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ज्ञान के लिए किताबों से दोस्ती करें युवा : पंकज यादव

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कल्याण विभाग द्वारा आयो

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Mar 2018 01:59 AM (IST)Updated: Fri, 09 Mar 2018 01:59 AM (IST)
ज्ञान के लिए किताबों से दोस्ती करें युवा : पंकज यादव

जागरण संवाददाता, करनाल : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कल्याण विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय साहित्य महोत्सव का उद्घाटन बृहस्पतिवार को डीएवी पीजी कॉलेज के सभागार में करनाल मंडल के आयुक्त पंकज यादव ने किया।

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युवाओं को हरियाणा के साहित्य निर्माता के रूप में रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में हिस्सेदारी हरियाणा की नई पीढ़ी की साहित्य धर्मिता का आश्वासन है। उन्होंने कबीर और सूर की पदावली का उदाहरण देते हुए कहा कि हम उनकी रचनाओं को एक पंक्ति से उनको पहचान जाते वह किस कवि की रचना है। उन्होंने युवा साहित्यकारों से अपील करते हुए कहा कि साइबर युग में जो सोशल मीडिया है वह सूचना का माध्यम है। ज्ञान के लिए हमें किताबों से दोस्ती करनी होगी। उन्होंने कहा कि डिजिटल मीडिया ने साहित्य के लिए चुनौती खड़ी की है, लेकिन युवा अगर अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम साहित्य के कैनवस पर करते हैं तो उनकी पहचान उनके निजता बदलती हुई दुनिया में ¨हदुस्तानी साहित्य को नई दिशा देगी।

उन्होंने कहा कि कार्यशाला में जो युवाओं के विचार हैं, उनका दस्तावेजीकरण जरूरी है। इस संदर्भ में विश्वविद्यालय से आए प्रतिनिधियों से आग्रह करते हुए प्रस्ताव रखा कि युवाओं की रचनात्मकता को स्वर देने की यह कार्यशाला तभी अर्थपूर्ण होगी जब यहां उभरे विचार लोगों तक पहुंचाएं जाएंगे।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में हरियाणा की पहली महिला आइएफएस अधिकारी डॉ. अम¨रद्र कौर ने कहा कि धरती हमारी मां है। अगर हम धरती को वृक्ष विहीन करते हैं, नदियों को पानी विहीन करते हैं तो यह मनुष्य द्वारा किया गया मातृत्व का अपमान है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में सभी युवाओं को प्रकृति दर्शन कार्यक्रम के तहत शिवालिक की पहाड़ियों पर कलेसर नेशनल पार्क का भ्रमण हरियाणा वन विकास निगम कराएगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति अपनी संरचना में जो बुनावट करता है यदि मनुष्य उसमें व्यवधान पैदा करता है तो धरती का संतुलन खराब होता है। ऐसे में साहित्य मनुष्य को विवेक प्रदान करता है और सही और गलत की पहचान करने की दृष्टि देता है। डॉ. अम¨रद्र कौर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन साहित्य की कार्यशाला में हरियाणा की बेटियों की हिस्सेदारी सुखद, स्वस्थ और प्रकृति संपन्न हरियाणा का आश्वासन है।

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साहित्य राजनीति के आगे चलने वाली मशाल : सतीश श्रीवास्तव

दैनिक जागरण के पानीपत यूनिट के समाचार संपादक सतीश श्रीवास्तव ने कहा कि साहित्य राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है, पर उसकी पिछलग्गू नहीं है। उन्होंने कहा कि समकालीन ¨हदी साहित्य में ¨हदी के पत्रकारों को ऐतिहासिक योगदान है। उन्होंने फणीश्वर नाथ रेणू से लेकर मंगलेश डबराल का उदाहरण देते हुए कहा कि पत्रकार की नजर व्यापक होती है, ऐसे में जब वह रचना के मैदान में उतरता है तो उसका सर्वव्यापी नजरिया यथार्थवादी साहित्य की रचना करता है। युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस धरती पर संस्कृत के महान ग्रंथ भगवत गीता की रचना हुई आज वहां कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में संस्कृति विभाग में विद्यार्थियों की कम होती संख्या हमारे समय का बड़ा दुर्भाग्य है।

संस्कृतकर्मी राजीव रंजन ने उद्घाटन सत्र में आधार व्यक्तव्य देते हुए कहा कि समकालीन साहित्य की रचनात्मकता का आधार जब तक समकालीन प्रश्न नहीं होंगे, तब तक युवाओं की प्राथमिकता में साहित्य नहीं होगा। हरियाणा की सरजमीं पर यदि वर्ष में लगभग पांच हजार लोगों की मृत्यु सड़क दुर्घटना में हो रही है और यह साहित्य की रचनात्मकता का विषय नहीं है तो लोग साहित्य क्यों पढ़ेंगे? साहित्य दुख सांझा करने का मंच है।

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करनाल के समाज के लिए यह उपलब्धि : आरपी सैनी

प्राचार्य डॉ. आरपी सैनी ने कहा कि डीएवी पीजी कॉलेज में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का साहित्यिक शिविर का आयोजन विद्यार्थियों के लिए ही नहीं, करनाल के समाज के लिए भी उपलब्धि है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के साहित्यक कार्यशालाओं के इतिहास में शायद ही कोई नामचीन साहित्यकार होगा जो युवाओं से संवाद करने हरियाणा ना आया हो। उन्होंने कहा कि अब इस अभियान में आरंभ के वर्षो में जो विद्यार्थी साहित्यिक प्रतिभा के रूप में चिह्नित हुए थे, अब वो कार्यशाला में प्रशिक्षक के रूप में आ रहे हैं। आज के दिन कार्यशाला में प्रवीन शर्मा की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है।

केयू प्रदान करता विद्यार्थियों को मंच : राणा

केयू के युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के सहायक निदेशक हर¨वद्र राणा ने कहा कि यह कार्यशाला कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के विभिन्न विषयों के छात्रों को न सिर्फ सांस्कृतिक एवं साहित्यक प्रतिभाओं के रूप में चिह्नित करती है बल्कि उन्हें मंच भी देती है। अखिल भारतीय युवा महोत्सव में उनकी भागीदारी का सारा जिम्मा उठाती है। साहित्यक कार्यशालाओं के इस अभियान में हरियाणा में कल्चर नहीं एग्रीकल्चर है के मुहावरे को बदलकर सांस्कृतिक नवजागरण का काम किया है।

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नाटक मंचित कर जताई प्रकृति संरक्षण को लेकर ¨चता

उद्घाटन सत्र के आखिर में शुरुआत समिति के रंगकर्मियों ने पर्यावरण संरक्षण को समर्पित नाटक ¨जदगी का शिक्षाप्रद मंचन किया। नाटक का निर्देशन समिति की सचिव रीता रंजन ने किया। नाटक की रागिनी पहले वाली हवा रही ना पहले वाला पानी लोगों की भावनाओं को स्पंदित कर दिया। नाटक में र¨वद्र, सरिता, राम, सोहन, विशाल, विवेक, विशाल कुमार, विकल्प, अंजू, सन्नी, सुनील, युवराज ने सक्रिय एवं जीवंत भूमिका निभाई।

दोपहर बाद के सत्र में शब्द उच्चारण, भाषा और शब्द प्रयोग पर आकाशवाणी के उद्घोषक श्याम गुप्ता ने सारगर्भित व्याख्यान दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि कई बार शब्दों की अर्थ व्यंजना को जाने बगैर उच्चारण मात्र से अर्थ का अनर्थ हो जाता है। वैसे ही साहित्य लेखन में शब्दों की प्रस्तुति से पहले कहानी के भाव को आत्मसात किए बिना लेखन स्तरहीन हो जाता है। ऐसे में हर युवा के भीतर स्वयं के आत्मनिरीक्षण की क्षमता विकसित होनी चाहिए। यह क्षमता सिर्फ साहित्य पढ़ने से ही विकसित होगी।

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प्रकृति वर्णन के साहित्य को यदि हटा दिया जाए तो साहित्य संसार में सन्नाटा पसर जाएगा

सांयकालीन सत्र में विशेषज्ञ के रूप में संस्कृति राजीव रंजन ने प्रकृति संरक्षण में साहित्य की भूमिका विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि ¨हदी साहित्य में प्रकृति वर्णन के साहित्य को यदि हटा दिया जाए तो साहित्य संसार में सन्नाटा पसर जाएगा। सूर की पदावली यमुना के किनारे वासुदेव की लीलाओं के वर्णन से भरी हुई है यानि यमुना का प्रवाह जो अविरल है और अमृत है वह वासुदेव कृष्ण जैसे नायक को साकार करती है। ऐसे ही सरयू की धारा राम जैसे नायक की धारणा को साकार करती है। जरा कल्पना करें जब इन नदियों में पानी नहीं है तो बेपानी धरती पर किस तरह के मनुष्य विकसित होंगे। जलवायु परिवर्तन के दौर में प्राकृतिक भयावता के कारणों की तलाश साहित्यकार ही करेगा। उन्होंने कहा कि आज आधुनिक समय में इंजीनिय¨रग का सर्वोत्तम दौर है, पर हम बारूद के ढेर पर बैठे हैं, लेकिन शिक्षक आत्मा के निर्माण का अभियंता है। ऐसे में इंजीनिय¨रग का विवेक ही दुनिया को तबाही से बचाने का मार्ग प्रशस्त करेगा और यह ताकत सिर्फ और सिर्फ साहित्य में है।


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