पॉलिक्लीनिक शुरू करने के लिए सिविल सर्जन ने डीजी को लिखा पत्र
शहर के लोगों को जल्द सेक्टर-16 स्थित पॉलिक्लीनिक की सुविधा मिलने वाली है। हालांकि यहां पर दिखावे के तौर पर एक एमओ एक फार्मासिस्ट और स्टाफ नर्स की ड्यूटी लगाई हुई है। 25 से 30 की ओपीडी भी हो रही है लेकिन इस एरिया के दबाव के हिसाब से यह नाममात्र ही है।
जागरण संवाददाता, करनाल : शहर के लोगों को जल्द सेक्टर-16 स्थित पॉलिक्लीनिक की सुविधा मिलने वाली है। हालांकि यहां पर दिखावे के तौर पर एक एमओ, एक फार्मासिस्ट और स्टाफ नर्स की ड्यूटी लगाई हुई है। 25 से 30 की ओपीडी भी हो रही है, लेकिन इस एरिया के दबाव के हिसाब से यह नाममात्र ही है। लंबे समय से उलझे इस प्रोजेक्ट को सुचारू करने के लिए सिविल सर्जन डॉ. रमेश कुमार ने डीजी हेल्थ को पत्र लिखा है। जिसमें मैन पावर और अन्य संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की है। चुनावी आचार संहिता के चलते मामला लटका हुआ है। 27 मई के बाद मामले में तस्वीर साफ होगी।
फायदा क्या
करीब 30 हजार की आबादी है इस क्षेत्र में
सेक्टर-16 एरिया में लगभग 30 हजार से अधिक आबादी रहती है। यहां पर पॉलिक्लीनिक सुचारू रूप से चलता है तो करीब 30 हजार की आबादी को शहर के अंदर नागरिक अस्पताल या कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। प्राथमिक उपचार यहीं मिल सकता है। लोगों की सुविधाओं के लिए छह करोड़ की लागत से पॉलिक्लीनिक का निर्माण किया गया था। बनाए गए हैं दो फ्लोर, शिफ्ट होगी फूड लैब
पॉलिक्लीनिक बिल्डिंग में दो फ्लोर बनाए गए हैं। इसमें फर्स्ट फ्लोर में फूड लैब होगी। साथ ही ग्राउंड फ्लोर पर पॉलिक्लीनिक है। पॉलीक्लीनिक एक छोटे अस्पताल की तरह है। जहां लोगों के लिए वार्ड, ओटी, लैब और डॉक्टरों के लिए रूम उपलब्ध हैं। इसमें लोगों को फार्मा, स्पेशलिस्ट, डेंटिस्ट और मेडिकल ऑफिसर संबंधी सुविधाएं मिलेंगी। इन डॉक्टरों की लगेगी ड्यूटी
सीनियर मेडिकल ऑफिसर- 01
मेडिकल ऑफिसर - 01
डेंटल सर्जन - 01
स्पेशलिस्ट- 01
फार्मासिस्ट 01 -----------------
सिविल सर्जन डॉ. रमेश कुमार ने कहा कि पॉलिक्लीनिक को चालू करना उनकी प्राथमिकता में है। इसको लेकर मुख्यालय को पत्र लिखा गया है। हमने क्लीनिक को चालू करने के लिए हमें कितनी मैनपावर चाहिए और कितने संसाधनों की जरूरत है, उसकी डिटेल बनाकर भेज दी है। जल्द ही इसको चालू कराया जाएगा। प्राथमिक तौर पर वहां पर हम ओपीडी कर रहे हैं, लेकिन जितनी चाहिए उतनी नहीं हो पा रही है।
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