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किसानों की आत्महत्या को लेकर ¨चतित थे डॉ. शिवाश्रय : डॉ. आरआरबी ¨सह

जागरण संवाददाता, करनाल राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. आरआरबी ¨सह ने

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Jan 2018 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jan 2018 03:00 AM (IST)
किसानों की आत्महत्या को लेकर ¨चतित थे डॉ. शिवाश्रय : डॉ. आरआरबी ¨सह
किसानों की आत्महत्या को लेकर ¨चतित थे डॉ. शिवाश्रय : डॉ. आरआरबी ¨सह

जागरण संवाददाता, करनाल

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राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. आरआरबी ¨सह ने कहा कि डॉ. शिवाश्रय ¨सह सेवानिवृत होने के बाद भी किसानों के संकट पर शोध कार्य कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वह अपनी संघर्ष यात्रा जीवन यात्रा के रूप में लिपिबद्ध कर रहे थे। जिसमें भारत के किसान की दुर्दशा और संकट को कम करने में वैज्ञानिक की क्या भूमिका है उसे चिन्हित कर रहे थे।

वह बुधवार को सेक्टर सात स्थित कर्णेश्वर मंदिर में डॉ. शिवाश्रय ¨सह की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक का दायित्व किसान जीवन के संकट को ना सिर्फ कम करना है बल्कि विपरित प्राकृतिक चुनौतियों, संकटों के बीच व खेती और जीवन को कैसे बेहतर बना सकता है का रास्ता दिखाना है। डॉ. शिवाश्रय ¨सह के नजदीकी और सहयोगी रहे एनडीआरआइ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. टी राय ने कहा कि उन्होंने एक ऐसा समाज बनाया जिसमें नागरिक, वैज्ञानिक, विद्यार्थी सभी के दुख-सुख को महसूस करते हुए समाज को बेहतर बनाना जीवन का उद्देश्य है। उनके व्यवहार में अंगीकृत होता था। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. कनौजिया ने कहा कि उनके साथ विद्यार्थी से लेकर प्रशासनिक जिम्मेदारी का अनुभव एक ऐसा नेतृत्व विकास का वातावरण प्रदान करता था जो समाज को बेहतर बनाने का व्यवहार था।

प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. बीआर यादव ने कहा कि वह ग्रामीण जीवन को शहर से बेहतर बनाने के लिए कैसे पारंपरिक पशुपालन को वैज्ञानिक तौर-तरीके से जोड़ा जाए इस दिशा में निरंतर कार्य करते रहे। उन्होंने कहा कि मैने पुस्तकालय अध्यक्ष के रूप में रिटायरमेंट के बाद भी उनको निरंतर अध्ययन करते हुए देखा। पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ. आरके मलिक ने कहा कि वह सिर्फ वैज्ञानिक नहीं थे, बल्कि अपने कनिष्ठ साथियों के अच्छे अभिभावक भी थे। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. घनश्याम शर्मा ने कहा कि वह विपरित परिस्थितियों में भी लोगों को उत्साहित करते रहते थे। डेयरी प्रोद्योगिकी की अध्यक्ष डॉ. लता सबिकी ने कहा कि मै उनकी विद्यार्थी रही हूं। वर्तमान समय में उनके नेतृत्व में कभी संचालित रहा विभाग डेयरी प्रोद्योगिकी को संभाल रही थी। शैक्षणिक कैलेंडर में उनके द्वारा वर्षों पहले लिए गए फैसले आज भी समसामयिक हैं।

डॉ. शिवाश्रय ¨सह के पुत्र सुनील ¨सह ने कहा कि वह जो रास्ता दिखाकर गए हैं हम उस पर चलेंगे ही नहीं बल्कि उनके अधूरे रचनात्मक कार्यों को पूरा करेंगे। उनकी पत्नी इंद्रा ¨सह ने कहा कि उनके मौलिक लेखन को प्रकाशित करवाएंगी। पुत्री एवं खानपुर विश्वविद्यालय के कैंपस स्कूल की प्राचार्य सरोज ¨सह ने कहा कि उनके पिता वैज्ञानिक होने के साथ-साथ बेहतर शिक्षक भी थे। शिक्षा का पहला संस्कार हमने उनसे ही ग्रहण किया। डॉ. विश्वेंद्र ¨सह ने कहा कि जो भी उनसे मिलता था उनका हो जाता था। संस्कृतिकर्मी राजीव रंजन ने कहा कि डॉ. ¨सह राष्ट्रीय एकीकरण की भावना को व्यवहार में लागू करते थे। ऐसे में हम सभी का यह दायित्व है कि आने वाले समय में उनकी वैचारिकता और अध्ययनशीलता को नई पीढ़ी से रूबरू कराने के क्रम में वार्षिक रूप से डॉ. शिवाश्रय ¨सह स्मृति व्याख्यान माला का आयोजन किया जाए। जिसमें किसान, वैज्ञानिक, मीडियाकर्मी, विद्यार्थी, शिक्षक आमने-सामने बैठकर जलवायु परिवर्तन के दौर में किसान के संकट का समाधान तलाश सके। इस अवसर पर डॉ. एसपी त्रिपाठी, गेहूं अनुसंधान निदेशालय से प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रतन तिवारी, डॉ. अनुज राय, एनडीआरआइ से डॉ. एचपी त्रिपाठी, डॉ. मीना मलिक, डॉ. मृदुला उपाध्याय, सीएसएसआरआइ से राममूरत राय सहित सैकड़ों वैज्ञानिक, शिक्षक, नागरिक मौजूद रहे।


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