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पंडित चिरंजी लाल कालेज, यहां बच्चों को पढ़ाया जाता है पौधों से दोस्ती का पाठ

एक कोशिश है पर्यावरण संरक्षण की। कोशिश है बच्चों को पौधों से जोड़ने की। केयर करने की भावना पैदा करना। प्रयास एक है। उद्देश्य कई। प्रयोग शायद इसी का नाम है। तभी तो पंडित चिरंजी लाल कॉलेज में एक नया प्रयोग इन दिनों किया जा रहा है। पहले यहां विद्यार्थियों का प्रेक्टिकल फाइलों में होता था। अब यहां उन्हें वास्तव में करके दिखाना होता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 09:20 AM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 06:32 AM (IST)
पंडित चिरंजी लाल कालेज, यहां बच्चों को पढ़ाया जाता है पौधों से दोस्ती का पाठ
पंडित चिरंजी लाल कालेज, यहां बच्चों को पढ़ाया जाता है पौधों से दोस्ती का पाठ

धर्मसिंह, करनाल

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एक कोशिश है पर्यावरण संरक्षण की। कोशिश है बच्चों को पौधों से जोड़ने की। केयर करने की भावना पैदा करना। प्रयास एक है। उद्देश्य कई। प्रयोग शायद इसी का नाम है। तभी तो पंडित चिरंजी लाल कॉलेज में एक नया प्रयोग इन दिनों किया जा रहा है। पहले यहां विद्यार्थियों का प्रेक्टिकल फाइलों में होता था। अब यहां उन्हें वास्तव में करके दिखाना होता है। उन्हें गमले में लगे पौधे की संपूर्ण जानकारी बतानी पड़ती है। इस प्रयोग की बदौलत कॉलेज न सिर्फ हराभरा हो रहा है, बल्कि बरामदे भी गमलों से सजे हुए हैं। इनके बीच से गुजरते ही यहीं महसूस होता है यह कॉलेज का बरामदा न होकर कोई छोटा सा बगीचा हो।

कैसे आया आइडिया?

बच्चे प्रैक्टिकल के लिए फाइल तैयार करते थे। अमूमन इस तरह की फाइल बुक सेलर से खरीद कर जमा करा दी जाती थी। इससे निपटने के लिए कॉलेज प्रिसिपल रेखा शर्मा ने नए आइडिया पर काम करना शुरू किया। उन्होंने पिछले साल दिसंबर में प्लान किया किया कि जिसको नाम दिया गया ग्रीन कैंपस। जिसके तहत विद्यार्थियों से प्रेक्टिकल फाइल नहीं उनसे गमले मंगवाए गए। विद्यार्थियों का ग्रुप इस गमले को तैयार करता है। इसकी पेंटिग करता है। पौधा लगाता है। फिर इसकी देखभाल भी करता है।

पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दें विद्यार्थी: रेखा शर्मा

कॉलेज प्रिसिपल रेखा शर्मा ने कहा कि विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए

जड़ी बुटियों से आसानी से परिचित हो रहे युवा

कॉलेज में अब 2000 गमले हैं। वनस्पति विभाग के डॉ. रणजीत सिंह ने बताया कि स्टूडेंट्स ने एलोविरा, तुलसी, कैकट्स, शतावरी, अश्वगंधा, आंवला, कपूर, रूद्राक्ष, चंदन यहां रोपित किया है। वह अब इनके बारे में जानकारी जुटाते हैं। इनका क्या प्रयोग है। कैसे प्रयोग है। इससे जाहिर है उनकी जनरल नालेज में तो इजाफा हो ही रहा है, साथ ही आयुर्वेद के प्रति भी जागरूकता बढ़ रही है।


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