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सात करोड़ से बन रहा ¨सथेटिक ट्रैक, एस्ट्रोटर्फ के लिए तरस रहे खिलाड़ी

दो साल से जगह का चयन नहीं कर पा रहे अधिकारी स्थायी मैदान न होने से अभ्यास के लिए हॉकी ि

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 01:38 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 01:38 AM (IST)
सात करोड़ से बन रहा ¨सथेटिक ट्रैक, एस्ट्रोटर्फ के लिए तरस रहे खिलाड़ी
सात करोड़ से बन रहा ¨सथेटिक ट्रैक, एस्ट्रोटर्फ के लिए तरस रहे खिलाड़ी

जागरण संवाददाता, करनाल : देश के लिए हॉकी के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देने वाले जिले में एस्ट्रोटर्फ मैदान नहीं है। कर्ण स्टेडियम में सात करोड़ की लागत ¨सथेटिक ट्रैक और फुटबाल ग्राउंड तैयार हो रहा है। इसके साथ ही ढाई करोड़ रुपये से खेल सुविधा केंद्र बन रहा है। जबकि हॉकी खिलाड़ियों के लिए स्थायी मैदान तक नहीं है। इसके लिए दो साल पहले खेल विभाग से लेकर नेताओं तक दिग्गज खिलाड़ी अपील कर चुके हैं, लेकिन अब तक जगह का चयन ही नहीं हुआ। राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके खिलाड़ियों की मानें तो जिला में हॉकी को प्रोत्साहन के लिए एस्ट्रोटर्फ मैदान की खासी जरूरत है। खिलाड़ियों को मुश्किल उस समय होती है जब बाहर मैच खेलने जाते हैं, तो एस्ट्रोटर्फ मैदान में गेंद पर पकड़ बनाने में मुश्किल आती है और टीम हार जाती है। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेल चुके यहां के खिलाड़ी

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राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी राजकुमार आहलुवालिया उर्फ शिकारी ने बताया कि शहर के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय हॉकी खेल चुके हैं। जसबीर ¨सह जस्सा, सुनील कुमार, नितिन मलिक, अजय कुमार, विकास चौधरी, पल¨वद्र ¨सह उर्फ पोला, लख¨वद्र ¨सह और दिनेश मान नाम प्रमुख हैं। इन खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से जिले का नाम देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी रोशन किया है। उन्होंने कहा कि शहर में एस्ट्रोटर्फ के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष अपील कर चुके हैं। जिला खेल अधिकारियों को भी खिलाड़ियों के भविष्य को लेकर चर्चा की है, लेकिन किसी अधिकारी ने गंभीरता से नहीं लिया। अनसुनी का खामियाजा भुगत रहे खिलाड़ी

हॉकी करनाल के कोच राकेश शर्मा उर्फ चैंपियन के अनुसार हॉकी का दुर्भाग्य है जो शहर में अभी तक एस्ट्रोटर्फ मैदान नहीं है। इस संबंध में सचिव कर्ण मेहला ने डीसी से मांग की है। जब से स्टेडियम में ¨सथेटिक ट्रैक का निर्माण शुरू हुआ है, खिलाड़ियों के पास अभ्यास करने के लिए स्थायी ग्राउंड नहीं है। 40 वर्षो से हॉकी खेल रहे राकेश शर्मा ने बताया कि एस्ट्रोटर्फ मैदान के न होने से खिलाड़ियों को जब मुकाबले के लिए आधुनिक मैदान में उतरना पड़ता है तो गेंद पर पकड़ बनाने में मुश्किल आती है।

करनाल की टीम रही थी तृतीय

पिछले माह करनाल की टीम ने हिसार में सीनियर स्टेट चैंपियनशिप में तीसरा स्थान हासिल किया। इसका मुख्य कारण खिलाड़ियों को आधुनिक सुविधाएं न मिलना है। स्टेडियम में गरीब बच्चों के लिए पिछले एक साल से सामान नहीं है, जिसका सीधा असर खेल पर पड़ता है। न मैदान न कोच, कैसे बनेंगे चैंपियन : कौशल

राजा कर्ण हॉकी अकादमी प्रबंधक कौशल राज और महासचिव शमशेर ¨सह ने बताया कि स्थायी मैदान न होने के कारण एसडी स्कूल, शाखा ग्राउंड, रेलवे रोड स्थित ग‌र्ल्स स्कूल के पास मैदान में खिलाड़ी अभ्यास कर रहे हैं। आधुनिक मैदान न मिलने के कारण खेल में सुधार संभव नहीं हो सकता है। शहर में अच्छे कोच की नियुक्ति जरूरी है। खेल विभाग की ओर से मिलने वाली सुविधाएं नाममात्र हैं। इसके बावजूद खिलाड़ियों की हॉकी में रूचि है। सरकार के नुमाइंदे और खेल अधिकारी अगर चाहें तो शहर में एस्ट्रोटर्फ मैदान तैयार हो सकता है। रेलवे रोड स्थित स्कूल के मैदान में एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड तैयार किया जा सकता है।


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