स्वयं की मेहनत से शिक्षा विभाग का बचाया लाखों का खजाना
संजीव गुप्ता निगदू कोरोना कॉल में लॉकडाउन के चलते सभी धंधे व काम बंद होने की वजह से अ
संजीव गुप्ता, निगदू
कोरोना कॉल में लॉकडाउन के चलते सभी धंधे व काम बंद होने की वजह से आय का कोई साधन नहीं था। आम जनता ने कम खर्चे से घर का निर्वाह करना चाहा तो वहीं कुछ व्यक्तियों ने अपनी जमा पूंजी से भी घर चलाने के लिए खर्चा किया था। इसके अलावा सभी व्यापार बंद होने के बाद भी कुछ लोगों ने अपनी पूंजी को बचत के रूप में जमा भी किया। मंदी के चलते शिक्षक ने मेहनत से शिक्षा विभाग के हजारों रुपये की बचत करके दिखाई। उन्होंने लॉकडाउन के चलते शिक्षण संस्थान में स्वयं की मेहनत से सुन्दर मॉडल बनाकर हजारों रुपये का सामान तैयार कर दिया। हम बात कर रहे हैं निगदू के राजकीय वरिष्ठ मॉडल संस्कृति विद्यालय में नियुक्त शारीरिक शिक्षक दिनेश चौधरी की। उन्होंने दिनरात विद्यालय में मेहनत करके स्वयं बच्चों के खेलने के लिए प्रयोग होने वाली मॉडल बनाए तो वहीं शिक्षण संस्थान के सौंदर्य को बढाने के लिए घास व विभाग द्वारा हजारों रुपये की खर्चे को बचाकर सुन्दर मॉडल से विद्यालय की रौनक बढ़ाई। इसके अलावा विद्यालय में आने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिए पांव दबाकर नल चलाने वाली टंकी तैयार की। शिक्षण संस्थान मेरा घर, बचत परम कर्तव्य : दिनेश
स्कूल को घर और बचत को कर्तव्य मानने वाले शारीरिक शिक्षक दिनेश चौधरी ने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते विद्यालय बंद था जिसके चलते उन्होंने विद्यालय में हजारों रुपये की घास की पौध तैयार करके नाममात्र खर्चे में तैयार किया तो वहीं घास कटिग करने वाली मशीन को मार्केट से खरीदने की बजाय स्वयं वेस्ट सामान से तैयार करवाई गई। स्कूल में बच्चों के खेलने के लिए वॉलीबॉल व बैडमिटन पोल तैयार कराकर विभाग के हजारों रुपये बचाए हैं। मॉडल का नाम - संख्या - अनुमानित कीमत - स्वयं खर्चा आया - बचत
1. वॉलीबाल पोल - 2 पीस - 30000 रुपये - 2000 रुपये - 28000 रुपये
2. बैडमिटन पोल - 2 पीस - 50000 रुपये - 2000 रुपये - 48000 रुपये
3. पैर से चलने वाला नल -1 पीस - 12000 रुपये - 300 रुपये - 11700 रुपये
4. घास - 30000 रुपये - 5000 रुपये - 25000 रुपये
5. घास कटिग मशीन - 1 मशीन - 30000 रुपये - 7000 रुपये - 23000 रुपये
6. स्कूल में सुन्दर मॉडल - 2 पीस - 15000 रुपये - 1000 रुपये - 14000 रुपये
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..और इतनी रकम की बचत अगर बाजार से ये सामान खरीदा जाता तो शिक्षा विभाग को करीब 167000 रुपये खर्च करने पड़ते लेकिन विभाग के शिक्षक ने यह सारा सामान 17300 रुपये में तैयार करके करीब डेढ़ लाख रुपये बचा लिए हैं।