निगम की दुकानों के मालिक बनेंगे 20 साल पुराने किरायेदार
नगर निगम की दुकानों के किरायेदारों के लिए अच्छी खबर है। 20 साल व इससे पुराने किरायेदार अब निगम की दुकानों के मालिक बनेंगे। शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय ने इस संबंध में पत्र जारी कर दिया है।
जागरण संवाददाता, करनाल : नगर निगम की दुकानों के किरायेदारों के लिए अच्छी खबर है। 20 साल व इससे पुराने किरायेदार अब निगम की दुकानों के मालिक बनेंगे। शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय ने इस संबंध में पत्र जारी कर दिया है। इसमें साफ लिखा है कि सरकार के फैसले के अनुसार पुराने किरायेदारों को निगम की दुकानें बेची जाएंगी। पत्र के साथ प्रफोर्मा भी जारी किया गया है। इसे दुकानदारों को भरना होगा लेकिन इसमें अभी नियम का पेंच है।
जनवरी में दो शर्ते रखी गई थी। पहली 20 साल या इससे अधिक पुराना किरायेदार होना चाहिए। दूसरी शर्त मासिक किराये की थी। पहले 500 रुपये और फिर एक हजार रुपये महीना वाली दुकानों को इस दायरे में रखा गया था। दूसरे नियम को लेकर अभी संशय है। निगम अब इसके बारे में निदेशालय से गाइडलाइन मांगेगा। इसके बाद तय होगा कि इस दायरे में 642 में से कितनी दुकानों आएंगी। प्रदेश सरकार ने नवंबर 2017 में स्थानीय निकायों की दुकानदारों को यह सौगात देने का फैसला किया था।
दिसंबर में भेजी थी 152 दुकानदारों की लिस्ट
निगम ने दिसंबर 2017 में 152 दुकानदारों की लिस्ट निदेशालय को भेजी थी। यह 20 साल और एक हजार रुपये महीना दोनों शर्तो को पूरा करते थे। तब 642 में से 152 किरायेदारों को मालिकाना हक मिलना था। इस लिस्ट में निगम के पुराने कार्यालय की 90 दुकानें शामिल थी। इसके अलावा नेहरू पैलेस व अस्पताल चौक के दुकानदार भी इस सूची में थे। चूंकि इसके बाद करीब 80 प्रतिशत दुकानों का किराया 25 फीसद बढ़ाया गया था। इसलिए यह आंकड़ा भी बदलना तय है। हां, यदि केवल 20 साल पुराने किरायेदार की शर्त रखी गई तो करनाल में 200 से अधिक दुकानदारों को लाभ होगा।
दिक्कत यह : 50 प्रतिशत दुकानें किसी और के पास
इस पॉलिसी से शहर में विवाद बढ़ सकता है। निगम ने 152 दुकानदारों की जो सूची निदेशालय को भेजी थी। इनमें करीब 50 प्रतिशत ऐसे दुकानदार थे। जिन्होंने अपनी दुकान आगे दूसरों को सौंप रखी हैं। 2014 से सबलेट यानि आगे दूसरों को दुकान किराये पर देने की योजना बंद है। इसलिए निगम के रिकार्ड में आज भी पुराने दुकानदार ही किरायेदार हैं। अब दुकान भी उनके ही नाम होगी। इससे मौजूदा व पुराने दुकानदार में विवाद बढ़ सकता है।
अब क्या : रेट तय करने के लिए बनाई जा सकती है कमेटी
नोटिफिकेशन के बाद यह तय करना होगा कि किस मार्केट की दुकान किस रेट पर बेची जाएगी। रेट तय करने के लिए कमेटी बनाई जा सकती है। इसमें डीसी, डिविजनल कमिश्नर, निगम कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर, स्थानीय निकाय निदेशालय से एक अधिकारी सहित करीब छह से सात अधिकारी शामिल किए जा सकते हैं। यह कमेटी पहले शहर के कलेक्टर व मार्केट रेट का अध्ययन करेगी। इसके बाद दुकान का रेट तय कर सकती है।
निगम ने दिसंबर में गुडमंडी के पास अपनी दुकान का मार्केट रेट लगवाया था। तब यह डेढ़ लाख रुपये वर्ग फीट था जबकि यहां कलेक्टर रेट करीब 20 हजार रुपये वर्ग फीट है। यह बड़ा अंतर है। इसलिए सरकार चाहे को कलेक्टर रेट पर दुकानें देकर बड़ी सौगात भी दे सकती है।
152 दुकानों की भेजी थी सूची
सरकार के फैसले के बाद शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय को दिसंबर में 152 दुकानों की लिस्ट भेजी गई थी। अब दोबारा लेटर आया है। इसमें 20 साल पुराने किरायेदारों को दुकानें देने का जिक्र है। निदेशालय से पॉलिसी की पूरी गाइडलाइन मांगेंगे। इसके बाद क्लियर होगा कि एक हजार रुपये मासिक किराये वाले इसके दायरे में आएंगे या दूसरे दुकानदार भी।
धीरज कुमार, ईओ, नगर निगम करनाल