाम 100 से 200 रुपये घटा दिए हैं। दो दिनों से काटी गई धान पूरी पकी हुई है, लेकिन बारिश के कारण नमी खत्म नही हो रही। किसान बूटा सिंह, गुलजार सिंह व सलिद्र सिंह सहित अन्य का कहना था कि मंडी में पीआर धान घटने के साथ ही दामों में भी गिरावट कर दी गई है। मंडी में लिफ्टिग का काम लगातार जारी है, लेकिन उठान के लचर प्रबंधों के चलते समय पर उठान संभव नही हो रहा। इसी कारण बारिश में एजेंसियों का मंडी में खुले में पड़ा धान भीगता रहा। एक अनुमान के अनुसार मंडी में अभी भी एजेंसियों का एक लाख क्विंटल से अधिक धान खुले में पड़ा है। जिसका खरीद के कई दिनों बाद भी उठान नही हो पाया।


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