100 टॉयलेट पर 97 लाख खर्च, अब 20 यूरिनल पोट और 10 टॉयलेट पर 30 लाख और खर्च
जागरण संवाददाता, करनाल स्मार्ट सिटी के नाम पर नगर निगम पानी की तरह पैसा बहा रहा है। स्
जागरण संवाददाता, करनाल
स्मार्ट सिटी के नाम पर नगर निगम पानी की तरह पैसा बहा रहा है। स्मार्ट सिटी की सूची में करनाल का नाम शामिल होने के बाद शहर में अलग-अलग जगह पर 97 लाख से 100 पब्लिक टॉयलेट बनाए। इनकी हालत बदहाल है। इसके बावजूद निगम ने 20 यूरिनल पोट और 10 टॉयलेट और मंगाए हैं। इस पर लगभग 30 लाख रुपये की राशि खर्च हुई है। ऐसे में निगम पर सवाल यह उठता है कि जब पहले 100 पब्लिक टॉयलेट को ही निगम मेंटेन नहीं कर पा रहा है तो अब और संख्या बढ़ाकर क्या साबित करना चाह रहा है। फिजूल पैसे की बर्बादी की जा रही है। दैनिक जागरण ने मामले की पड़ताल की तो कुछ ओर ही मामला निकलकर सामने आया। चार जनवरी से स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 शुरू हो रहा है, जो 31 जनवरी तक चलेगा। जो टॉयलेट हैं उनकी हालात ठीक या उन्हें सुचारू कराने के बजाय और नए यूरिनल पोट और टॉयलेट मंगा दिए। कहीं गंवा न दे स्वच्छता का ताज, इस डर से बहा दिए रुपये
इस बार टीम स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए बिना बताए ही आएगी। केंद्र की टीम जब विजिट पर आएगी उससे पहले ही टॉयलेट जैसी सुविधाओं को व्यवस्थित करने का प्रयास किया जा रहा है। बड़ा सवाल यह भी है कि जब स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 हुआ था उस समय भी अधिकारियों ने इस मामले में मुस्तैदी दिखाई थी, लेकिन उसके बाद एक साल तक इस दिशा में कोई काम ही नहीं किया। जो 100 पब्लिक टॉयलेट थे वह बदहाल हो गए। अब 30 लाख रुपये लगाकर इस प्रोजेक्ट को संजीवनी देने का प्रयास किया जा रहा है। निगम को लगता है कि इससे उनकी शाख बच सकती है। जिले का पहला ई-टॉयलेट भी बंद
अगस्त 2015 में लघु सचिवालय में जिले का पहला ई-टॉयलेट एक साल वर्किंग में रहने के बाद बंद हो गया। 1.80 लाख रुपये की लागत से बना यह ई-टॉयलेट सफेद हाथी साबित हो रहा है। अब इसकी स्थिति यह है कि इसमें जाले लगे हैं। टॉयलेट में पानी की सप्लाई तो है, लेकिन बिजली नहीं। वर्जन
20 यूरिनल पोट व 10 टॉयलेट मंगवाए गए हैं। हमने शहर में 30 ऐसी जगह चिन्हित की हैं जहां पर लोग खुले में पेशाब के लिए जाते हैं और जहां पर टॉयलेट की कमी खलती है। पहले वाली टॉयलेट बदहाल हैं या नहीं इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं है।
रामजीलाल, अधीक्षक अभियंता, नगर निगम करनाल।