कंट्रोल रूम: डायल 100 अटेंडेंट मुस्तैद नहीं, हद दर्जे की लापरवाही बरत रहे हैं
आम आदमी का भरोसा है कि कंट्रोल रूम डायल 100 पर कॉल करते ही पुलिस की मदद मिल जाएगी, लेकिन यहां बैठे अटेंडेंट कॉल करने वालों का भरोसा तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यहां एक दम ठेठ पुलिस अंदाज में काम हो रहा है।
जागरण संवाददाता करनाल : आम आदमी का भरोसा है कि कंट्रोल रूम डायल 100 पर कॉल करते ही पुलिस की मदद मिल जाएगी, लेकिन यहां बैठे अटेंडेंट कॉल करने वालों का भरोसा तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यहां एक दम ठेठ पुलिस अंदाज में काम हो रहा है। कॉल करने वाले को मदद के नाम पर टरका दिया जाता है। भले ही मुसीबत कितनी भी बड़ी क्यों न हो?
ऐसा ही वाक्या शुक्रवार को हुआ। केनरा बैंक के बज रहे हूटर के मामले में जानकारी देने के बाद भी कंट्रोल रूम से कोई स्मार्ट रिस्पांस नहीं मिला। हद तो यह हो गई कि कंट्रोल रूम के कर्मचारी अपनी लापरवाही मानने के बजाय शिकायत करने वाले को ही हड़काने में लगे रहे। तीन बार कॉल करने के बाद एक राइडर मौके पर आया, लेकिन वह भी 55 मिनट बाद।
दोपहर 3.48 पर बज रहा था हूटर
दोपहर 3.48 मिनट पर बैंक का हूटर लगातार बज रहा था। यह बैंक का बड़ा सेंटर है। यहां काफी पैसा भी रहता है। आसपास तीन अन्य बैंक भी हैं। दोपहर को बज रहे हूटर को देख कर जागरण संवाददाता ने कंट्रोल रूम में कॉल कर पूरी जानकारी दी।
दोबारा कॉल किया तो बोल दिया झूठ
23 मिनट तक कंट्रोल रूम की ओर से कोई रिस्पांस नहीं मिला। न मौके पर कोई राइडर या पुलिसकर्मी पहुंचे। इस पर कंट्रोल रूम में दोबारा कॉल किया गया। वहां से बताया गया कि दो पीसीआर भेज दी है। आप ¨चता न करें, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि यहां कोई पीसीआर नहीं पहुंची। तीसरी बाल कॉल किया, उधर से ऑपरेटर ने संवाददाता को ही धमकाना शुरू कर दिया। उसने कहा कि पीसीआर पहुंच गई है।
55 मिनट बाद पहुंचे, लेकिन भटकते हुए
55 मिनट बाद राजेश नाम का एक पुलिसकर्मी थका मांदा सा बाइक पर पहुंचा। तब तक हूटर भी बंद हो गया था। इतना ही नहीं बैंक कर्मियों को भी पता चल गया वे भी मौके पर पहुंच गए। आते ही पुलिसकर्मी ने बताया कि वह तो बैंक की बि¨ल्डग के पीछे देख रहे थे। जब उन्हें बताया गया कि पीछे क्यों देख रहे थे, बैंक के सामने से देखना चाहिए था कि हो क्या रहा है? इस पर उसका कोई जवाब नहीं था।
न जांच न पड़ताल, दावा चूहा होगा
पुलिसकर्मी ने आते ही दावा किया कि कोई चूहा होगा, जो हूटर के सामने आ गया होगा, लेकिन इस दावे का आधार क्या? तब पुलिसकर्मी के पास कोई जवाब नहीं था। अलबत्ता ठेठ पुलिसिया अंदाज में लगभग धमकाते हुए उसने कॉल करने वाले से ही पूछताछ करना शुरू कर दिया।
पुलिसकर्मियों की जवाबदेही होनी चाहिए सुनिश्चित
यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष राकेश ढुल ने बताया कि कॉल अटेंडेंट करने वाले से लेकर राइडर तक सभी कर्मियों की जवाबदेही सुनिश्चित कर उनके खिलाफ ठोस एक्शन लेना चाहिए। क्योंकि कंट्रोल रूम तो वह जगह है, जहां जानकारी मिलते का मतलब होना चाहिए तुरंत रिस्पांस। एडवोकेट ढुल ने बताया कि यहां बेहद प्रशिक्षित पुलिसकर्मी होने चाहिए, जिनका व्यवहार भी अच्छा हो। वह यह समझे कि मदद मांगने वाले को कैसे रिस्पांस करना है। क्या मदद देनी है, यह जानकारी भी उन्हें होनी चाहिए।