बसताड़ा प्रकरण: प्रशासनिक गलियारों में हलचल, उच्चाधिकारियों से रिपोर्ट तलब
बसताड़ा प्रकरण लगातार चर्चा में है। इस मामले में जहां एक तरफ सियासी बयानबाजी का सिलसिला जोरों पर है वहीं मामले में कृषि कानून आंदोलन से जुड़े किसान नेताओं की तरफ से लगाए आरोपों से घिरे एसडीएम आयुष सिन्हा की घेराबंदी जारी है। इस बीच प्रशासनिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है।
जागरण संवाददाता, करनाल: बसताड़ा प्रकरण लगातार चर्चा में है। इस मामले में जहां एक तरफ सियासी बयानबाजी का सिलसिला जोरों पर है वहीं मामले में कृषि कानून आंदोलन से जुड़े किसान नेताओं की तरफ से लगाए आरोपों से घिरे एसडीएम आयुष सिन्हा की घेराबंदी जारी है। इस बीच प्रशासनिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। चर्चित मामले में करनाल के मंडलायुक्त संजीव वर्मा से रिपोर्ट तलब की गई है जबकि उपायुक्त निशांत यादव से लाठीचार्ज के घटनाक्रम और एसडीएम से संबंधित वायरल वीडियो के संदर्भ में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
बीते शनिवार को पेश आए बसताड़ा प्रकरण में उतार-चढ़ाव का सिलसिला बरकरार है। इस प्रकरण को लेकर एक तरफ सियासी बयानबाजी जोरों पर है तो वहीं प्रकरण से जुड़े अलग अलग वायरल वीडियो भी लगातार चर्चा में बने हैं। इस बीच किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी की मौजूदगी में घरौंडा में हुई पंचायत में तय मांगों को लेकर सरकार को छह सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया गया है वहीं इस मुद्दे पर विपक्षी नेता लगातार मुखर हैं। कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल की ओर से लगातार किसानों के समर्थन में बयान दिए जा रहे हैं। वहीं पांच सितंबर को पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला भी करनाल आ रहे हैं। इससे साफ है कि आने वाले दिनों में यह प्रकरण और गर्मा सकता है।
इधर, पूरे प्रकरण को लेकर चंडीगढ़ में तेज हुई हलचल का असर अब प्रशासनिक स्तर पर भी स्पष्ट देखा जा रहा है। खासकर, एसडीएम आयुष सिन्हा की मुखालफत के साथ लगातार की जा रही उनकी घेराबंदी को देखते हुए जिले के उच्चाधिकारियों पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। यही कारण है कि सरकार ने करनाल के मंडलायुक्त संजीव वर्मा से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब करने की है तो मुख्य सचिव ने डीसी को पत्र लिखकर मामले में एसडीएम आयुष सिन्हा का वक्तव्य भेजने के निर्देश दिए हैं।
इधर, कांग्रेस नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने भी इस मामले में मानवाधिकार आयोग को ज्ञापन देकर कार्रवाई का दबाव बढ़ा दिया है तो दूसरी ओर लाठीचार्ज के आदेश देने को लेकर कुछ पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों की ओर भी लगातार नजरें बनी हुई हैं। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि अब उच्च स्तर से दिशा-निर्देश मिलने के आधार पर जल्द मामले में कोई प्रशासनिक कार्रवाई हो सकती है। हालांकि, पूरे प्रकरण की संवेदनशीलता के चलते फिलहाल प्रशासनिक अधिकारी इस पर ज्यादा खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।