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बासमती की 1509 किस्म के बाद 1121 के भाव भी फिसले

फोटो नंबर 04 -करीब 3 हजार रुपये प्रति क्विटल तक बिकने वाली 1121 किस्म अब 2400 से 2500 रुप

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 06:36 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 06:36 PM (IST)
बासमती की 1509 किस्म के बाद 1121 के भाव भी फिसले
बासमती की 1509 किस्म के बाद 1121 के भाव भी फिसले

फोटो नंबर : 04 -करीब 3 हजार रुपये प्रति क्विटल तक बिकने वाली 1121 किस्म अब 2400 से 2500 रुपये प्रति क्विटल तक बिक रही, किसानों में मायूसी जागरण संवाददाता, करनाल :

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बासमती की 1509 किस्म मंडियों में अब बहुत कम आ रही है। इस अगेती किस्म का ज्यादा फायदा किसानों को नहीं हुआ। ऐसे में किसानों को उम्मीद थी कि 1121 किस्म से अच्छी आमदनी हो जाएगी।

मंडियों में जब 1121 किस्म आनी शुरू हुई तो भाव भी अच्छे मिले। करीब तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिकी। लेकिन ये भाव ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाए। भाव गिरकर 2400 से 2500 रुपये प्रति क्विटल रह गया। जबकि पिछली बार की बात की जाए तो इस धान की किस्म मंडी में 3000 रुपये प्रति क्विटल तक बिकी थी। धान का कम रेट मिलने से किसान में मायूसी है। वहीं ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों का कहना है कि इतने कम रेट से तो लागत मुश्किल से निकल रही है। किसान परेशानी में है कि वह खर्चा कैसे निकाले।

किसान बोले-ऐसे में लागत भी पूरी नहीं हो पाएगी

किसान राममेहर, काला व सुरेंद्र ने बताया कि इस बार 1121 का रेट बहुत कम मिल रहा है। जिन किसानों ने ठेके पर जमीन लेकर खेती की उनकी तो लागत मुश्किल से निकल पा रही है। महंगाई इस कदर बढ़ गई है। लेकिन किसानों को अपनी फसल का रेट पिछले साल से भी कम दिया जा रहा है।

रेट नियंत्रण में हस्तक्षेप की जरूरत

किसान मुकेश कुमार ने बताया कि इस बार के रेट ने तो 1121 किस्म की कमर तोड़ दी है। पिछले साल से भी रेट कम दिया जा रहा है। रेट कम होने से किसानों को घाटा हो रहा है। धान का भाव नियंत्रित करने के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए।

1121 किस्म की आवक बढ़ी

जिले की मंडियों में 1121 धान की आवक बढ़ी है। लेकिन किसानों को भाव नही मिलने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 1121 किस्म की बिजाई करने वाले किसान चितित हैं क्योंकि फसल का रेट पिछले साल से भी कम तय किया गया है। किसानों का कहना है कि आज के दौर में हर चीज के रेट बढ़ रहे हैं लेकिन उनकी फसल का रेट कम किया जा रहा है।


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