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बीमार व्यवस्था से अस्पताल में नहीं मिली दवा

नागरिक अस्पताल के मुख्य गेट पर सोमवार सुबह 1142 बजे लोगों का जमावड़ा देख मरीजों की संख्या का अंदाजा लगाया जा सकता था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 08:46 AM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 08:46 AM (IST)
बीमार व्यवस्था से अस्पताल में नहीं मिली दवा
बीमार व्यवस्था से अस्पताल में नहीं मिली दवा

जागरण संवाददाता, करनाल: नागरिक अस्पताल के मुख्य गेट पर सोमवार सुबह 11:42 बजे लोगों का जमावड़ा देख मरीजों की संख्या का अंदाजा लगाया जा सकता था। बदलते मौसम और प्रदूषण के कारण मरीजों की संख्या में जहां इजाफा हुआ है। वहीं एक दिन की छुट्टी के बाद मरीज यहां परेशान होते दिखाई दिए। चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को ओपीडी में डॉक्टर नहीं मिले, जबकि कुछ की ड्यूटी अन्य सेंटर में लगी थी। क्षेत्र में मुख्यमंत्री होने के बावजूद अस्पताल की व्यवस्था में खामी दिखाई दी। दैनिक जागरण टीम ने अस्पताल में रहकर देखा कि बीमार व्यवस्था में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। भाषणों में बेहतर सुविधाएं, धरातल पर नहीं

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सतपाल ने बताया कि भाषणों में स्वास्थ्य सुविधाएं धरातल पर जीरो हैं। गांव से यहां तक पहुंचने में रोडवेज की हालत किसी से छिपी नहीं है। पत्नी के इलाज के लिए अब यहां पर जांच और दवा के लिए मानो परीक्षा देनी पड़ रही है। रजिस्ट्रेशन से लेकर दवा तक 40 से 45 मिनट लाइन में लग रहे हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुविधाओं का यहां अभाव है। मजबूरी का नाम नागरिक अस्पताल

मीकम सिंह ने बताया कि बदलते मौसम में शरीर अस्वस्थ हो गया है। आर्थिक तौर पर कमजोर होने के कारण बाहर महंगा इलाज नहीं करा पाते, जिसके चलते यहां मजबूरन आना पड़ता है। सरकार और अधिकारी कोई भी हो लेकिन अस्पतालों में मरीजों को लाइन में लगना आम बात है। चिकित्सकों को हाथ जोड़ने के बावजूद समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। बाहर से खरीदनी पड़ती है दवा

सुरेश कुमार ने बताया कि महंगे इलाज से बचने के लिए सरकारी अस्पताल में आते हैं, लेकिन यहां पर मरीजों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है। मरीज को अगर खून जांच करवानी पड़े तो अगले दिन फिर से अस्पताल का चक्कर लगना पड़ रहा है। खानापूर्ति के नाम पर एक मिनट से भी कम समय में चिकित्सक दवा लिख देते हैं, जोकि अस्पताल में न मिलने के कारण बाजार से खरीदनी पड़ती है। बाजार से करवाने पड़ते टेस्ट

पिचौलिया निवासी वेदपाल ने बताया कि डेंगू के कारण बुखार में भी डॉक्टरों की ओर से टेस्ट लिख दिए जाते हैं, लेकिन यहां व्यवस्था सही न होने के कारण मरीजों का समय से टेस्ट नहीं हो पाते। मजबूरन महंगे टेस्ट बाजार से कराना पड़ता है। स्वास्थ्य अधिकारियों को मरीजों की जांच और सुविधाओं के लिए गंभीर होना चाहिए।


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