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पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके में गई थी चार लोगों की जान, कमेटी की जांच पर प्रशासन ने ही मारी कुंडली

करीब सात माह पहले 23 फरवरी को घोघड़ीपुर गांव के समीप पटाखा फैक्ट्री में हुए हादसे को लेकर आम लोगों द्वारा टालमटोल किए जाने के जो कयास लगाए जा रहे थे जिला प्रशासन उन पर पूरी तरह से खरा उतरा है। भले ही इस हादसे में चार कर्मियों की जान चली गई लेकिन प्रशासन ने इससे कोई सबक नहीं लिया। यहां तक कि डीसी निशांत यादव के आदेश पर बनाई गई कमेटी की जांच पर ही प्रशासन ने खुद ही कुंडली मार ली और आज तक यह रिपोर्ट बाहर नहीं आ सकी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 06:42 AM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 06:42 AM (IST)
पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके में गई थी चार लोगों की जान,  कमेटी की जांच पर प्रशासन ने ही मारी कुंडली
पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके में गई थी चार लोगों की जान, कमेटी की जांच पर प्रशासन ने ही मारी कुंडली

जागरण संवाददाता, करनाल : करीब सात माह पहले 23 फरवरी को घोघड़ीपुर गांव के समीप पटाखा फैक्ट्री में हुए हादसे को लेकर आम लोगों द्वारा टालमटोल किए जाने के जो कयास लगाए जा रहे थे, जिला प्रशासन उन पर पूरी तरह से खरा उतरा है। भले ही इस हादसे में चार कर्मियों की जान चली गई, लेकिन प्रशासन ने इससे कोई सबक नहीं लिया। यहां तक कि डीसी निशांत यादव के आदेश पर बनाई गई कमेटी की जांच पर ही प्रशासन ने खुद ही कुंडली मार ली और आज तक यह रिपोर्ट बाहर नहीं आ सकी। हालांकि, इस हादसे के बाद जिला प्रशासन के साथ-साथ एक्सप्लोसिव विभाग के अधिकारी भी पानीपत से जांच करने के लिए पहुंचे थे और उन्होंने यहां पत्रकारों के समक्ष फैक्ट्री में बड़े स्तर पर लापरवाही बरते जाने का रहस्योद्वाटन भी किया था, लेकिन इसके बाद सब कुछ सामान्य हो गया। हालांकि पुलिस ने एक मजदूर की शिकायत पर उस समय फैक्ट्री मालिक के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें बाद में जमानत भी मिल गई थी, लेकिन इस हादसे के पीछे रहे कारणों को लेकर प्रशासन की ओर से कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी। यहां तक कि अन्य पटाखा फैक्ट्रियों में किस कदर पर लापरवाही बरती जा रही है, यह जानने का भी प्रयास नहीं किया गया। शायद यही कारण है कि सोमवार को फिर एक मजदूर पटाखा फैक्ट्री में हादसे का शिकार हो गया, जो जिदगी एवं मौत से जूझ रहा है। इस हादसे को लेकर भी प्रशासन गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है। यहां तक कि पुलिस भी दूसरे दिन मंगलवार देर शाम तक भी कोई कार्रवाई नहीं कर सकी। पुलिस के पास एक ही तर्क है कि झुलसा कर्मी अभी ब्यान देने में सक्षम नहीं है।

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मामले में डीसी ने साधी चुप्पी

घोघड़ीपुर के समीप 23 फरवरी को पटाखा फैक्ट्री में हुए हादसे में चार लोगों की जान चली गई थी। मामले की जांच के लिए डीसी निशांत यादव ने कमेटी भी बनाई थी, लेकिन आज तक कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई। अब डीसी ने भी इस मामले पर चुप्पी साध ली है। झुलसा मजदूर को पीजीआई किया रेफर

मेरठ रोड पर गांव नगला मेघा के पास पटाखा फैक्ट्री में सोमवार को हुए धमाके के बाद कर्मचारियों में हड़कंप मच गया था। सभी कर्मचारी बाहर भाग निकले थे तो वहीं सूचना मिलने पर पहुंचे फायर कर्मियों की मानें तो वहां झुलसा एक कर्मी तड़पता हुआ मिला था। बाद में उसकी पहचान मेरठ वासी कर्मचारी शाहरुख के तौर पर हुई। उसे कल्पना चावला राजकीय अस्पताल में दाखिल कराया, जहां से गंभीर हालत के चलते उसे पीजीआई रोहतक रेफर कर दिया गया था। बताया जा रहा है कि स्वजन उसे वहां से मेरठ किसी अस्पताल में ले गए हैं। झुलसा कर्मी बयान देने में सक्षम नहीं : सतपाल

मंगलौरा चौकी इंचार्ज सतपाल सिंह का कहना है कि धमाके से झुलसा कर्मी अभी बयान देने में सक्षम नहीं है, जिसके चलते कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी। झुलसे कर्मी को पीजीआई रोहतक रेफर कर दिया गया है। जांच कर कार्रवाई के दिए आदेश : एसपी

एसपी गंगा राम पूनिया का कहना है कि इस मामले को लेकर संबंधित पुलिस अधिकारियों को जांच कर जल्द कार्रवाई किए जाने के आदेश दे दिए गए हैं। झुलसा कर्मी बयान देने में सक्षम नहीं है तो अन्य मजदूरों या उसके स्वजनों के बयान के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।


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