करनाल मैराथन से एएफआइ और खेल विभाग ने खींचे कदम
करनाल में 27 मई को हाेनेवाले मैराथन के आयोजन पर संशय पैदा हो गया है। पर एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और खेल विभाग ने इस पर सवाल उठा दिए हैं।
जेएनएन, करनाल। शहर के सेक्टर-32 में 27 मई को आयोजित होने वाली वर्ल्ड-10 मैराथन पर एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआइ) ने सवाल उठा दिए हैं। एएफआइ ने खेल विभाग हरियाणा के साथ ही सभी रजिस्टर्ड खेल एसोसिएशन व रजिस्टर्ड कोचिंग कैंपस को बकायदा पत्र जारी किया है। पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि फेडरेशन इस मैराथन को मान्यता नहीं देता।
एएफआइ के पत्र के बाद एसीएस खेमका ने सभी डीएसओ को जारी किया पत्र
फेडरेशन के पत्र के बाद हरियाणा खेल विभाग के एसीएस अशोक खेमका ने सभी जिलों के डीएसओ को लेटर जारी कर कहा कि खेल विभाग और हरियाणा सरकार का इस मैराथन से कोई लेना-देना नहीं है। साथ ही सख्त निर्देश भी दिए कि अधिकारी व कोच इससे इससे दूर रहें।
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एसीएस के अनुसार करनाल के डीसी व एसपी को भी पत्र से सूचित कर दिया है। करनाल में इस मैराथन को कराने की अनुमति देनी है या नहीं यह निर्णय स्थानीय प्रशासन को लेना है। एएफआइ और खेल विभाग के तेवर देखकर आयोजकों में खलबली मच गई। इस मैराथन का आयोजन हाई टाइम सोल्यूसंस की ओर से इंडिया रोड रनर्स और वूमन स्पोट्र्स फाउंडेशन के सहयोग से करवाया जा रहा है।
खिलाडिय़ों की शिकायत पर लिया संज्ञान
दरअसल, कुछ एथलीट ने इस मैराथन को लेकर एएफआइ से शिकायत की थी। खिलाड़ी प्रदीप, राकेश व दिनेश ने कहा कि मैराथन के सभी रूल इसमें फॉलो भी नहीं किए जाते हैं। रूट की पैमाइश सही है या न ही कोई मापदंड। डोप टेस्ट की व्यवस्था भी नहीं है। जांच के बाद एएफआइ लेटर जारी कहा कि वह इसका हिस्सा नहीं है। इसमें धावकों की सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं है। इसलिए रजिस्टर्ड एसोसिएशन व कोङ्क्षचग कैंपस के खिलाडिय़ों को हिदायत है कि वह इस मैराथन से दूर रहें।
सरकार ने इस बार राशि देने से मना किया
'वर्ल्ड-10 रन' के आयोजकों ने इस साल भी सरकार से पैसों की मांग की थी। खेमका के अनुसार करीब 40 लाख रुपये की फाइल को सरकार ने रिजेक्ट कर दिया है। हालांकि बीते साल आयोजक सरकार से 15 लाख से अधिक ले गए थे। बताया जा रहा है कि ये स्वर्ण जयंती के फंड से दिए थे। सरकार से मदद के बाद भी खिलाडिय़ों से रजिस्ट्रेशन फीस ली गई थी।
एसीएस को मुझसे पूछना चाहिए था : पीयूष
'वर्ल्ड-10 रन' के आयोजक व हाई टाइम सोल्यूसंस के संचालक पीयूष सचदेवा ने कहा कि निर्देश जारी करने से पहले एसीएस अशोक खेमका को पूछना चाहिए था। उन्हें गलतफहमी हुई है। इसलिए अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर लें।
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'' हमारे पास एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया का पत्र आया था कि वह इस मैराथन को मान्यता नहीं देते। इसलिए सभी जिलों के डीएसओ और रजिस्टर्ड एसोसिएशन को सूचित कर दिया है कि खेल विभाग व हरियाणा सरकार से इसका कोई लेना-देना नहीं है। इस तरह के मैराथन का अपना प्रोटोकॉल होता है। करनाल के डीसी व एसपी को भी सूचित कर दिया गया है।
- अशोक खेमका, एसीएस, खेल विभाग, हरियाणा।