कंप्यूटर से कच्ची पर्ची पर दिखाते थे मोटा जुर्माना, रकम कम करने के नाम पर होती थी सेटिग
आबकारी और काराधान विभाग में ट्रांजिट ट्रक की जांच के नाम पर रिश्वत के खेल में पर्दाफाश हुआ है।
जागरण संवाददाता करनाल
आबकारी और काराधान विभाग में ट्रांजिट ट्रक की जांच के नाम पर रिश्वत के खेल में पर्दाफाश हुआ है। सामने आया है कि बहुत ही सुनियोजित तरीके से व्यापारियों को फंसाया जाता था। जांच के नाम पर ट्रक रोक पहले तो कंप्यूटर से कच्ची पर्ची निकालकर मोटा जुर्माना बना दिया जाता था। इसके बाद बिचौलियों को बीच में डालकर सेटिग का खेल चलता था। एक बार रिश्वत की रकम तय होने के बाद दोबारा से उस ट्रक के माल का आंकलन किया जाता था। तब कम जुर्माना दिखाकर बाकी की रकम खुद रख ली जाती थी। इस तरह से एक ओर जहां व्यापारी लूट रहे थे, दूसरी ओर सरकार को चूना लग रहा था। बड़ा सवाल: डीईटीसी की भूमिका की जांच क्यों नहीं?
व्यापारियों ने बताया कि डीईटीसी की जानकारी के बिना इतने बड़े स्तर पर यह खेल नहीं हो सकता। इसमें कंप्यूटर ऑपरेटर से इंस्पेक्टर की सीधी मिलीभगत रहती है। इंस्पेक्टर जैसे ही ट्रक पकड़ते थे, बाकी का काम ऑपरेटर करते थे। वहीं, साफ्टवेयर से जुर्माने की ऑफ लाइन पर्ची निकालते थे। अब व्यापारियों के सामने दो ही विकल्प होते थे। मोटा जुर्माना अदा कर दें, या सेटिग कर लें। यदि वह विरोध करते थे तो जांच के नाम पर ट्रक को कई दिनों तक रोक लिया जाता था। इससे व्यापारी को सीधे नुकसान होता था। इससे बचने के लिए वह सेटिग करने पर मजबूर हो जाता था। यह खेल विभाग में लंबे समय से चल रहा था। डीईटीसी को भी इसकी जानकारी थी। उन्होंने कई बार शिकायत दी, लेकिन कभी सुनवाई नहीं हुई। ईटीओ सत्यवीर और प्रवीण की भूमिका की जांच होनी चाहिए
दो सितंबर को दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट्स एसोसिएशन के नेता मनजिदर सिंह ने सत्यवीर पर आरोप लगाया कि एक ट्रक तीन दिन तक रोक कर रखा। उसके सभी कागजात पूरे थे। अब तीन दिन तक ट्रक रोकने का मतलब है कि हर रोज व्यापारी का नुकसान। जांच में सब कुछ सही मिला। इस मामले में ईटीओ की भूमिका की जांच होनी चाहिए। हालांकि डीईटीसी आनंद सिंह ने दावा किया कि ट्रक मालिक ने ही तीन दिन बाद आने का समय मांगा था। बहुत बड़ी गड़बड़ी, होनी चाहिए जांच
व्यापारियों ने बताया कि हरियाणा में प्रवेश करते ही जांच के नाम पर ट्रकों से वसूली शुरू हो जाती है। हर जिले में सरेआम इस तरह की वसूली हो रही है। अब जब वसूली इतनी बढ़ गई कि काम करना ही मुश्किल हो गया, ऐसे में उन्हें खुल कर सामने आना पड़ा। उन्होंने मांग की कि इसकी निष्पक्ष एजेंसी से जांच होनी चाहिए। इधर भ्रष्टाचार का ऑडियो वायरल होते ही विभाग के इंस्पेक्टर और जिम्मेदार अधिकारियों ने अपने फोन बंद कर लिए है।