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खेती से होने वाली आय में आर्थिक आत्मनिर्भरता जरूरी : धनखड़

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की क्षेत्रीय समिति-5 की 25वीं बैठक केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में हुई। इसमें कृषि और किसान कल्याण मंत्री हरियाणा सरकार ओमप्रकाश धनखड़ ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस बैठक में हरियाणा, पंजाब और दिल्ली राज्यों की कृषि, पशुपालन, मछली पालन, उद्यान और वानिकी से संबंधित विषयों की समस्याओं पर विचार-विमर्श किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 08:27 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 08:27 PM (IST)
खेती से होने वाली आय में आर्थिक आत्मनिर्भरता जरूरी : धनखड़
खेती से होने वाली आय में आर्थिक आत्मनिर्भरता जरूरी : धनखड़

जागरण संवाददाता, करनाल

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की क्षेत्रीय समिति-5 की 25वीं बैठक केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में हुई। इसमें कृषि और किसान कल्याण मंत्री हरियाणा सरकार ओमप्रकाश धनखड़ ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस बैठक में हरियाणा, पंजाब और दिल्ली राज्यों की कृषि, पशुपालन, मछली पालन, उद्यान और वानिकी से संबंधित विषयों की समस्याओं पर विचार-विमर्श किया। समस्याओं की पहचान, अनुसंधान शिक्षा और प्रसार मुद्दों की प्राथमिकताओं को देखते हुए रणनीति बनाने का कार्य शुरू हुआ। इस समिति में लगभग 150 कृषि वैज्ञानिक, नीति निर्धारक, कृषक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की गवर्निंग बाडी के सदस्य, परिषद के संस्थानों के निदेशक, आयुक्त कृषि मंत्रालय भारत सरकार, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, तकनीकी कार्यकर्ता, प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री की ओर से मन की बात कार्यक्रम में चर्चा किए गए पंजाब के धरतीपुत्र सरदार गुरबचन ¨सह को फसल अवशेष न जलाने के लिए इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और अध्यक्ष से सम्मानित किया गया। ओमप्रकाश धनखड़ ने स्थानीय समस्याओं को कृषि अनुसंधान का विषय बनाने पर जोर दिया और बताया कि खेती से होने वाली आय में आर्थिक आत्मनिर्भता जरूरी है। कृषि की समगतिशीलता को बढ़ाने के लिए फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ जैविक खेती और देसी गाय को कृषि प्रणाली का अभिन्न अंग बनाना होगा। किसानों की आय में सार्थक वृद्धि के लिए सामूहिक प्रयास के साथ-साथ बिचौलियों से मुक्ति तथा ई-विपणन और फसल तथा पशुपालन पर राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण नीतियों का विकास किया है तथा लागू भी किया है, जिससे कृषकों को फायदा हो रहा है। हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में मछली पालन की समस्याओं का किया हल

समिति के अध्यक्ष एवं महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और सचिव डेयरी डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने तीनों राज्यों से आए हुए हितधारकों का स्वागत करने के साथ बताया कि परिषद ने पंजाब, हरियाणा तथा दिल्ली राज्यों की कृषि, पशुपालन तथा मछली पालन की कई समस्याओं का हल दिया है। ये तीनों राज्य देश की कुल चावल तथा गेहूं उत्पादन में करीब 20 प्रतिशत का योगदान देते हैं। समयबद्ध होकर कर रहे किसानों की समस्याओं का हल

इससे पूर्व समिति के सदस्यों तथा संबंधित हितधारकों का स्वागत करते हुए छबीलेंद्र राउल, विशेष सचिव डेयर तथा सचिव भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने बताया कि राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों और संबंधित कृषि विभाग का गठजोड़ मिलकर कृषि तकनीकियों को सीधे तौर पर किसानों तक पहुंचाते हैं। उनकी समस्याओं का समयबद्ध सीमा में हल कर रहे हैं। मछली पालन में अपार संभावनाएं

नोडल अधिकारी डा. जेके जेना, उपमहानिदेशक मछली एवं पशुपालन ने इस बात पर जोर दिया कि पंजाब, हरियाणा तथा दिल्ली की बदलती कृषि प्रणाली तथा प्राकृतिक संसाधनों के बदलते स्वरूप को ध्यान में रखते हुए मछली पालन की अपार संभावनाएं हैं। मिलावट रोकने के लिए नई तकनीक का विकास जरूरी : एसके गुलाटी

हरियाणा सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विकास के सहायक मुख्य सचिव एसके गुलाटी ने बताया कि गुणवत्ता सुधार करने के लिए अनुसंधान संस्थानों को घी में मिलावट रोकने के लिए नए तकनीकी का विकास करने की जरूरत है।


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