आओ कुछ रोशनी तलाश करें, इन अंधेरों का पर्दाफाश करें
कारवाने-अदब की महफिल में कवियों, साहित्यकारों व शायरों ने बांधा समां जागरण संवाददात
कारवाने-अदब की महफिल में कवियों, साहित्यकारों व शायरों ने बांधा समां जागरण संवाददाता, करनाल
निर्मल धाम करनाल में कारवाने-अदब की महफिल सजी। इसमें करनाल व आसपास के कवियों, साहित्यकारों और शायरों ने शिरकत की। महफिल के आगाज से पहले सभी ने राष्ट्रगान गाकर आपसी भाईचारा और सुख-स्मृद्धि की कामना की। दैनिक जागरण के फोटो पत्रकार अनिल भंडारी के निधन पर उनकी आत्मिक शांति के लिए सभी ने दो मिनट का मौन रखा। महफिल की अध्यक्षता कवि हर्ष जैन ने की। विशिष्ट अतिथि सुमेरचंद शर्मा रहे। मंच संचालन कवि भारत भूषण वर्मा ने किया।
महफिल में डॉ. एसके शर्मा ने कहा खुदा के वास्ते यूं बेरुखी से काम न ले, तड़प के फिर दामन तुम्हारा थाम न ले। अंजु शर्मा ने कहा दिल को ये जिद थी कि तू आए तसल्ली देने, मेरी कोशिश थी कि कमबख्त नींद आ जाए। सुरेंद्र मरवाहा ने दिवंगत फोटो पत्रकार अनिल भंडारी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कोई लम्हा सब कुछ बदल कर रख देगा, क्योंकि मौत की आहट कभी पता नहीं लगती, उनके कर्मों से मुझे कोई बद्दुआ नहीं लगती, मेरे घर चिराग जले तो उसे हवा नहीं लगती। समयनीता चौधरी ने कहा आओ कुछ रोशनी तलाश करें, इन अंधेरों का पर्दाफाश करें।
भारत भूषण वर्मा ने कहा मैं भारत संस्कृति नायक हूं, संस्कृति शंख बजाऊं मैं। हीरा लाल ¨चतक ने कहा जिसको न लगी हो चोट कभी वह दर्द किसी का क्या जाने। गुरमुख ¨सह ने कहा जफाओं से उनकी शिकायत नहीं है। हरबंस पथिक ने कहा वो मेरे जख्मों को हवा देता है, जाने किस बात की सजा देता है। डॉ. राजपाल ने कहा नशे ने करी तबाही आज मेरे हिन्दुस्तान की। मुन्नी राज शर्मा ने कहा विश्व के कोने-कोने में हिन्दी भाषा का हो सम्मान। डॉ. रुद्रमणि शर्मा, हर्ष जैन, शशी शर्मा, सुमेर चंद शर्मा, अंग्रेज ¨सह, केके गांधी व अशोक मिश्रा ने भी अपनी रचनाएं पेश की।