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किसान प्रशिक्षण शिविर में फसल प्रबंधन पर किया जागरूक

गांव धूमसी में एक दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र उचानी के कृषि विज्ञानिक डा. प्रशांत चौहान डा. नरेन्द्र सिंह ने फसल अवशेष प्रबंधन के बारे विस्तार से जानकारी दी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 06:49 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 06:49 PM (IST)
किसान प्रशिक्षण शिविर में फसल प्रबंधन पर किया जागरूक

संवाद सहयोगी, इंद्री : गांव धूमसी में एक दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र उचानी के कृषि विज्ञानिक डा. प्रशांत चौहान, डा. नरेन्द्र सिंह ने फसल अवशेष प्रबंधन के बारे विस्तार से जानकारी दी। डा.प्रशांत चौहान ने कहा कि किसान धान के अवशेषों का प्रयोग जैसे की जैविक खाद, मशरूम के कम्पोस्ट के अलावा पशुओं के चारे के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि हम अपनी फसलों में हरी एवं गोबर खाद के अलावा जैविक खादों का प्रयोग करके अधिक पैदावार ले सकते हैं और जैविक खादों का प्रयोग करने से हमारी फसलों में लगने वाली बीमारियों पर भी काफी हद तक अंकुश लग सकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी फसलों में रासायनिक खादों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए, क्योंकि रासायनिक खादों की वजह से ही हमारी फसलों में बीमारियां पैदा होती है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र उचानी के कृषि विज्ञानिक डा. नरेन्द्र कुमार ने बताया कि आधुनिक मशीनों के प्रयोग से धान की पराली का गटठर बनाकर उसका प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है और यदि किसान कृषि मशीनों के माध्यम से फसल अवशेषों को खेत की मिटटी में ही मिला दें तो इससे न केवल खेत की मिटटी उपजाऊ होगी बल्कि खेत की मिट्टी के पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने से हमारी भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है, जिसके कारण भूमि के लाभदायक जीवाणु व पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने रबी सीजन की फसलों गेहूं व सरसों की किस्मों तथा खरपतवार प्रबंधन के बारे में भी किसानों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने गेहूं की फसल के बारे में किसानों को बताते हुए कहा कि हमें गेहूं बीजने के 21 दिन बाद सिचाई करनी चाहिए, ऐसा करने से हमारी गेहूं की पैदावार अच्छी होती है।

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जो किसान अपने खेत में पराली के गटठर बनावाएंगे उन्हें सरकार की ओर से 1000 रूपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी और हमें फसल अवशेष जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से भी निजात मिलेगी। इस मौके पर कृषि विभाग सुपरवाइजर अजय कुमार, सुरेन्द्र सिंह, कर्मजीत सिंह मौजूद थे।

डा. रणबीर सिंह, खंड तकनीकी प्रबंधक।


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