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लैंड माफिया और अधिकारियों के गठजोड़ से कट रही अवैध कॉलोनियां

जागरण संवाददाता, करनाल शहर में 20 से भी ज्यादा अवैध कॉलोनियां तेजी से कट रही है। लैंड

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Jan 2019 09:51 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 09:51 PM (IST)
लैंड माफिया और अधिकारियों के गठजोड़ से कट रही अवैध कॉलोनियां

जागरण संवाददाता, करनाल

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शहर में 20 से भी ज्यादा अवैध कॉलोनियां तेजी से कट रही है। लैंड माफिया और भ्रष्ट अधिकारी इस काम में लगे हैं। यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष राकेश ढुल ने बताया कि यदि सिस्टम लैंड माफिया का साथ न दे तो अवैध कॉलोनी नहीं कट सकती। एडवोकेट ढुल ने बताया कि नगर निगम, टाउन एंड कंट्री प्ला¨नग और तहसील के अधिकारियों के साथ तालमेल किए बिना अवैध कॉलोनी कट ही नहीं सकती। उन्होंने बताया कि एक शहर में एक बड़ा रैकेट इस सिस्टम में काम कर रहा है। भ्रष्टाचार मिटाओ मंच के प्रवक्ता सतीश ¨सह ने बताया कि एक कॉलोनी की आड़ में दस से लेकर 50 करोड़ तक की ब्लैकमनी जुटाई जाती है। यूं साबित हो रही अधिकारियों की मिलीभगत

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प्लॉट बिकते ही क्यों होती है कार्रवाई?

कॉलोनी कोई एक रात में नहीं कटती। इसकी पूरी प्रक्रिया है, जिसे लैंड माफिया पूरी करता है। जमीन खरीदकर पहले प्लॉट काटे जाते हैं। सड़क बनती है, लेकिन नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्ला¨नग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देते। जैसे ही माफिया कॉलोनी में ज्यादातर प्लाट बेच जाता है। एकदम से अधिकारी कार्रवाई के लिए पहुंच जाते हैं। एडवोकेट ढुल के अनुसार ऐसा कर अधिकारी खुद को पाक साफ दिखाते हैं। यदि जांच होती है तो बोल दिया जाता है कि उन्होंने कार्रवाई की थी। 2.

लैंड माफिया के खिलाफ ठोस कार्रवाई क्यों नहीं?

शहर में कई कुख्यात लैंड माफिया है। इनके खिलाफ 13 से लेकर 30 मामले अवैध कॉलोनी काटने के दर्ज है। इसके बाद भी टाउन एंड कंट्री प्ला¨नग विभाग के अधिकारियों ने इन्हें आदतन आर्थिक अपराधी के तौर पर नामजद नहीं किया। एडवोकेट ढुल ने बताया कि उलटा हल्की धाराओं में मामला दर्ज कर उन्हें बचाने की कोशिश होती है। 3. काली कमाई लगती है जमीन खरीद में

जमीन खरीद में कई अधिकारियों की काली कमाई लग रही है। बिजली निगम के एक नेता की काली कमाई मंगलपुर की पार्ट टू की अवैध कॉलोनी में लगी है। इसी तरह से तहसील के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के पैसे भी अवैध कॉलोनी में लगते हैं। सतीश ¨सह ने बताया कि मंगलपुर में इस कर्मचारी नेता की मेहरबानी से बिजली कनेक्शन दिए गए थे। बड़ा सवाल रजिस्ट्री कैसे हो रही हैं?

छोटे प्लॉट की रजिस्ट्री हो ही नहीं सकती। इस संबंध में बकायदा से तहसील में निर्देश हैं। इसके बाद भी ऐसी रजिस्ट्री हो रही है। यह कैसे हो रहा है। एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि क्योंकि इस रैकेट में अधिकारी भी शामिल है, जो रजिस्ट्री कराने का काम करते हैं। एडवोकेट ने बताया कि आरटीआइ के माध्मय से पता चला है कि टाउन एंड कंट्री प्ला¨नग के अधिकारियों ने भी अवैध कॉलोनी के मामले में तहसील की भूमिका पर सवाल उठाया है। होनी चाहिए विजिलेंस की जांच

सतीश ¨सह और एडवोकेट ढुल ने कहा कि इस मामले की जांच विजिलेंस से होनी चाहिए। यह न सिर्फ कानून के साथ बड़ा खिलवाड़ है, बल्कि गरीब लोगों की खून पसीने की कमाई को भी घर का सपना दिखाकर हड़पा जा रहा है। यह सिलसिला जारी है। इस पर रोक लगाने के लिए सरकार को बड़ा कदम उठाना चाहिए। वर्जन

डीटीपी अमरीक ¨सह ने बताया कि जब भी हमें अवैध कॉलोनी की जानकारी मिलती है तो हम तुरंत कार्रवाई करते हैं। जहां तक लैंड माफिया के खिलाफ ठोस कदम उठाने की बात है, इसके लिए सरकार को ही नियम सख्त करने होंगे, क्योंकि मौजूदा प्रावधान में ठोस कार्रवाई करना संभव नहीं होता।


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