चैलेंज : परिवार के किसी सदस्य के साइन दिखाओ मान जाऊंगा सर्वे सही : पार्षद बचाव : अपनी आपत्ति पर बात करें, हम ऐसे हस्ताक्षर नहीं दिखा सकते : एसडीएम
वार्डबंदी पर दूसरे दिन भी विरोध जारी रहा। आपत्ति जता रहे पार्षदों ने सर्वे को फर्जी करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। माहौल इतना बिगड़ गया कि अधिकारियों की तमाम दलीलें भी पार्षदों को संतुष्ट नहीं कर पाई। वार्ड 15 के पार्षद सतीश कुमार ने जनसंख्या सर्वे को ही चैलेंज करते हुए एसडीएम नरेंद्र मलिक से कहा कि मेरे परिवार में 12 सदस्य हैं। आपके पास जो सर्वे लिस्ट उसमें किसी के भी साइन दिखा दें। मान जाऊंगा कि सर्वे सही है। अधिकारियों ने जवाब दिया कि आपने जो आपत्ति दर्ज कराई थी केवल उस पर ही बात करें।
जागरण संवाददाता, करनाल : वार्डबंदी पर दूसरे दिन भी विरोध जारी रहा। आपत्ति जता रहे पार्षदों ने सर्वे को फर्जी करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। माहौल इतना बिगड़ गया कि अधिकारियों की तमाम दलीलें भी पार्षदों को संतुष्ट नहीं कर पाई। वार्ड 15 के पार्षद सतीश कुमार ने जनसंख्या सर्वे को ही चैलेंज करते हुए एसडीएम नरेंद्र मलिक से कहा कि मेरे परिवार में 12 सदस्य हैं। आपके पास जो सर्वे लिस्ट उसमें किसी के भी साइन दिखा दें। मान जाऊंगा कि सर्वे सही है। अधिकारियों ने जवाब दिया कि आपने जो आपत्ति दर्ज कराई थी केवल उस पर ही बात करें। हम आपके परिवार के सदस्यों के बारे में तो बता सकते हैं, लेकिन सर्वे लिस्ट में किए आपके साइन नहीं दिखा सकते।
इससे पहले वार्ड 5 की पार्षद संतोष लाठर के पति रोहताश लाठर ने भी यही मांग की। अधिकारियों ने उन्हें भी मना कर दिया। इसके बाद आपत्ति पर सुनवाई के लिए आए कई लोगों ने यह डिमांड कर डाली, लेकिन सर्वे लिस्ट किसी को नहीं दिखाई गई। इधर, एसडीएम का दावा है उन्होंने किसी को भी लिस्ट दिखाने से मना नहीं किया है।
सर्वे रद कर एजेंसी और अधिकारियों पर कार्रवाई करें
गुस्साए पार्षद सतीश कुमार व उनके साथ आए राजकुमार, ऋषिपाल, अशोक व सतीश ने कहा कि वह एसडीएम की सुनवाई से संतुष्ट नहीं है। दावा किया कि यह सर्वे फर्जी है। विजिलेंस जांच के बाद इसे रद कर सर्वे करने वाली एजेंसी और संबंधित निगम के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इस पर 26 लाख रुपये यूं ही बर्बाद कर दिए गए हैं। या तो सर्वे दोबारा कराया जाए, नहीं तो पहले के वार्डो के हिसाब से ही इस बार भी चुनाव कराए जाएं। बड़ा सवाल : क्या पार्षद व नागरिकों का चैलेंज स्वीकार करेगा निगम
एडवोकेट अभिषेक तंवर व हर्ष लाठर ने कहा कि पार्षदों व शहर के लोगों ने जनसंख्या सर्वे में उनके साइन नहीं दिखाना छोटी बात नहीं है। यह बड़ी चूक की ओर इशारा कर रही है। बड़ा सवाल है कि क्या इन लोगों के चैलेंज को प्रशासन स्वीकार करेगा? यदि एजेंसी का सर्वे सही है तो इसे तुरंत पूरा कर देना चाहिए। फोटो----20 नंबर है।
बिना सर्वे ऋषि नगर को लिस्ट में जोड़ दिया
वार्ड 15 के पार्षद सतीश ने ऋषि नगर में रहते हैं। पहले जारी लिस्ट में उनकी कॉलोनी को जोड़ा ही नहीं गया था। पार्षद ने कहा कि अब बिना सर्वे किए ही उनकी कॉलोनी को लिस्ट में जोड़ दिया गया। यह तो सरासर गलत है। बिना सर्वे कैसे पता चलेगा कि यहां कितनी आबादी है? फोटो----22 नंबर है।
हमारा तो परिवार ही तोड़ दिया
फूसगढ़ निवासी पूर्व सरपंच सुरेश लाठर ने कहा कि नई वार्डबंदी में उनका तो परिवार ही तोड़ दिया। फूसगढ़ व टीकड़ा कॉलोनी एक ही परिवार है। टीकड़ा कॉलोनी वार्ड 2 में शामिल कर दी। फूसगढ़ गांव वार्ड 3 में कर दिया, जबकि पहले दोनों वार्ड 5 में थे। अधिकारियों ने आबादी का तर्क दिया तो सुरेश ने जवाब दिया कि टीकड़ा कॉलोनी की आबादी सर्वे में 960 दिखाई है, जबकि यहां तो वोट ही एक हजार से अधिक हैं। अधिकारी बोले तो पहले बताना था। लोगों ने जवाब दिया कि सर्वे करने कोई आया ही नहीं तो बताते किसे। सर्वे दोबारा होना चाहिए।
50 साल से साथ थे, अब अलग कर दी कॉलोनियां
चंद्रहास, सुरेंद्र नंबरदार, देवेंद्र, अमरपाल व राकेश ने कहा कि 50 साल से सूरज नगर, भट्ठा कॉलोनी, कृष्णा कॉलोनी व कटा बाग एक ही वार्ड में थे। अब भट्ठा कॉलोनी और कृष्णा कॉलोनी को उनसे अलग कर दिया है। इससे उनका तो भाईचारा ही टूट गया। अधिकारी अब जांच की बात कह रहे हैं। सूरज नगर नक्शे में नहीं है। इसकी जगह ब्राइट सन स्कूल दिखा दिया। दावा है कि हमारे में से किसी के सर्वे लिस्ट में साइन नहीं है। किसने किए होंगे पता नहीं।
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सामान्य वर्ग की संख्या बढ़ाई
भाजपा के मंडल सचिव सुभाष कश्यप ने कहा कि अंसुल टाउन, कटा बाग, विकास कॉलोनी और गोपी वाली गामड़ी में करीब 10 हजार की आबादी है। इनमें से करीब 8 हजार बीसी हैं, लेकिन एजेंसी ने सर्वे में सामान्य वर्ग के लोग अधिक दिखा दिए, जबकि वह दो हजार से भी कम हैं। सुरेश सैनी, मोहन, राममेहर व सोनू ने आरोप लगाया कि उनके एरिया में एजेंसी सर्वे करने ही नहीं आई।
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सुनवाई नहीं करनी थी तो आपत्ति का ड्रामा क्यों?
निर्मल विहार निवासी बसंत राणा ने कहा कि उनका एरिया पहले सेक्टर-7 में था। अब इसे ग्रामीण इलाके के साथ जोड़ दिया गया। जब बात ही नहीं सुननी थी तो आपत्ति का यह ड्रामा क्यों किया? अधिकारी सरेआम मनमानी कर रहे हैं।
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वार्डबंदी को छेड़ने की जरूरत क्यों पड़ी : सुनील
एडवोकेट सुनील कुमार ने कहा कि एसडीएम से एक ही बात पूछी थी कि वार्डबंदी को छेड़ने की जरूरत क्यों पड़ी? दूसरा आपत्ति यह थी कि जब सरकार ने हाईकोर्ट में अंडर टे¨कग दी है तो 2011 के सेंसेक्स के हिसाब से इसे क्यों नहीं किया गया। प्रथम दृष्टया लगता है कि चंद लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए यह वार्डबंदी की गई, जबकि बड़ी आबादी के हितों को दरकिनार कर दिया गया। जवाब मिला कि अभी कागजात नहीं हैं, बाद में दिखाएंगे।