दूषित पानी से आम आदमी का खराब हो रहा लीवर, जिम्मेदार इसलिए निश्चिंत, उन्हें मिल रहा मशीन का शुद्ध पानी
शहर के लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। कायदा है, जब भी पानी के सैंपल फेल आएं तो इस रिपोर्ट पर तुरंत एक्शन हो, लेकिन ऐसा नहीं होता। जब इसकी पड़ताल की गई कि ऐसा क्यों? तो पर्दाफाश हुआ।
जागरण संवाददता, करनाल : शहर के लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। कायदा है, जब भी पानी के सैंपल फेल आएं तो इस रिपोर्ट पर तुरंत एक्शन हो, लेकिन ऐसा नहीं होता। जब इसकी पड़ताल की गई कि ऐसा क्यों? तो पर्दाफाश हुआ। जिम्मेदार के यहां जो पानी आ रहा है, उसके शुद्ध होने की तो शत-प्रतिशत गारंटी है। क्योंकि कोई जिम्मेदार अपने घर से आए पानी को पीता है तो किसी ने अपने कार्यालय में लगा रखा वाटरप्यूरीफाइ यंत्र। यही वजह है जिम्मेदारों को पानी की शुद्धता की ¨चता ही नहीं है। क्योंकि उनका और आम आदमी का पानी अलग-अलग जो है। हेल्थ विभाग ने जिले में सप्लाई हो रहे पानी के जो सैंपल लिए, इसमें 22.79 प्रतिशत फेल मिले।
अपने पीने के पानी की कितनी ¨चता, देखिए
1. डीसी कार्यालय
रिपोर्ट की एक कापी इनके पास भी जाती हैं। हर माह सैंपल लिए जाते हैं। इसके बाद भी आज तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ।
इसलिए डीसी नि¨श्चत हैं
इनके कार्यालय में पीने का पानी वाटरप्यूरीफाइ से शुद्ध हो रहा हैं। जागरण टीम जब इनके कार्यालय पहुंची तो यहां एक विशेष कैंपर भी पानी से भरा था।
-------------
2. जनस्वास्थ्य विभाग कार्यालय शहर को साफ व शुद्ध पानी देने की जिम्मेदारी इन्ही की है।
इसलिए निश्चिंत है
मॉडल टाउन स्थित जनस्वास्थ्य विभाग के कार्यालय में सुपरिटें¨डग इंजीनियर के कार्यालय का निरीक्षण किया तो एसई रमेश कुमार तो पीने का पानी अपने घर से लेकर आते हैं।
--------------
3. स्वास्थ्य विभाग
पानी की जांच करना। जिम्मेदारों को आगाह करना, ताकि शहर को पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध हो सके। जिससे लोग बीमारियों से बचे रहे।
इसलिए निश्चिंत
यहां उच्च गुणवत्ता का आरओ सिस्टम लगा हुआ है। अब जनाब कम से कम पानी की वजह से तो बीमार होंगे नहीं, इसलिए आम आदमी की उन्हें भी ¨चता क्या? मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा दी
जून में जहां 22.79 प्रतिशत सैंपल फेल आए थे। जुलाई में बढ़ कर 41 प्रतिशत सैंपल पीने के पानी के फेल आए। साफ है पानी दूषित होने का सिलसिला बढ़ रहा है। आकृति संस्था के अध्यक्ष अनुज सैनी ने बताया कि दूषित पानी के बढ़ते सैंपल गवाह हैं कि हम पंगु व्यवस्था के गुलाम हैं। इससे तो आजादी अवश्य चाहिए।