कोरोना काल में पेश की कर्तव्य परायणता की मिसाल
मोतीलाल चौहान जलमाना कोरोना काल में जिला मुख्यालय ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात
मोतीलाल चौहान, जलमाना:
कोरोना काल में जिला मुख्यालय ही नहीं बल्कि, ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात प्रशासनिक अधिकारियों ने भी सेवा की मिसाल पेश की। इनमें असंध उपमण्डल की खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कंचनलता और तहसीलदार नवजीत कौर बराड़ का नाम उल्लेखनीय है, जिनके सार्थक प्रयासों की बदौलत अनेक लोगों तक मदद पहुंच सकी।
कोरोना काल में लागू लाकडाउन के दौरान सबसे बड़ी चुनौती प्रवासी कामगारों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था थी, जिसे बखूबी निभाने में इन दोनों ही अधिकारियों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। इसी तरह जब इन प्रवासी मजदूरों को उनके मूल राज्यों में भिजवाने की बात सामने आई तो इस कार्य में भी ये दोनों ही अधिकारी दिन-रात सक्रिय रहीं। इसके लिए उन्होंने बाकायदा विशेष शिविर लगातार जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाई। कामगारों के लिए लगाए गए इन शिविरों में उनके लिए हर प्रकार की आवश्यक सुविधा मुहैया कराई गई। बाद में सरकार से अनुमति मिलने पर प्रवासी कामगारों को उनके घरों तक पहुंचाया गया। करीब दो माह तक चली इस अनवरत मुहिम के दौरान दोनों ही अधिकारी अपने घरों को भी समय नहीं दे सकीं। लेकिन महिला अधिकारी होने के बावजूद अपने दायित्व निर्वहन में किसी भी स्तर पर कोई कमी नहीं छोड़ी। इसे लेकर क्षेत्रवासियों ने भी उनके सार्थक प्रयासों और सकारात्मक ²ष्टिकोण की भरपूर सराहना की। सुनाई प्रेरक कहानियां
कोरोना काल में जब प्रवासी कामगार अस्थायी शिविरों में अपनों से दूर होने के चलते अलग ही बेचैनी महसूस करते तो इन दोनों अधिकारियों ने उन्हें प्रेरक किस्से-कहानियां सुनाकर मनोबल बढ़ाया। इससे उन्हें एकाकीपन से उबरने में कारगर मदद मिली। इसी तरह संक्रमण से बचाव के लिए उन्हें पूरी अवधि में पर्याप्त मास्क, सैनिटाइजर के अलावा बेहतर गुणवत्तायुक्त खाना-पीना भी मुहैया कराया गया। हर मोर्चे पर किया साबित
कोरोना काल के बाद भी दोनों अधिकारियों ने हर मोर्चे पर खुद को साबित किया। फिर वह चाहे फसल अवशेष जलाने की घटनाएं रोकने के लिए चलाई गई बहुआयामी मुहिम हो या फिर इस संदर्भ में किसानों को जागरुक करने की चुनौती। इन अधिकारियों ने किसानों को विविध प्रकार की गतिविधियों के जरिए जागरुक किया कि फसल अवशेष चलाने से कितना नुकसान रोका जा सकता है। इसके बेहतर परिणाम हासिल हुए और कई किसानों ने पराली प्रबंधन अपनाया। इसके अलावा लाल डोरा मुक्त गांवों में जागरुकता अभियशन चलाने के साथ ही इनमें रजिस्ट्री कराकर लाभार्थियों को सौंपने में भी उनकी अहम भूमिका रही।