सरकार, हड़तालियों की तकरार में यात्री बेबस
जागरण संवाददाता, करनाल रोडवेज कर्मचारियों की पहले दिन की हड़ताल सफल दिखी। 181 बसों के बेड़े में से 180 बसों के पहिये थमे रहे। कर्मचारियों ने एकजुट होकर सरकार की नीतियों की ¨नदा की और वादाखिलाफी का आरोप लगाया। बेड़े में 720 प्राइवेट बसों को किलोमीटर पॉलिसी के तहत शामिल करने का विरोध कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि सरकार प्रदेश के डिपो पर ताला लगाना चाहती है।
जागरण संवाददाता, करनाल
रोडवेज कर्मचारियों की पहले दिन की हड़ताल सफल दिखी। 181 बसों के बेड़े में से 180 बसों के पहिये थमे रहे। कर्मचारियों ने एकजुट होकर सरकार की नीतियों की ¨नदा की और वादाखिलाफी का आरोप लगाया। बेड़े में 720 प्राइवेट बसों को किलोमीटर पॉलिसी के तहत शामिल करने का विरोध कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि सरकार प्रदेश के डिपो पर ताला लगाना चाहती है। कर्मचारियों ने बस स्टैंड पर हंगामे के साथ प्रदर्शन किया। हड़ताल के कारण यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। सरकार और हड़तालियों की लड़ाई में यात्री बेबस नजर आए। उन्हें प्राइवेट व्हीकल हायर कर या फिर सहकारी समिति की बसों से गंतव्य तक जाना पड़ा। कुछ यात्रियों ने ट्रेन का सहारा भी लिया। खासकर स्कूल और कॉलेजों में भी रौनक कम देखने को मिली। बसों की हड़ताल के कारण ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले विद्यार्थी नहीं पहुंच पाए। हरियाणा रोडवेज की कर्मचारी यूनियन भारतीय मजदूर संघ, महासंघ, इंटक, ऑल हरियाणा कर्मचारी संघ, संयुक्त कर्मचारी संघ, ड्राइवर संघ, रोडवेज कर्मचारी एससी सेल के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों की ओर से तालमेल कमेटी का गठन कर हड़ताल की गई।
डिपो से नहीं चली एक भी बस
करनाल डिपो के अंतर्गत 181 बसें हैं जो विभिन्न रूटों पर चलकर यात्रियों को यातायात की सुविधा प्रदान करती हैं। डिपो में करीब दस बसें लड़कियों के लिए लगाई गई हैं। मंगलवार को हड़ताल के कारण एक भी बस नहीं चली। इसके चलते बस स्टैंड और आसपास सवारियों का जमावड़ा रहा। हड़ताल में सबसे अधिक परेशानी बुजर्गो और महिलाओं को झेलनी पड़ी। इसके साथ ही शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी अपने गंतव्य स्थानों तक पहुंचने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
निजी समितियों 75 बसें रोड पर
सरकारी बसों के अलावा निजी 75 बसें निजी समितियों के द्वारा चलाई जा रही हैं। जो मंगलवार को यात्रियों की सहारा बनी। हड़ताल के चलते ये बसों मंगलवार को ओवरलोड होकर चली। यात्री भी जल्द से जल्द अपने गंतव्य स्थल पर पहुंचने के लिए इन बसों में लटके नजर आए। छोटे रूटों पर चलने वाली प्राइवेट बसों को भी परिवहन समितियों के संचालकों ने लॉन्ग रूट बनाकर मौके का फायदा उठाया गया। आते ही भर जाती थीं निजी बसें
आलम यह था कि प्राइवेट बसें जैसे ही बस स्टैंड पर पहुंचती थी सवारियां पहले ही इंतजार में मौजूद खड़ी थी। बसें आते ही पूरी भर जाती थी, जिसके चलते निजी बस संचालकों की कमाई कई गुना बढ़ गई। वहीं हड़ताल के मद्देनजर बस स्टैंड पर मौजूद पुलिस बल ने बस स्टैंड के सभी गेट्स को बंद कर दिया। इसके चलते सवारियों को सड़क पर खड़े होकर बसों और अन्य यातायात साधनों का इंतजार करना पड़ रहा था। इसके चलते बस स्टैंड के आसपास की सड़कों पर जाम की सी स्थिति उत्पन्न हो गई। छात्राओं का आरोप, देना पड़ा किराया
रोडवेज की हड़ताल के कारण छात्राओं को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। स्कूल व कालेजों में पढ़ने वाली छात्राएं जब निजी बसों में सवार हुई तो उनकी परिचालकों ने जबरन टिकट काटा। छात्राओं ने आरोप लगाया कि उन्होंने जब निश्शुल्क यात्रा की बात कही तो नीचे उतार दिया। मजबूरी में टिकट लेना पड़ा। वर्जन
रोडवेज महाप्रबंधक अश्विनी कुमार डोगरा ने कहा कि हड़ताल पर गए कर्मचारियों की लिस्ट बनाकर मुख्यालय में भेज दी है। उच्चाधिकारियों के जो भी आदेश होंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।