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आइटीआइ में लाठीचार्ज : क्या जांच कमेटी पीड़ितों को इंसाफ दिला पाएगी

पुलिस ने आइटीआइ के प्रिसिपल स्टाफ छात्राओं पर जमकर लाठीचार्ज किया। पुलिस का तर्क था कि यह सभी आंदोलन कर रहे थे। भीड़ को काबू करने के लिए उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Jun 2019 09:07 AM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2019 09:07 AM (IST)
आइटीआइ में लाठीचार्ज : क्या जांच कमेटी पीड़ितों को इंसाफ दिला पाएगी

जागरण संवाददाता करनाल : जगह आइटीआइ चौक। तारीख 12 अप्रैल। हुआ क्या था? 11 अप्रैल को एक छात्र अंकित को बस ने कुचल दिया था। इसके विरोध में 13 अप्रैल को आइटीआइ के छात्र चौक पर प्रदर्शन कर रहे थे। तब पुलिस ने आइटीआइ के प्रिसिपल, स्टाफ, छात्राओं पर जमकर लाठीचार्ज किया। पुलिस का तर्क था कि यह सभी आंदोलन कर रहे थे। भीड़ को काबू करने के लिए उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।

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पीड़ितों का आरोप था कि पुलिस ने ज्यादती की। इसी दिन एसडीएम की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी गठित की गई। यह कुछ ऐसी तारीखें हैं, जिन्हें याद करने पर सिलसिलेवार उस दिन की घटनाएं सामने आ जाती हैं। कम से कम उस दिन पुलिस की कारगुजारी के चित्र उनकी तानाशाही, मनमाने और मानव अधिकार को कुचलते हुए नजर आते हैं। पुलिस का यह रवैया मात्र 12 अप्रैल तक ही नहीं रहा। जांच कमेटी के सामने भी पुलिस लगभग इसी अंदाज में पेश आई। मानव अधिकार कार्यकर्ता व हरियाणा और पंजाब की एडवोकेट आरती ने बताया कि अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कमेटी रिपोर्ट में लिखती क्या है? क्योंकि इससे पता चलेगा कि जांच कमेटी इस घटना को महज त्वरित रिएक्शन मान रही है या फिर पुलिस की कार्यप्रणाली से जोड़ कर देखती है। क्या पुलिस के खिलाफ जा सकती है जांच कमेटी

इस सवाल के पीछे कई वजह है। पहली वजह तो यह है कि एक पुलिसकर्मी कमेटी के सामने अंत तक पेश ही नहीं हुआ। एक पुलिसकर्मी जो कि हेलमेट लगाए था, जिसने खूब लाठियां चलाई, उसका पता नहीं चला कि वह है कौन? डीवीआर, जिसमें सारी घटना कैद है, वह कहां गई? क्या छुपाया गया। जांच कमेटी को जो रिपोर्ट सात दिन के अंदर देनी थी, उसे पूरा करने में इतना समय लग गया। आरती सवाल उठाती है कि ऐसे हालात में क्या कमेटी पुलिस के खिलाफ जा सकती है। एडवोकेट का मानना है शायद नहीं।

पीड़ितों को इंसाफ मिलेगा क्या

अब यह तो रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा। एडवोकेट जगमान सिंह जटैन ऐसा मानते हैं। उन्होंने कहा कि अभी इस पर टिप्पणी करने का उचित वक्त नहीं है। अलबत्ता यह देखा जाना चाहिए कि रिपोर्ट में आएगा क्या? हालांकि उनका मानना है कि जो पुलिसकर्मी कमेटी के सामने पेश नहीं हुआ, उसके खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए था। इधर एक पीड़ित ने दैनिक जागरण के साथ कुछ फोटो शेयर किए। वह फोटो खासे हालात बता रहे हैं। इस घटना के बाद वह पीड़ित जो कि आइटीआइ में कार्यरत है, इस बात को लेकर खासा चितित है कि यदि इंसाफ नहीं मिला तो उनके सामने चारा क्या है।

एडवोकेट जगमाल सिंह जटैन ने कहा कि यह रिपोर्ट जब भी आए, इसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। क्योंकि आम आदमी को भी पता चले कि आखिर उस दिन हुआ क्या था? कसूर किसका था और कितना।


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