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मेडिकल कॉलेज में पोस्ट प्रिस्किप्शन आडिट कमेटी गठित, डॉक्टर्स पर रखेगी नजर

कल्पना चावला राजकीय कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स की निजी अस्पतालों के साथ सांठ-गांठ उजागर होने के बाद अब प्रबंधन ने कड़ा रवैया अपना है। इस प्रकार के मामले दोबारा सामने ना आए इसके लिए पोस्ट प्रिस्किप्शन ऑडिट कमेटी का गठन किया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Aug 2018 01:09 AM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 01:09 AM (IST)
मेडिकल कॉलेज में पोस्ट प्रिस्किप्शन आडिट कमेटी 
गठित, डॉक्टर्स पर रखेगी नजर
मेडिकल कॉलेज में पोस्ट प्रिस्किप्शन आडिट कमेटी गठित, डॉक्टर्स पर रखेगी नजर

जागरण संवाददाता, करनाल : कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स की निजी अस्पतालों के साथ सांठ-गांठ उजागर होने के बाद अब प्रबंधन ने कड़ा रवैया अपना है। इस प्रकार के मामले दोबारा सामने ना आए इसके लिए पोस्ट प्रिस्किप्शन ऑडिट कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स की कार्यप्रणाली पर नजर रखेगी। संदेह होने पर संबंधित डॉक्टर की जांच की जा सकती है। दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि पिछले दिनों डेंटिस्ट सर्जन डॉ. मन्नु द्वारा शहर के एक निजी अस्पताल के साथ सांठ-गांठ करने की बात सामने आई थी। इससे पहले एमरजेंसी में तैनात डॉ. गाजी की भी मिलीभगत उजागर हुई थी। इस प्रकार के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने विशेष निगरानी रखने के लिए आडिट कमेटी का गठन किया है।

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बाहर की दवाइयां लिखी तो आडिट में पकड़े जाएंगे

यदि मेडिकल कॉलेज में दवाइयां उपलब्ध हैं और उसी से संबंधित अन्य साल्ट की दवाईयां लिखी तो वह आडिट में पकड़ा जाएगा। अब ऐसी व्यवस्था की गई है कि जो भी मरीज दवाईयां लेने आते हैं उसकी पर्ची में लिखी गई दवाईयों का विवरण और संबंधित डॉक्टर का नाम भी आनलाइन चढ़ाया जाएगा। उसमें साफ हो जाएगा कि पर्ची में से कौन सी दवाइयां लिखी गई है और कौनसी उनके पास उपलब्ध नहीं है।

केसीजीएमसी के बाहर से एंबुलेंस हटाने को लिखा डीसी, एसपी व एमसी कमिश्नर को पत्र

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज बाहर खड़ी होने वाली निजी अस्पतालों की एंबुलेंस को हटवाने के लिए प्रबंधन ने डीसी, एसपी और नगर निगम के कमिश्नर को पत्र लिखा है। प्रबंधन के मुताबिक यह एरिया जिला प्रशासन के अंडर में आता है, इसलिए संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया गया है। कालेज के बाहर खड़ी एंबुलेंस से आशंका थी कि जब डॉक्टर निजी अस्पताल का नाम लेकर मरीज को भेजते थे तो बाहर खड़ी उसी अस्पताल की एंबुलेंस का चालक सक्रिय मिलता। हालांकि पिछले दिनों पत्र लिखे जाने के बाद वहां से एंबुलेंस को हटा लिया गया है। नए आदेशों के मुताबिक सिर्फ सरकारी एंबुलेंस ही मेडिकल कॉलेज के आसपास खड़ी हो सकती हैं।

फार्मेसी काउंटर पर दवाईयां नहीं मिली तो अमृत फार्मेसी पर जाएं

बाहर की दवाइयां लिखे जाने से परेशान मरीजों के लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें एक ओर विकल्प दिया है। मेडिकल कॉलेज के फार्मेसी काउंटर पर यदि दवाइयां नहीं मिली है तो मरीजों को बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कॉलेज कैंपस में ही अमृत फार्मेसी खोली गई है। यहां पर जेनरिक मेडिसन मिलती हैं। मरीजों को बाहर के रेट से 30 से 40 प्रतिशत डिस्काउंट पर दवाईयां उपलब्ध हो जाती हैं।

वर्जन

फोटो---32 नंबर है।

हमारा पहला प्रयास तो यह है कि फार्मेसी काउंटर पर ही सभी दवाईयां उपलब्ध हों। यदि उपलब्ध नहीं हैं तो कैंपस में ही वह अमृत फार्मेसी से ही मेडिसन लें, क्योंकि यहां पर सस्ती दवाईयां उपलब्ध कराई गई हैं। डॉक्टर्स को भी निर्देश दिए हैं कि वह जेनरिक मेडिसन मरीजों को लिखें। वहीं पिछले दिनों मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स की निजी अस्पतालों के साथ मिलीभगत सामने आने के बाद हमने पोस्ट प्रिस्किप्शन आडिट कमेटी का गठन किया है। जो डॉक्टरों पर निगरानी रखेगी। मरीजों को बेहतर इलाज मिले इसके लिए वह प्रयासरत हैं।

-डॉ. सुरेंद्र कश्यप, निदेशक कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज करनाल।


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