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शताब्दी समारोह श्रृंखला की शुरुआत कल, केंद्रीय कृषि मंत्री करेंगे शिरकत

जागरण संवाददाता करनाल राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के शताब्दी समारोह की कार्यक्रम श्रृ

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 11:08 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 11:08 PM (IST)
शताब्दी समारोह श्रृंखला की शुरुआत कल, केंद्रीय कृषि मंत्री करेंगे शिरकत
शताब्दी समारोह श्रृंखला की शुरुआत कल, केंद्रीय कृषि मंत्री करेंगे शिरकत

जागरण संवाददाता, करनाल: राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के शताब्दी समारोह की कार्यक्रम श्रृंखला का आगाज एक जुलाई को होगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर इस अवसर पर आयोजित हो रहे कार्यक्रम के दौरान संस्थान स्मारक का उद्घाटन करेंगे। इसके अलावा संस्थान परिसर में तैयार आक्सीजन पार्क की भी शुरुआत होगी। संस्थान के सौ वर्ष के सफर में अर्जित उपलब्धियों पर केंद्रित पुस्तिका का विमोचन किया जाएगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्रा सहित देश भर के प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधि इस महत्वपूर्ण अवसर के साक्षी बनेंगे।

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बुधवार को संस्थान स्थित सभागार में संवाददाताओं के रूबरू हुए संयुक्त निदेशक डा. धीर सिंह और जनसंपर्क अधिकारी डा. एके डांग ने बताया किसी संस्थान के सौ वर्ष लंबे सफर की उपलब्धि अपने आप में बेहद विशिष्ट और गौरवपूर्ण अवसर है। इसे यादगार बनाने के लिए वार्षिक गतिविधियों का पूरा खाका तैयार किया गया है। शताब्दी समारोह की यह कार्यक्रम श्रृंखला एक जुलाई से शुरू हो जाएगी। एक जुलाई 1923 को संस्थान की स्थापना बैंगलोर में हुई थी। इसके बाद करनाल आने पर शोध व अनुसंधान संबंधी तमाम गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। इसके तहत संस्थान ने जहां मिश्रित श्रेणी की कर्ण फ्रिज और कर्ण स्विस जैसी गाय की उन्नत नस्लें विकसित कीं वहीं क्लोनिग से लेकर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आइवीएफ तकनीक पर भी काफी काम किया गया है। दूध में मिलावट के मामलों की जांच के लिए विशिष्ट अनुसंधान किए गए हैं। संस्थान में विकसित तकनीक पूरी दुनिया में सरकारी और अन्य क्षेत्रों को सफलतापूर्वक हस्तांतरित भी की गई हैं।

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देसी नस्लों को बढ़ावा देने पर फोकस

संस्थान में बीते सौ वर्ष में पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा, पोषण और जलवायु परिवर्तन के दुग्ध उत्पादन पर प्रभाव को लेकर काफी अनुसंधान किया गया है। इनके आशानुकूल परिणाम सामने आए हैं। इसी प्रकार भैंसों में उन्नत प्रकार के सीमेन उपलब्ध कराने की दिशा में लगातार कार्य किया जा रहा है। प्रयास है कि यह काफी किफायती दरों पर और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सके। फिलहाल इसके लिए आठ सौ से दो हजार रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। गिर व अन्य देसी नस्ल की गाय की क्लोनिग से लेकर बकरी के दूध पर अनुसंधान किया जा रहा है। लक्ष्य है कि किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में अनवरत प्रयास होते रहें। दूध में प्रोबेटिक्स और एंटीबायोटिक्स के साथ कोलेस्ट्राल फ्री बनाने के लिए भी उल्लेखनीय अनुसंधान किया गया है।वर्ष भर अलग अलग क्षेत्रों में अनुसंधान की प्रक्रिया तेज करने पर फोकस किया गया है। इसके तहत मुख्य रूप से देसी गायों की नस्लों को बढ़ावा दिया जाएगा।


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