पराली जलाना छोड़ पर्यावरण के ¨चतक बने किसान, बोले-पर्यावरण संरक्षण में सभी किसानों की भागीदारी हो सुनिश्चित
उपकृषि निदेशक कार्यालय के सभागार में दैनिक जागरण की ओर पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण क
उपकृषि निदेशक कार्यालय के सभागार में दैनिक जागरण की ओर पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण को बचाएंगे कार्यक्रम का आयोजन, पराली नहीं जलाने वाले जागरूक किसानों को प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित जागरण संवाददाता, करनाल
पराली जलाना छोड़ पर्यावरण के प्रहरी बने धरतीपुत्र बुधवार को उपकृषि निदेशक कार्यालय में दैनिक जागरण के बैनर तले कार्यक्रम में एकत्रित हुए। पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे अभियान से प्रेरित होकर पराली जलाना छोड़कर और दूसरे किसानों को जागरूक करने का प्रण लेने वाले किसानों को कृषि विभाग के एसडीओ डॉ. सुनील बजाड़, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के कृषि विज्ञान केंद्र के पूर्व अध्यक्ष डॉ. दलीप गोसाईं, कृषि विभाग के पूर्व तकनीकी अधिकारी डॉ. एसपी तोमर, डॉ. वीरेंद्र ¨सह, डॉ. रतन ¨सह और डॉ. कमल बैनीवाल ने किसानों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में दैनिक जागरण के इस अभियान की सराहना की गई।
कृषि जगत से जुड़े बुद्धिजीवियों ने कहा कि दैनिक जागरण पर्यावरण संरक्षण की दिशा में लोगों को जागरूक कर अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण का पराली से गहरा नाता है। पराली जलाने से प्रदूषण फैल रहा है। जागरण अभियान से सीख ले हजारों किसानों ने पराली न जलाकर नजीर भी बन रहे हैं। जो अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। कार्यक्रम में जागरूक किसानों ने पराली को बेकार अवशेष नहीं, बल्कि खाद के रूप में इस्तेमाल वाला एक अच्छा साधन बताया। 40 हजार एकड़ को कस्टम हाय¨रग सेंटरों से जोड़कर कराया समाधान
कृषि विभाग के एसडीओ डॉ. सुनील बजाड़ ने कहा कि दैनिक जागरण का यह अभियान बेहद प्रशंसनीय है। कृषि विभाग की ओर से पराली नहीं जलाने के लिए किसानों को जागरूक किया, जिसमें दैनिक जागरण ने भी भागीदारी की। हम लोगों को जागरूक करने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा कि 200 किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर कृषियंत्रों को उपलब्ध कराया, जिससे पराली के निस्तारण में अहम भूमिका निभाई। डॉ. सुनील बजाड़ ने कहा कि 40 हजार एकड़ जमीन को कस्टम हाय¨रग सेंटरों के माध्यम से अवशेषों का निस्तारण कराया है। उन्होंने किसानों को कहा कि अब समय आ गया है कि हम अवशेषों का सदुपयोग करें। इसे खाद के रूप में इस्तेमाल करें। इससे निकलने वाली जहरीली गैस न केवल हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि भूमि की उर्वरा शक्ति को भी नुकसान हो रहा है। इससे हमें बचना होगा। हमारे प्रयास नाकाफी, अधिक ऊर्जा से काम करने की जरूरत
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के पूर्व अध्यक्ष डॉ. दलीप गोसाईं ने कहा कि दैनिक जागरण का पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे अभियान काफी पापुलर हुआ है। किसानों की जुबान पर यह नारा आया है। कृषि विभाग, एनडीआरआइ और दैनिक जागरण के संयुक्त प्रयास से जिले में हम पराली जलाने को रोकने के लिए काफी हद तक कामयाब हुए हैं, लेकिन पिछले दिनों मैंने फील्ड में उतरकर देखा तो पराली जलाने की छिटपुट घटनाएं अभी भी थीं। यानी तय है कि जिस ऊर्जा के साथ हम इस अभियान में लगे हैं उसको दोगुना करने की जरूरत है। हमें निरंतर इस विषय को फॉलो करना होगा। उम्मीद है कि अगले साल से हमारे जिले में एक भी घटना पराली जलाने की नहीं होगी। अब तो तकनीक इतनी आ गई हैं कि अवशेषों को प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है। ऐसे में किसान जागरूक हों। ऐसे किसानों को सलाम, जिन्होंने पराली जलाना त्याग दिया
कृषि विभाग के पूर्व तकनीकी अधिकारी डॉ. एसपी तोमर ने कहा कि इस सम्मान समारोह में बैठे किसानों को सलाम है, जिन्होंने पराली जलाना पूरी तरह से त्याग दिया है। वह बधाई के पात्र हैं। इन किसानों ने पर्यावरण को बचाने का काम किया है। उन्होंने किसानों को कहा कि सॉयल हेल्थ कार्ड जमीन की सेहत बताता है। यदि आपने अपनी जमीन की रिपोर्ट पढ़ी हो तो आपकी आंखे खुली की खुली रह जाएंगी, क्योंकि उत्पादन के लालच में जमीन को हमने इतना जहरीला कर दिया है कि उसके परिणाम आज हमारे सामने हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी तकनीक आप इस्तेमाल नहीं कर सकते तो वेस्ट डी कंपोजर से भी धान के अवशेषों को जमीन के अंदर ही मल्च कर सकते हैं। महज 12 दिन के अंदर 75 प्रतिशत अवशेष गल जाएंगे और अगली फसल के लिए आपका खेत तैयार हो जाएगा। इन किसानों को मिला सम्मानित
किसान सम्मान समारोह में प्रगतिशील किसान कलवेहड़ी से हरप्रीत ¨सह, ईश्वर ¨सह, रामकुमार, नेकीराम, कुंजपुरा से राजेश, फूसगढ़ से संजीव, कुंजपुरा से विक्रम, डबरी से गुरबाज ¨सह, संगोही से सुभाष चंद, जयचंद, केहर ¨सह, संगोहा से शीशपाल, नरूखेड़ी से सतबीर ¨सह, स. गुरकीरत ¨सह और सुरेश को सम्मानित किया गया।