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पूर्व सांसद सीताराम येंचुरी ने सुशील काजल के परिवार को सांत्वना दी

पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यसभा सांसद एवं मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येंचुरी व पूर्व राज्यसभा सांसद निलोतप दास ने रविवार को रायपुरजाटान गांव में पहुंचकर मृतक किसान सुशील काजल के परिजनों को सांत्वना दीं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 10:47 PM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 10:47 PM (IST)
पूर्व सांसद सीताराम येंचुरी ने सुशील काजल के परिवार को सांत्वना दी
पूर्व सांसद सीताराम येंचुरी ने सुशील काजल के परिवार को सांत्वना दी

संवाद सहयोगी, घरौंडा : पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यसभा सांसद एवं मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येंचुरी व पूर्व राज्यसभा सांसद निलोतप दास ने रविवार को रायपुरजाटान गांव में पहुंचकर मृतक किसान सुशील काजल के परिजनों को सांत्वना दीं। उन्होंने भाजपा पर सरकार पर भी निशाना साधा और लघु सचिवालय के घेराव के बाद किसानों की जीत पर भी खुशी जताई। सांसद सीताराम येंचुरी ने कहा कि हरियाणा सरकार को किसानों के सामने झुकना पड़ा है। तीनों कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर केंद्र सरकार भी किसानों के सामने जरूर झुकेगी लेकिन उसमें थोड़ा समय जरूर लगेगा। गौरतलब है कि बीती 28 अगस्त को बसताड़ा टोल पर हुए लाठीचार्ज की घटना में कई किसान घायल हुए थे। बताया जा रहा है कि सुशील काजल को भी लाठीचार्ज के दौरान चोटें लगी थी, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई थी। सुशील काजल के परिवार को 25 लाख का मुआवाजा देने, घायलों को दो-दो लाख रुपए, सुशील काजल के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग किसानों ने उठाई थी। सात सितंबर को करनाल लघु सचिवालय का भी घेराव किसानों ने किया था, तीन दिन बाद किसानों की मांगों को प्रशासन ने माना। सीताराम येंचुरी ने कहा कि सुशील काजल की शहादत बेकार नहीं गई है। किसानों ने जो मांगें रखी, उसको प्रशासन ने पूरा किया है, जबकि पहले सरकार व प्रशासन मांगों से मुकर रहा था। सीताराम येंचुरी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दस महीने से चल रहे आंदोलन को नजरअंदाज करके चल रहे और सोच रहे है कि किसान थक हारकर चले जाएंगे जबकि किसानों का संघर्ष मजबूत है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन का असर चुनावों पर भी पड़ा है। जिसका ताजा उदाहरण पश्चिम बंगाल व केरल के चुनावों में सामने आया, जहां बीजेपी की सीटें ही नहीं। इसी तरह यूपी और उत्तराखंड के चुनावों में भी किसान आंदोलन का असर दिखाई देगा। इस मौके पर मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के के पूर्व सचिव इंद्रजीत सिंह, जिला सचिव राजेंद्र सिंह, जगपाल राणा, अशोक अरोड़ा मौजूद थे।

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