बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे की बिगड़ती चाल नागरिक अस्पताल
बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावों की बिगड़ती चाल शहर के नागरिक अस्पताल में देखी जा सकती है। नेताओं के भाषणों वाली सुविधाओं का सच जाने तो यहां मरीजों को इलाज के लिए चार घंटे की प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, करनाल : बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावों की बिगड़ती चाल शहर के नागरिक अस्पताल में देखी जा सकती है। नेताओं के भाषणों वाली सुविधाओं का सच जाने तो यहां मरीजों को इलाज के लिए चार घंटे की प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है। पारदर्शिता वाले दौर में गरीब को नजरअंदाज कर चिकित्सक पहले चहेतों की जांच की चिता कर रहे हैं। दोपहर 12.18 बजे मरीज 42 से अधिक मरीज चिकित्सक के दरवाजे पर टकी-टकी लगाकर देख रहे हैं कि अब उसकी पर्ची में लिखे नाम की आवाज लगेगी। यहां की बीमार व्यवस्था में खानापूर्ति के लिए सिक्योरिटी तैनात नहीं की गई है। सरकारी बाबू अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं और मरीज लाइन में तकलीफ झेल रहे हैं। एक मिनट की जांच के बाद मरीज को दवा बाहर के मेडिकल शॉप की लिखी जा रही है। एक मिनट में कर दी जांच
फोटो 66
मरीज भीम कुमार कहते हैं कि सुबह दस बजे रजिस्ट्रेशन खिड़की पर खड़ा हुआ था और अब एक बजे दवा लेने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। एलर्जी की समस्या के कारण आज दिहाड़ी तोड़ कर इलाज के लिए आया हूं। बावजूद चिकित्सक ने मात्र एक मिनट में पर्ची बनाकर दवा लेने के लिए भेज दिया है। अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को सही से इलाज नहीं मिल रहा है और स्टाफ कर्मियों का बोलचाल भी नरम नहीं है। चहेतों को पहले बुलाते चिकित्सक
फोटो 67
हांसी रोड निवासी विनोद ने बताया कि बच्चे का स्वास्थ्य खराब होने के कारण सुबह समय से अस्पताल में पहुंच गए थे। चिकित्सक ओपीडी में न होने के कारण इंतजार करना पड़ा। डॉक्टर के आने पर चहेतों को पहले जांच के लिए अंदर बुला लिया। मरीज को चार घंटे दवा लेने में लग रहे हैं जबकि उच्चाधिकारी अपनी कुर्सी छोड़ कर व्यवस्था जांचने नहीं पहुंच पा रहे हैं। अधिकारियों के इस रैवेये के कारण मरीजों का सरकारी अस्पताल से विश्वास उठ रहा है। इलाज के नाम पर खानापूर्ति
फोटो 68
नागरिक अस्पताल में दवा की लाइन में उलझ रहे विशाल ने बताया कि अगर कोई अधिकारी एक दिन सुबह इसी तरह इलाज करवाने के लिए पूरी प्रक्रिया से निकले तो मालूम होगा की यहां इलाज के नाम पर मरीजों के साथ किस तरह खानापूर्ति की जाती है। डॉक्टरों द्वारा लिखी दवा अस्पताल में मिलती नहीं है, जिसके चलते बाहर मोटी रकम खर्च कर खरीदनी पड़ रही है। आंखों के इलाज के लिए सुबह दस बजे से जांच के लिए जुटा हुआ हूं। अपनी बारी के इंतजार में पानी भी नहीं पी सका।