पर्यावरण के लिए घातक रही दीपावली की रात
दीपाली की रात की पर्यावरण के लिए घातक रही।
जागरण संवाददाता, करनाल: दीपाली की रात की पर्यावरण के लिए घातक रही। पटाखों से निकले जहरीले धुएं की वजह से मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ा। सबसे ज्यादा परेशानी अस्थमा के मरीजों को झेलनी पड़ी और उन्हें सांस लेने में पूरी रात दिक्कत रही। जबकि धुंए का असर वीरवार को भी कायम रहा। दुपहिया वाहन पर चलने वाले लोगों को आंख में जलन की शिकायत हुई। आतिशबाजी से प्रदूषण का स्तर बढ़कर 200 पीएम यानि पर्टिकुलेट मैटर तक पहुंच गया। सामान्य तौर पर 100 पीएम से कम होना चाहिए। दीपावली पर्व देर रात तक हुई आतिशबाजी से प्रशासन के निर्देशों की सरेआम धज्जियां उड़ी। बुधवार को घरों में पूजा अर्चना के बाद आतिशबाजी का दौर शुरू हो गया। देर रात तक लोगों ने पर्व की खुशी में खूब पटाखे छोड़े।
पटाखों से निकली यह जहरीली गैस
पटाखों से जहरीली गैस निकलने से हवा पूरी तरह से प्रदूषित हो गई। पटाखों से सल्फर डाई आक्साइड, कार्बन डाइ आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, आक्साइडस आफ नाइट्रोजन के साथ साथ अधजले कार्बन के कण निकले। यह फिजा में घुलने से लोगों को परेशानी हुई।
पटाखों की सरेआम हुई बिक्री
शहर में पटाखों की बिक्री के लिए सेक्टर चार में स्टाल अलाट किए गए थे। इसके अलावा कहीं और पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध था। बावजूद इसके शहर के हर क्षेत्र में अवैध रूप से पटाखों की बिक्री हुई। पुराना शहर क्षेत्र, पुरानी सब्जी मंडी, पुरानी सब्जी मंडी रोड, कुंजपुरा, बस स्टैंड मार्केट, राम नगर व कैथल रोड मार्केट में रेहड़ियों पर सरेआम पटाखों की बिक्री होती देखी गई। त्योहार के चलते इन बाजारों में काफी भीड़ रही। ऐसे में पटाखों के कारण हादसा होने का भी भय बना रहा।
नाक व मुंह को मास्क से ढककर रखें-डॉ. राजीव गुप्ता
अमृतधारा माई अस्पताल के संचालक डा. राजीव गुप्ता ने कहा कि पटाखों के धुंए से दमे और सांस के मरीजों को भी काफी खतरा है। पटाखे जलाने से हवा में बारूद के छोटे कण फैल जाते हैं, जिससे लोगों को सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत, घबराहट और आंखों तथा नाक में जलन की समस्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदूषित जगह पर जाने से बचना चाहिए, नाक और मुंह को मास्क से ढक कर रखना चाहिए। पिछले साल से कम रहा ध्वनि व वायु प्रदूषण: डॉ. राकेश भारद्वाज
रसायनशास्त्री डा. राकेश भारद्वाज ने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल ध्वनि व वायु प्रदूषण का स्तर कम रहा है। पिछले साल की तुलना में करीब 25 प्रतिशत प्रदूषण कम हुआ है। लोगों में आई जागरूकता की वजह से यह संभव हो सका है।