ऋषि दयानंद त्याग और तपस्या की साक्षात मूर्ति थे : जयदीप आर्य
आर्य केंद्रीय सभा के तत्वाधान में मनाए जा रहे ऋषि जन्मोत्सव का समापन हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। तीन दिन तक चले 21 कुंडीय यज्ञ का समापन यज्ञ ब्रह्मा आचार्य विष्णु मित्र विद्यार्थी पंडित राजीव आर्य और पंडित शिव प्रसाद के सहयोग से कराया गया। स्वामी संपूर्णानंद ने उपस्थित सभी आयोजनों की महर्षि दयानंद के जन्मोत्सव की शुभकामनाएं प्रदान की। महर्षि द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
जागरण संवाददाता, करनाल : आर्य केंद्रीय सभा के तत्वाधान में मनाए जा रहे ऋषि जन्मोत्सव का समापन हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। तीन दिन तक चले 21 कुंडीय यज्ञ का समापन यज्ञ ब्रह्मा आचार्य विष्णु मित्र विद्यार्थी, पंडित राजीव आर्य और पंडित शिव प्रसाद के सहयोग से कराया गया। स्वामी संपूर्णानंद ने उपस्थित सभी आयोजनों की महर्षि दयानंद के जन्मोत्सव की शुभकामनाएं प्रदान की। महर्षि द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंतजलि योग पीठ के केंद्रीय प्रभारी डॉ. जयदीप आर्य ने कहा कि ऋषि दयानंद त्याग और तपस्या की साक्षात मूर्ति थे। वह दया व करुणा के सागर थे। ऋषि दयानंद ने सोए हुए हिदू समाज में जागृति का संचार किया। वह वैराग्य से भरपूर थे।
उन्होंने बताया कि स्वामी रामदेव सदा कहते हैं कि वह आज जो कुछ भी हैं स्वामी दयानंद की वजह से ही हैं। डॉ. जयदीप आर्य ने आज की युवा पीढ़ी को आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें स्वामी दयानंद द्वारा रचित अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। उन्होंने आर्य केंद्रीय सभा एवं करनाल की समस्त आर्य संस्थाओं को महर्षि स्वामी देव दयानंद के जन्मोत्सव पर सफल कार्यक्रम आयोजित करने के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रदान की।
इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रधान प्रो. आनंद सिंह आर्य, महामंत्री स्वतंत्र कुकरेजा, पार्षद विक्रम कुमार, संरक्षक लाजपत राय आर्य, शांति प्रकाश आर्य, रजनीश चोपड़ा, वेद प्रकाश आर्य, रमेश आर्य, अजय आर्य, रोशन आर्य, हरेन्द्र चौधरी, अजय दीप आर्य, जगदीश मधोक, बलजीत आर्य, दिनेश शर्मा, देशपाल ठाकुर, संजय बत्तरा व सवित्री आर्या मौजूद रहे।