निगम की हॉट सीट पर रही पूरे प्रदेश की नजर
जागरण संवाददाता, करनाल करनाल नगर निगम चुनाव पर पूरे प्रदेश की निगाह रही। एक तरह से
जागरण संवाददाता, करनाल
करनाल नगर निगम चुनाव पर पूरे प्रदेश की निगाह रही। एक तरह से करनाल मेयर पद का चुनाव पांच नगर निगम चुनाव में सबसे हॉट सीट माना गया। दूसरे राज्यों व शहरों में रहने वाले वालों लोगों ने करनाल में रिश्तेदारों और मित्रों को फोनकर सियासत का हाल जाना। मतदान को लेकर पल-पल की रिपोर्ट भी सत्ता व विपक्ष के नेताओं तक स्थानीय नेता पहुंचाते रहे और इससे आंकलन करने का सिलसिला भी लगातार जारी रहा। अलबत्ता अब बूथ अनुसार आई वो¨टग प्रतिशत के अनुसार अपना अपना आंकलन किया जा रहा है। करनाल विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री मनोहर लाल विधायक चुने गए थे। भाजपा प्रत्याशी रेणुबाला गुप्ता का सीधे तौर आजाद प्रत्याशी आशा वधवा के साथ रहा। आशा वधवा के पति पूर्व डिप्टी मेयर मनोज वधवा इनेलो से जुड़े रहे हैं। आशा के पक्ष में यह बात गई कि उन्हें इस चुनाव में कांग्रेस, इनेलो और बसपा का खुले तौर पर समर्थन मिला। सीएम को उनके घर में घेरने की रणनीति के साथ ही विपक्ष ने भी तकड़ी मोर्चाबंदी करके रखी। भाजपा ने भी ने भी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। कांटे के मुकाबले की गूंज हरियाणा के साथ ही दूसरे राज्यों में रही। चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली व दूसरे शहरों से विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं ने इस मुकाबले की जानकारी हासिल की। इसके साथ ही भाजपा के आला नेता भी दिनभर अपडेट लेते रहे। मतदान प्रतिशत पर भी खास तौर पर ध्यान रखा गया। मतदान प्रतिशत जब शुरुआत में धीमा उठा तो रेणुबाला गुप्ता और आशा वधवा के समर्थकों ने इसे अपने अपने तरह से आंका। दोपहर बाद मतदान प्रतिशत बढ़ने लगा ताो प्रत्याशियों की धड़कनें भी बढ़ गई और उनके नेताओं की भी। मान रहे हैं विधानसभा का सेमीफाइनल
करनाल नगर निगम चुनाव को विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। भाजपा और विपक्ष जिस तरह से इस चुनाव में आमने-सामने हुई है, उससे जाहिर है कि विपक्ष भाजपा को पूरी तरह से घेरना चाहता था, जिससे कि वे यहां से एक मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ले। दूसरी ओर भाजपा ने भी इन चुनाव की तैयारियों में जमकर जोर लगाया। फिर चाहे विकास के नाम पर वोट मांगने की बात हो या फिर विधानसभा चुनाव की तरह घोषणा पत्र की। पता लग जाएगी इनेलो-बसपा गठबंधन की ताकत
आजाद प्रत्याशी आशा वधवा को इनेलो-बसपा गठबंधन ने समर्थन दिया। इन दोनों दलों ने गठबंधन के नाते पहली बार किसी को समर्थन देते हुए चुनाव लड़ा है। इनका चुनाव निशान भले ही नहीं था, लेकिन गठबंधन ने आशा के समर्थन में पूरा जोर लगा दिया था। चुनाव के नतीजों के बाद इस गठबंधन की करनाल की राजनीति में कितनी ताकत है, इसकी एक झलक सामने आ जाएगी।