पानी के 31 सैंपल फेल : नियमित तौर पर पी रहे लोगों को हो सकता है डायरिया, पीलिया और पथरी
हमारी सेहत दांव पर है। जिम्मेदारों का रवैया देखिए। उन्हें कोई ¨चता ही नहीं। खराब पानी हमें डायरिया का मरीज बना रहा है। कुछ जगह लीवर को खराब कर पीलिया का रोगी बना रहा, जो इन दोनों बीमारियों से बच भी गए तो उन्हें पथरी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदीप शर्मा, करनाल
हमारी सेहत दांव पर है। जिम्मेदारों का रवैया देखिए। उन्हें कोई ¨चता ही नहीं। खराब पानी हमें डायरिया का मरीज बना रहा है। कुछ जगह लीवर को खराब कर पीलिया का रोगी बना रहा, जो इन दोनों बीमारियों से बच भी गए तो उन्हें पथरी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
स्वास्थ्य विभाग ने जून माह में पानी के 136 सैंपल लिए। इसमें से 31 फेल आए। यानी जिले में 22.79 प्रतिशत पानी दूषित सप्लाई हो रहा है। पूरे साल में अभी तक 1720 पानी के सैंपल लिए गए। इन सैंपलों में से 90 आर्थोल्यूडिन टेस्ट में फेल पाए गए। 91 बैक्ट्रोलॉजिकल टेस्ट में फेल हुए। यही नहीं 105 सैंपल हाइपर क्लो¨रड के सामने आए हैं। हर बार सैंपल फेल आ रहे हैं, जिम्मेदारों को रिपोर्ट मिलती है। कार्रवाई कुछ नहीं होती। जून माह के सैंपल जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली की पोल खोलने के लिए काफी है।
दूषित पानी यूं हमें धकेल रहा बीमारियों की ओर
हाइपर क्लोरीन अधिक
तय मात्रा : 25 लीटर पानी में 0.5एमजी क्लोरीन होनी चाहिए।
नुकसान
त्वचा रोग, खुजली की बीमारी होने का खतरा बना रहता है। यदि कोई पहले से दिल की बीमारी का मरीज है तो उसकी बीमारी बढ़ने का खतरा तीन गुणा तक बढ़ जाता है।
-------
बैक्टिरियालोजिकल टेस्ट फेल
होना चाहिए : पीने के पानी में बैक्टिरिया की मात्रा जीरो होनी चाहिए।
नुकसान
डायरिया, हैजा, पीलिया, लीवर खराब, पत्थरी जैसी बीमारियों होने खतरा दस गुणा तक बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक लगातार इस तरह का पानी पीने से लीवर खराब हो जाता है।
----------
टीडीएस (टोटल डिजॉल्व सॉल्ट)
2500 से 2600 मिली ग्राम प्रति लीटर तक।
होनी चाहिए
2 हजार मिली ग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए।
नुकसान
कैंसर, दिल की बीमारी, चमड़ी की बीमारी होने का खतरा बना रहता है। लगातार इस पानी को पीते रहने से पेट की बीमारियों गंभीर रूप धारण कर सकती है। जानकारी मिलने के बाद भी चुप्पी साधे बैठे जिम्मेदार
यह रिपोर्ट डीजी हेल्थ चंडीगढ़, एनएचएम के डिप्टी सिवल सर्जन, डीसी समेत कई विभागों को भेजी जाती है। होना तो यह चाहिए कि तुरंत ही रिपोर्ट पर काम शुरू हो। रिपोर्ट को जब इन अधिकारियों को भेजा जाता है तो इस पर लिखा होता है तुरंत एक्शन हो लेकिन होता यह है कि रिपोर्ट को ज्यादातर जिम्मेदार उठा कर भी नहीं देखते।
बड़ा सवाल : हम क्यों करें
जब पूरी व्यवस्था पंगू है तो हमारे सामने दो ही रास्ते हैं। एक तो यह है कि इस दूषित पानी को पीते हुए बीमारियों का शिकार हो जाएं। दूसरा पानी को खुद ही साफ कर लें। इसके लिए विशेषज्ञों की सलाह है कि पानी उबाल कर छान कर पीएं। यहीं एक मात्र उपाय आम आदमी अपने घर में कर सकता है।
जिम्मेदारों को क्या फर्क पड़ता है भुगतता तो आम आदमी है
पर्यावरण के लिए काम कर रही संस्था आकृति के अध्यक्ष अनुज सैनी ने बताया कि इन सैंपलों में एक बात देखने लायक है, जो फेल हुए वह किस एरिया के हैं। इसमें पाएंगे कि अधिकारियों के आवास और दफ्तर में सप्लाई होने वाले पानी के सैंपल फेल नहीं मिलेंगे। साफ है आम आदमी की यहां किसी को ¨चता नहीं है। अनुज ने बताया कि आम आदमी यहां किसी के एजेंडे में ही नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह भी हो सकता है कि पानी को साफ करने वाली मशीनों को प्रमोट करने के लिए जानबूझ कर इस लोगों के यहां दूषित पानी सप्लाई हो रहा हो। जिससे ज्यादा से ज्यादा इस तरह की मशीन बिक सके।
जून माह की रिपोर्ट में इन क्षेत्रों में है दिक्कत
जगह टोटल सैंपल अनफिट सैंपल
जीएच नीलोखेड़ी 04 03
पीएचसी निगदू 04 03
पीएचसी खुखनी 04 02
पीएचसी भादसों 04 02
पीएचसी कुंजपुरा 04 03
पीएचसी बरसत 04 03
पीएचसी जलमाना 05 04
पीएचसी पोपड़ा 05 05
यूपीएचसी सेक्टर-6 04 02 वर्जन
स्वास्थ्य विभाग की ओर पानी के सैंपल लिए जाते हैं। जहां पर भी सैंपल अनफिट पाए जाते हैं, उस पर कार्रवाई के लिए जनस्वास्थ्य विभाग को जानकारी दे दी जाती है। इसकी एक प्रति मुख्यालय को भी भेजी जाती है। जून माह की रिपोर्ट में 31 सैंपल फेल पाए गए हैं।
डॉ. राजेंद्र कुमार, डिप्टी सिविल सर्जन करनाल।
---------------
वर्जन
जिले में पानी की सप्लाई दुरुस्त हो रही है। उच्चाधिकारियों के आदेश हैं कि स्वास्थ्य विभाग और जनस्वास्थ्य विभाग संयुक्त रूप से पानी के सैंपल लेंगे, ताकि जहां पर दिक्कत है उसको जल्द ट्रेस कर दूर किया जा सके। इस माह की रिपोर्ट अभी उनके पास नहीं आई है। जिस क्षेत्र में दिक्कत है उसको दूर किया जाएगा।
रमेश कुमार, एसई, जनस्वास्थ्य विभाग करनाल।