Haryana Political Crisis: भाजपा, जजपा और इनेलो में सेंधमारी, क्या हुड्डा के 'खेल' में उलझ गई नायब सरकार?
हरियाणा में सियासी खलबली (Haryana Political Crisis News) मची हुई है। कांग्रेस ने ऐसा खेल खेला है कि नायब सैनी (Nayab Saini Government) की सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) अभी तक तीन मौजूदा विधायकों का समर्थन प्राप्त करने के अलावा 40 पूर्व विधायकों पूर्व सांसदों और पूर्व मंत्रियों को कांग्रेस पार्टी में शामिल करा चुके हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। देश के बाकी राज्यों की तरह हरियाणा में भी हो रहे लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस खासकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) ने तीन निर्दलीय विधायकों को तोड़कर ऐसा राजनीतिक खेल खेला (Haryana Political Crisis) कि पूरी सरकार संकट में आ गई।
भाजपा, जजपा और इनेलो में सेंधमारी करने का हुड्डा का यह मिशन लगातार जारी है। हालांकि, भाजपा भी कम नहीं है और कांग्रेस में लगातार सेंधमारी कर रही है, लेकिन तीन निर्दलीय विधायकों ने हुड्डा के पाले में खड़े होकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) की सरकार के सामने बहुमत साबित करने की चुनौती पेश कर दी है।
हुड्डा की पसंद के उम्मीदवार
प्रदेश की नौ लोकसभा सीटों में से आठ पर अपनी पसंद के उम्मीदवार उतरवाकर हुड्डा पहले ही हरियाणा कांग्रेस की राजनीति के किंग मेकर बन चुके हैं। हुड्डा ने भिवानी से किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी, हिसार से पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के पू्र्व सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह और गुरुग्राम में पूर्व सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव की टिकटें कटवाकर अपनी पसंद के उम्मीदवारों को दिलाने में बड़ी सफलता हासिल की है।
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हुड्डा ने जिसे चाहा उसे टिकट मिली और जिसे नहीं चाहा, उसकी टिकट कटवाई। इससे कांग्रेस में हुड्डा के सामने एसआरके (सैलजा-किरण-रणदीप) गुट की पिछले दिनों अचानक बढ़ी ताकत तो कम हुई ही, साथ ही बीरेंद्र सिंह को भी हुड्डा ने बता दिया कि उनके बिना दिल्ली का रास्ता नापना फायदे का सौदा नहीं हो सकता है।
राजनीतिक विरोधियों को दिया बड़ा झटका
हुड्डा ने अपने राजनीतिक विरोधियों को लोकसभा चुनाव की तैयारी के बीच तब बड़ा झटका दिया, जब भाजपा सरकार को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों धर्मपाल गोंदर, सोमवीर सांगवान और रणधीर गोलन को अपनी बगल में बैठाकर हुड्डा ने प्रेस कान्फ्रेंस कर दी।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में बादशाहपुर के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद भी आने वाले थे, लेकिन उनका मन अचानक बदल गया और वह पृथला के विधायक नयनपाल रावत की तर्ज पर पीछे ही रह गए।
इस पूरे घटनाक्रम का असर यह हुआ कि जो भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारी में व्यस्त थी, उसे अब हुड्डा ने प्रदेश सरकार बचाने की प्रक्रिया में उलझा दिया है। तीन निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में खींचकर हुड्डा ने जहां बड़ा स्कोर किया है, वहीं लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया के बीच जजपा और इनेलो के सामने भी सरकार के साथ चलने अथवा विपक्ष में रहकर अपनी भूमिका निभाने पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।
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