पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं पटाखे
जासं, करनाल : वैसे तो दीप महोत्सव हर किसी के लिए खुशी का त्योहार है। इस दिन के लिए हम एक महीने पहले से ही तैयारी भी शुरू कर देते हैं।
जासं, करनाल : वैसे तो दीप महोत्सव हर किसी के लिए खुशी का त्योहार है। इस दिन के लिए हम एक महीने पहले से ही तैयारी भी शुरू कर देते हैं।
दिवाली जीवन में समृद्धि लेकर आती है, लेकिन पटाखों के उपयोग से एक तो हम पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं, वहीं इनके इस्तेमाल से हर साल हजारों लोग हादसों का ग्राफ बन जाते हैं। कई लोग तो अपनी जान से भी हाथ धो बैठते हैं। पटाखों से होने वाले नुकसान
- पटाखों का सबसे ज्यादा नुकसान ह्रदय रोगियों, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के मरीजों को होता है। पटाखों के शोर-शराबे और प्रदूषण के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। ऐसे में उपरोक्त लोगों को दीवाली के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
- पटाखों को फोड़कर हम अपने पैसों का तो नुकसान करते ही है। पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
- पटाखों का जहरीला कूड़ा जब जमीन में धंस कर रह जाता है तो मिट्टी प्रदूषण, जलने के बाद धुआं तो वायु प्रदूषण, पटाखों के फूटने की वजह से ध्वनि प्रदूषण और वही जला हुआ जहरीला कूड़ा जब नदियों में जाता है तो जल प्रदूषण फैलता है।
- पटाखे जहरीले रसायनों से बने होते हैं, जिनसे कैंसर तक होने का खतरा रहता है।
- पटाखों का उपयोग सबसे ज्यादा बच्चे करते हैं और इसीलिए इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है। जो बाद में कई प्रकार के इन्फेक्शन और बीमारियों का कारण बनते हैं।
- बच्चों के लिए लोग फुलझड़ियों को पसंद करते हैं, लेकिन इसके धुंए से बेरियम, स्ट्रोंशियम, कॉपर, आयरन होते हैं जो बच्चों के शरीर के लिए हानिकारक होते हैं।
-पटाखों के फोड़ने को लेकर आपसी विवाद तक पैदा हो जाते हैं, जो रंजिश का रूप ले लेते हैं। सीएमओ डॉ. गुलशन अरोड़ा ने बताया कि पटाखों के धुएं से हृदय और सांस के रोगियों को बचना चाहिए। इसके अलावा, त्वचा के रोगी, कान, नाक, आंखों के रोगियों को सावधानी बरतनी चाहिए। खुद को सुरक्षित रखने के लिए पटाखों के धुएं से दूर रहना चाहिए।